नक्सली कांडों में जेल की हवा खा चुके रामचंद्र बने गांव के सबसे बड़े किसान, सड़क बनाने के लिए दान दे दी जमीन
साल 2001 में तोपचांची प्रखंड परिसर में 13 जैप जवानों की हत्या हथियार लूट पुलिस पर हमले की वारदात समेत आठ केस में नामजद हुए। उन्हें गिरफ्तार कर जेल भी भेजा गया लेकिन जेल से बाहर निकलते ही उनकी बदली सोच ने उनकी जिंदगी बदल दी।
By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Fri, 09 Dec 2022 02:05 PM (IST)
आशीष सिंह/दिनेश महथा, धनबाद। नक्सल प्रभावित धनबाद (Dhanbad) के दक्षिणी टुंडी का एक गांव है चुनुकडीहा। यहीं रहते हैं रामचंद्र राणा (Ramchandra Rana)। 90 के दशक में जब वह 19 साल के थे, तब माओवादियों के साथ हो लिए थे। साल 2001 में तोपचांची प्रखंड परिसर में 13 जैप जवानों की हत्या, हथियार लूट, पुलिस पर हमले की वारदात समेत आठ केस में नामजद हुए। फिर क्या था, वह एरिया कमांडर बन गए।
रामचंद्र ने लिया जिंदगी में कुछ बेहतर करने का संकल्प
उन्हें तत्कालीन एसपी अब्दुल गनी मीर ने गिरफ्तार किया और साल 2008 में वह बरी हो गए। यहीं से उनकी दुनिया बदल गई। पांच बेटियों व एक बेटे का यह पिता जीवन पर मंथन करने लगा। समझ में आ गया, इस राह पर चल अपनों की भी दुनिया वीरान होगी। उन्होंने समझ आया कि अगर वह समाज के बने इंसान का जीवन ही बेमानी है। प्यार ही वह डोर है, जिससे सभी को बांध सकते हैं। यही सब सोचते हुए उन्होंने अपने गांव के लिए कुछ करने का संकल्प लिया।
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जेल से निकलने के बाद रामचंद्र को हुई बच्चों की चिंता
रामचंद्र ने अपनी जमीन दान देकर गांववालों की सुविधा के लिए सड़क बनाई। खेती शुरू की। आज इलाके के आम उत्पादक के बड़े किसानों में उनका नाम है। साल 2001 में हार्डकोर संजोती मंझियाइन के दस्ते ने कई वारदातें कीं। रामचंद्र पर हत्या, हथियार लूट के केस हुए।
रामचंद्र कहते हैं कि जब जेल से निकला तब अपनी पांच बेटियों व एक लड़के की परवरिश की चिंता थी। एक सच जाना कि हथियार से समस्या नहीं सुलझती। हमारा गांव नक्सली वारदातों से बदनाम हो रहा था। सोचा कि कुछ ऐसा करें कि मिसाल बने। मुख्यधारा से जुड़े।
रामचंद्र के बगीचे में आम के 100 पेड़, खूब होती पैदावार
वह आगे कहते हैं कि साल 2015 में अपनी जमीन पर आम के कुछ पौधे लगाए। पेड़ बड़े हुए तो इतनी आमदनी हुई कि परिवार पलने लगा। दो वर्ष पहले सरकार से भी मदद मिली, मनरेगा के तहत हमारी जमीन पर आम के 48 पौधे लगाए गए। इन पौधों में अपना संसार बसाया है। दिन रात मेहनत की, जो रंग लाई। आज आम के 100 पेड़ों का बागान है। इस साल 10 क्विंटल आम उत्पादन किया। गर्व है कि गांव का सबसे बड़ा आम उत्पादक किसान हूं।
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