जूट से फैला रहीं समृद्धि का प्रकाश, सात समंदर पार से आ रहे खिलौने के ऑर्डर; जानिए प्रीति की सफलता की कहानी
धनबाद की प्रीति सुमन को जूट से खिलौने बनाने का दक्ष हासिल है। एक बार इंडिया ट्रेड फेयर में प्रीति को अपने हुनर का कौशल दिखाने का मौका मिला फिर इसके बाद कभी उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा और आज शहर से बाहर निकल देश के विभिन्न शहरों सहित अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में अपने कारोबार को पहुंचा चुकी है। प्रीति के खिलौने की मांग बहुत ज्यादा है।
बलवंत कुमार, झरिया (धनबाद)। धनबाद की प्रीति सुमन जूट से खिलौने बनाने में दक्ष हैं। इंडिया ट्रेड फेयर में इन्हें अपने हुनर का कौशल दिखाने का अवसर मिला तो फिर इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा।
आज धनबाद से बाहर निकल देश के विभिन्न शहरों समेत अमेरिका और आस्ट्रेलिया तक उनके खिलौनों की पहुंच है। प्रीति का यह हुनर अब वैश्विक बाजार में छा रहा है।
कैसा रहा है प्रीति के कामयाबी का सफर
प्रीति सुमन बताती हैं कि कॉलेज के दिनों में वह रायफल शूटिंग का अभ्यास करती थीं। कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी नहीं मिली तो स्वरोजगार में हाथ आजमाने की ठानी। बचपन से ही खिलौनों से प्यार था।
कपड़े से गुड़िया-गुड्डे तैयार कर देती थी। इसी काम को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया और ऐसे खिलौने तैयार करने की सोची जिनको तैयार करने में पर्यावरण को खतरा न हो। काफी सोच-विचार के बाद जूट से खिलौने बनाने की ठान ली।
इसके बाद सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय की योजना से जूट से खिलौने व अन्य सामग्री बनाने का प्रशिक्षण लिया। फिर अपनी एक कंपनी बनाई और इसे इंडिया मार्ट पर रजिस्टर्ड किया। इसके अलावा अमेजन व अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी अपने खिलौने बिक्री के लिए उपलब्ध कराए।
'2022 में इंडिया टॉय फेयर में हुआ चयन'
धीरे-धीरे लोगों को ये खिलौने पसंद आने लगे और घर बैठे अच्छी आमदनी होने लगी। 2022 में भारत सरकार ने सूक्ष्म उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया टॉय फेयर का आयोजन दिल्ली में किया। यह ऑनलाइन आयोजन था। हमने आवेदन किया और चयन हो गया तो दिल्ली से एक टीम आई।
उसने हमारे बनाए उत्पाद देखे, हमारे काम करने की शैली देखी और वीडियोग्राफी की। उसे इंडिया टाय फेयर में प्रदर्शित किया गया। बकौल प्रीति वह झारखंड से एक मात्र महिला थीं, जिनका चयन इस फेयर के लिए हुआ था।
पांच हजार रुपये से शुरू किया कारोबार
प्रीति ने तीन साल पहले जब कारोबार शुरू किया तो उसके पास पांच हजार रुपये की पूंजी थी। उससे ही कच्चा माल खरीदा। जूट से खिलौने, गुड़िया, बैग और अन्य सामग्री बनाना शुरू किया। इसी बीच कोरोना महामारी आ गई और बाजार बंद हो गए।
प्रीति बताती हैं कि उस दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सभी से आपदा को अवसर में बदलने की अपील की थी। हमें भी यह बात जंच गई, बस फिर क्या था, उत्पादों को ऑनलाइन ट्रेडिंग के लिए डाल दिया। ऑनलाइन मार्केटिंग में अमेजन व इंडिया मार्ट पर प्रीति इंटरप्राइजेज के नाम से हमारे यहां बने उत्पाद उपलब्ध हैं।
सात समंदर पार भी धमक
प्रीति बताती हैं कि टॉय फेयर में हमारे उत्पादों की प्रदर्शनी ऑनलाइन हुई। यही समय टर्निंग प्वाइंट बना। इस फेयर के बाद बंगाल, ओडिशा, बिहार, राजस्थान, दिल्ली समेत कई राज्यों से खिलौने व अन्य सामान के ऑर्डर मिलने लगे।
अमेरिका व ऑस्ट्रेलिया से भी ऑर्डर मिले। हालांकि, विदेशों के ऑर्डर अभी कम हैं। कम दिनों में ही करीब छह लाख रुपये आमदनी की है। जगह-जगह लगने वाले हस्तशिल्प मेलों में हमारे स्टॉल लगते हैं।
पूरे परिवार ने दिया साथ, फैल रहा हुनर
प्रीति के अनुसार, पिता ओम प्रकाश मालाकार, मां आशा देवी और तीन भाई उसे हमेशा इस काम में आगे बढ़ने को उत्साहित करते हैं। धनबाद के नावाडीह में उन्होंने एक दुकान भी खोल ली है।
अपना हुनर अब वह अन्य महिलाओं को सिखाने में जुटी हैं। उन्हें सरकार की ओर से बतौर प्रशिक्षक भी बुलाया जाता है। धनबाद की करीब 50 महिलाओं को वह अब तक प्रशिक्षित कर चुकी हैं।
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