वर्ष 2013 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गोड्डा की सुंदरपहाड़ी और सदर प्रखंड की निपनिया पंचायत की सीमा में पावर प्लांट की आधारशिला रखी थी। कंपनी की ओर से 834.84 एकड़ भूमि की मांग की गई थी। 216 एकड़ रैयती और 152 एकड़ गैरमजरूआ जमीन का अधिग्रहण हो भी गया था। शेष का अधिग्रहण प्रक्रिया में था। प्लांट नहीं खुला तो सरकार ने अधिग्रहीत जमीन को रैयतों को वापस करने की प्रकिया शुरू कर दी है। जिनकी जमीन का अधिग्रहण हो गया उनकी बल्ले बल्ले है। आखिर दोहरा लाभ जो मिल रहा है। कंपनी ने जमीन के एवज में सरकार को 55.85 करोड़ का भुगतान किया था। विधानसभा के बजट सत्र में इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा हुई थी। सरकार ने जवाब दिया था कि पांच साल से अधिक समय तक अधिग्रहीत जमीन में उद्योग नहीं लगाने पर जमीन रैयतों को वापस दी जाएगी। इधर सीएम के आप्त सचिव ने पत्र लिखकर जिला प्रशासन को जांच रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। जिला प्रशासन प्रतिवेदन तैयार कर रहा है।
3.5 वर्ष में पूरा करना था निर्माण : सुंदरपहाड़ी और निपनिया, सुंडमारा पंचायतों के बड़े भूभाग को अधिग्रहीत कर जमीन समतलीकरण और चहारदीवारी निर्माण कंपनी ने कर लिया। हालांकि प्लांट लगाने की दिशा में अब तक विशेष काम नहीं हुआ है। प्लांट के लिए सरकार ने जीतपुर में कोल ब्लॉक आवंटित किया था। इसे 2014 में रद कर दिया गया। अब यह कोल ब्लॉक अडानी पावर को दिया जा रहा है। 8500 करोड़ की लागत से 1320 मेगावाट के पावर प्लांट को तब जेएसपीएल ने साढ़े तीन वर्ष में पूरा करने की घोषणा की थी। अभी सिर्फ चहारदीवारी और जमीन समतलीकरण का काम हो पाया। टीपीपी मेन प्लांट, वाटर रिजर्वायर, एश डाइक के लिए करीब 431.80 एकड़ भूमि अधिग्रहण का प्रस्ताव राज्य सरकार के पास लंबित ही है। कोल ब्लॉक का आवंटन रद होने के बाद कंपनी ने अपने कदम पीछे खींच लिए हैं।
हमें हमारी जमीन वापस दी जाए छ : निपनिया और वारिशटांड़ के विनोद महतो, सुनील कुमार गुप्ता, तपेश महतो ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर जमीन वापस दिलाने की मांग की थी। हेमंत सुंदरपहाड़ी के विधायक भी हैं। रैयतों का कहना है कि वर्ष 2012-13 के दौरान जमीन अधिग्रहण किया गया। कंपनी ने मुआवजा के साथ-साथ चिकित्सा, शिक्षा, पेयजल और रोजगार देने का आश्वासन दिया था। वह नहीं मिला। प्लांट भी नहीं लगा। इसलिए जमीन वापस मिलनी चाहिए।
भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत पांच साल तक उद्योग नहीं लगा तो भूमि रैयतों को वापस कर दी जानी है। भूमि अधिग्रहण की राशि को राज्यसात करते हुए रैयतों को उनकी जमीन वापस दिलाने के लिए सरकार को प्रतिवेदन भेजा गया है। इसमें रैयती और गैर मजरूआ जमीन शामिल है। सदर और सुंदरपहाड़ी प्रखंड की कुल 216.15 एकड़ रैयती और 152.79 एकड़ गैर मजरूआ जमीन पर दखल दियानी दिलाई गई है। करीब 431.80 एकड़ जमीन प्रक्रियाधीन थी। प्राक्कलित राशि की 20 फीसद राज्यसात की गई है। 6.86 करोड़ रुपये जिंदल कंपनी को वापस करने का आदेश दिया गया है। किसी भी रैयत को मुआवजा राशि लौटाने की जरूरत नहीं है। -रंजीत लाल, अपर समाहर्ता, गोड्डा।