मकर संक्रांति के मौके पर लोगों मेंपतंगबाजी को लेकर एक अलग ही उत्साह रहता है। आज के दिन अपने घर की छतों के ऊपर चढ़कर पतंगबाजी करते हैं। इसी सिलसिले में झरिया के बाजार में भी पतंग पतंग खरीदने की होड़ लगी रही। हालांकि लोगों में प्रतिबंधित चाइनीज धागे को लेकर भी डर का माहौल है। इससे जान को जोखिम रहता है।
संवाद सहयोगी, झरिया। कोयलांचल झरिया की पतंगबाजी का दौर आज का नहीं है। यह राजा-महाराजाओं के समय से चला आ रहा है। हर वर्ग के लोग आज के दिन अपने घर की छतों के ऊपर चढ़कर पतंगबाजी करते हैं। सुबह से देर शाम तक आसमान पर रंग-बिरंगे पतंगें लहराते रहते हैं। यह ऐसा त्योहार है, जिसे सभी मिलकर मनाते हैं।
शहर में प्रतिंबंधित चाइनीज डोर का खौफ
बच्चे से लेकर बूढ़े तक सभी उम्र के लोग पतंगबाजी का लुत्फ उठाते हैं। स्थानीय झरिया निवासी प्रदीप कुमार ने कहा कि एक दौर था जब हम लोग सुबह से ही कच्चे धागे को मांझा करने में लगे रहते थे।
सभी उसी प्रकार के धागा से पतंगबाजी किया करते थे, लेकिन अब समय बदल गया है। शहर में प्रतिबंधित चाइनीज डोर ने अपनी जगह बना ली है, जो काफी घातक है। प्रशासन को इस प्रकार के चाइनीज डोर पर रोक लगाना चाहिए।
बनारस और कोलकाता से मंगाया जा रहा चाइनीज धागा
कटी डोर वाले पतंग बाजारों में उड़ते हुए वाहन चालकों के लिए परेशानी व हादसे का सबब बनते है। पक्षी डोर से उलझने के कारण कई बार अपनी जान भी गवा चुकी है। मगर नौजवान पीढ़ी जानने के बावजूद भी इसका इस्तेमाल कर रहे है।
खुदरा दुकानदारों ने बताया कि बनारस व कोलकाता से चाइनीज धागा को मंगवाया जाता है। धनबाद के पुराना बाजार, जाेराफाटर, झरिया गांधी रोड़, केला पट्टी, सहित कई स्थानों से चाइनीज धागा का थाेक कारोबार किया जाता है। लोगों की मांग के अनुसार चाइनीज धागा बेचना पढ़ता है।
ऐसे बनता है चाइनीज धागा
कम लागत में विभिन्न कंपनी बाजार में चाइनीज धागों को बाजार में उतारती है। यह धागा केजी के दर पर लोगों को उपलब्ध कराया जाता है। यह चाइनीज डोर प्लास्टिक धागे व लोहे के पाउडर से बनाई जाती है, जाे लोगों के लिए खतरनाक व जानलेवा साबित हो रही है।
बचपन से ही हम लोग पतंगबाजी करते आए है। पहले एक माह पहले से ही धागों को मांझा करने लगते थे। पर अब कई कंपनियां है जो कम लागत में पतंग के लिए मजबूत धागा बाजार में उतार दी है। कुछ वर्षों से बाजार में प्लास्टिक के चाइनीज धागा आया है। जो लोगों की पहली पसंद बनी हुई है- मनीष मल्लीक, छात्र झरिया।
जबसे होश संभाला हूं पतंगबाजी किया हूं। आज का दिन हमेशा इंतजार करता हूं। लेकिन अब पतंग की कीमत आसमान पर है। वही पहले धागों को मांझा कर के पतंग उड़ाया करता था लेकिन अब चाइनीज धागा ने सब कुछ बदल दिया है- सौरभ शर्मा, झरिया।
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