Benefits Of Camphor: बड़े काम का यह पेड़, बहुत कम लोग जानते होंगे कपूर के गुणकारी फायदे और अनछुए रहस्य
वर्तमान समय में प्रचलित कपूर केमिकल्स के ही बने होते हैं। यह कमाल का तत्व प्रकृति में भी विद्यमान होता है। दरअसल कपूर एक विशालकाय पेड़ से प्राप्त होते हैं जिनका मेडिसिनल वैल्यू कमाल का होता है। केमिकल्स वाले कपूर में मेडिसिनल वैल्यू का कोई अता-पता नहीं होता।
By MritunjayEdited By: Updated: Mon, 29 Nov 2021 11:57 AM (IST)
जागरण संवाददाता, धनबाद। कपूर लगभग हर घर में प्रयोग में लाया जाता है। पूजा पाठ में तो खास तौर पर इसका इस्तेमाल होता है। पूजा खत्म होने के बाद आरती के समय कपूर की अनिवार्यता हर किसी को पता है। कपूर सिर्फ फैक्ट्रियों में नहीं बनते, बल्कि पेड़ पर भी उगते हैं। यह बात बहुत कम लोगों को पता होगी। इसके साथ ही कपूर के गुणकारी फायदे और इसके कुछ अनछुए रहस्य भी हैं, जिससे लोग शायद अनभिज्ञ हैं। कृषि विज्ञान केंद्र बलियापुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ आदर्श श्रीवास्तव हमें कपूर से रूबरू करवा रहे हैं। डॉक्टर आदर्श मानते हैं कि कपूर बेहद गुणकारी है। इसके बारे में हर किसी को जानना चाहिए।
ज्यादातर लोगों को लगता है कि कपूर सिर्फ केमिकल्स के ही बने होते हैं। हालांकि, वर्तमान समय में प्रचलित कपूर केमिकल्स के ही बने होते हैं। यह कमाल का तत्व प्रकृति में भी विद्यमान होता है। दरअसल कपूर एक विशालकाय पेड़ से प्राप्त होते हैं, जिनका मेडिसिनल वैल्यू कमाल का होता है। केमिकल्स वाले कपूर में मेडिसिनल वैल्यू का कोई अता-पता नहीं होता। कपूर एक विशालकाय, बहुवर्षायु लगभग सदाबहार वृक्ष है। इसका वृक्ष, एशिया के विभिन्न भागों में मसलन भारत, श्रीलंका, चीन, जापान, मलेशिया, कोरिया, ताइवान, इन्डोनेशिया आदि देशों में पाया जाता है। कपूर के वृक्ष की लम्बाई 50 से 100 फीट तक होती है। इसके सुन्दर, अति सुगन्धित पुष्प और मनमोहक फल तथा पत्तियाँ बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यही कारण है कि कहीं-कहीं इसे श्रृंगारिक वृक्ष के रुप में भी अपनाया गया है। पत्तियां बड़ी सुन्दर, चिकनी, मोमी, लालीमायुक्त हरापन लिए होती हैं। वसन्त ऋतु में छोटे-छोटे अति सुगन्धित फूल लगते हैं। इसके फल भी बड़े मोहक होते हैं।
डॉ आदर्श बताते हैं कि कपूर वृक्ष की लकड़ियां सुन्दर फर्नीचर के काम में भी लायी जाती हैं। यह काफी मजबूत और टिकाऊ होती है। इसके पेड़ से प्राप्त लकड़ियों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर, तेज ताप पर उबाला जाता है फिर वाष्पीकरण और शीतलीकरण विधि से रवादार कपूर का निर्माण होता है। इसके अलावा, इससे अर्क और तेल भी बनाया जाता है, जिसका प्रयोग प्रसाधन एवं औषधी कार्यों में बहुतायत होता है। आयुर्वेद में इसके अनेक औषधीय प्रयोगों का वर्णन है। एलोपैथी और होमियोपैथी दवाइयों में भी कपूर का प्रयोग होता है। यह शीतवीर्य है, यानी इसकी तासीर ठंडी है। भारतीय कर्मकांड और तन्त्र में तो कपूर रचाबसा है ही, कपूर की कज्जली और गौघृत से काजल भी बनाया जाता है। यह बड़ा गुणकारी होता है।
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