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सोनपापड़ी के हैं शौकीन तो यहां आना न भूलें, इतनी टेस्‍टी कि बंगाल से लेकर बिहार तक हैं इसके दीवाने

कोयलांचल की सोनपापड़ी बड़ी कंपनियों को मात दे रही है। यहां छोटे-छोटे कारखानों में बेसन घी और चीनी से बेहद स्‍वादिष्‍ट सोनपापड़ी तैयार किए जाते हैं। बिहार से लेकर बंगाल तक इन्‍हें सड़क मार्ग से भेजा जाता है। धनबाद में सोनपापड़ी के कई कारखाने 50 साल से भी अधिक पुराने हैं। बाजार में 200 से लेकर 440 रुपये तक की साेनपापड़ी बनाई जाती है।

By Sumit Raj AroraEdited By: Arijita SenUpdated: Thu, 14 Sep 2023 02:26 PM (IST)
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कोयलांचल की सोनपापड़ी के स्‍वाद के कायल हैं लोग
सुमित राज अरोड़ा, झरिया। झरिया की सोनपापड़ी की मिठास केवल झारखंड ही नही, बल्कि बिहार व बंगाल में भी अपनी पकड़ बनाए हुए है। कारखाना संचालक बाहर से कारीगर मंगवाकर सोनपापड़ी बनाते हैं। कारीगरों के खाने-पीने से लेकर रहने का सारा खर्चा कारखाना संचालक उठाते हैं।

कोयलांचल की सोनपापड़ी बनी लोगों की पसंद

झरिया कोयलांचल में वर्षो से सोनपापड़ी का कारोबार चलता आया है। लोगों के पसंद का ख्याल रखते हुए पिछले कई वर्षो से शुद्ध घी का सोनपापड़ी बनाया जा रहा है।

झरिया के कोयरीबांध व गोलघर में कई छोटे कारखानाें में सोनपापड़ी बनाई जाती है। ये कारखाने लगभग 50 वर्ष पुराने हैं।

बेसन, चीनी व घी का दाम बढ़ने से सोनपापड़ी की कीमत तेज हुई है। इसके बावजूद कोयलांचल की सोनपापड़ी पड़ोसी राज्यों में अपनी पकड़ बनाये रखी है।

कई राज्‍यों में भेजी जा रही य‍हां की सोनपापड़ी

प्रतिदिन सड़क मार्ग से बंगाल व बिहार के विभिन्न राज्यों में सोनपापड़ी भेजी जाती है। मध्यम वर्ग के लोगों का ख्याल रखते हुए कारखाना संचालक कम दाम के भी सोन पापड़ियों को भी बाजार में उतारे हुए हैं। ताकि मध्यम वर्ग के लोग भी सोनपापड़ी का स्वाद ले सके। बाजार में 200 से लेकर 440 रुपये तक की साेनपापड़ी बनायी जाती है।

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बड़ी कंपनियों को दे रहा बराबर की टक्कर

लोगों के स्वाद को ध्यान में रखकर कई बड़ी कंपनियां सोनपापड़ी अलग-अलग स्वाद पर बना कर बाजार पर उतार रही है। वहीं बड़ी कंपनियों के सोनपापड़ी के बाजार में उतरने से कई लघु उद्योगों के सोनपापड़ी संचालकों का कारोबार थोड़ा कम हुआ है। लोगों के स्वाद का ध्यान रखते हुए वह विभिन्न प्रकार के सोनपापड़ी बनाने से बाजार में बड़ी कंपनियों को बराबर का टक्कर दे रही है।

50 वर्षो से सोनपापड़ी बनाया जाता है। पिताजी के गुजर जाने के बाद हम सब भाई मिलकर कारखाना का भागदौड़ संभाले। पहले कम लागत में ज्यादा सोनपापड़ी बन जाता था। जैसे जैसे सामानों की कीमतों में तेजी आ रही है। वैसे वैसे सोनपापड़ी की कीमत बढ़ती जा रही है- आर गुप्ता थोक कारखाना संचालक झरिया कोयरीबांध।

लोगों के पसंद के अनुसार दुकान में हर प्रकार की सोनपापड़ी मंगाई जाता है। ताकि लोगों को उसके स्वाद के अनुसार सोनपापड़ी मिल सके। मध्यम वर्ग के लोग दाम ज्यादा होने के कारण बड़ी कंपनियों की सोनपापड़ी से ज्यादा कोयलांचल की सोनपापड़ी पसंद करते है- सौरभ अग्रवाल खुदरा दुकानदार झरिया।

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