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किस्‍सा जब शरद यादव ने पढ़ाया था अनुशासन का पाठ...वरिष्‍ठ जदयू नेता सुशील कुमार सिंह ने खोला यादों का पिटारा

धनबाद से शरद यादव का पुराना रिश्‍ता रहा है। उन्‍होंने एक बार यहां जदयू के एक सेमिनार को संबोधित किया था। पार्टी के वरिष्‍ठ नेता सुशील कुमार सिंह ने उनके निधन पर उन पुराने किस्‍सों को साझा किया है जब उन्‍होंने कार्यकर्ताओं को अनुशासन का पाठ पढ़ाया था।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Fri, 13 Jan 2023 11:13 AM (IST)
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शरद यादव के निधन पर नेताओं ने किया उन्‍हें याद
जागरण संवाददाता, धनबाद। पूर्व केंद्रीय मंत्री व समाजवादी नेता शरद यादव का गुरुवार को निधन हो गया। शरद यादव का कोयलांचल से भी गहरा रिश्ता था। शरद यादव अंतिम बार धनबाद 11 अगस्त 2012 को आए थे। उस वक्त वह दो दिन मैथन में कैंप किए थे और जदयू के एक सेमिनार को संबोधित किया था। उस सेमिनार के आयोजन समिति के अध्यक्ष रहे वरिष्ठ जदयू नेता सुशील कुमार सिंह ने बताया कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मैथन में एक राजनीतिक सेमिनार आयोजन करने का निर्देश दिया था। उस सेमिनार में उन्होंने जदयू के तत्कालीन अध्यक्ष शरद यादव को बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया था। सेमिनार का विषय था देश की राजनीति में वैचारिक शून्यता, उद्देश्य विहीन राजनीति एवं कार्यकर्ताओं में अनुशासनहीनता।

सेमिनार में बिहार से भी मंत्री हुए थे शामिल

शरद यादव ने इस सेमिनार में अनुशासन का पाठ कार्यकर्ताओं को पढ़ाया था। पूरे झारखंड से 1800 कार्यकर्ताओं ने इस शिविर में भाग लिया था। बिहार से नीतीश सरकार के मंत्री नरेंद्र सिंह, श्याम रजक, राज्यसभा सदस्य गुलाम रसूल बलियावी, झारखंड सरकार के मंत्री राजा पीटर एवं जदयू के प्रदेश अध्यक्ष खिरू महतो भी इसमें शामिल हुए थे। सुशील सिंह ने बताया कि कार्यक्रम स्थल मैथन का नाम इस सेमिनार के लिए लोहिया नगर रखा गया था। इस दो दिवसीय सेमिनार का लाभ पार्टी के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को मिला था। सुशील सिंह ने शरद यादव के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि शरद यादव के निधन से देश ने एक बड़ा नेता खो दिया है।

शरद यादव के निधन पर राज्‍य के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी दुख जताया है और इसे भारतीय राजनीति के लिए अपूरणीय क्षति बताया है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर ट्वीट करते हुए लिखा है, श्री शरद यादव जी के निधन से दुखी हूं। अपने लंबे राजनीतिक जीवन में उन्होंने खुद को सांसद और मंत्री के रूप में प्रतिष्ठित किया है। वह डॉ. लोहिया के आदर्शों से बेहद प्रभावित थे। मैं हमारे बीच हुई बातचीत को हमेशा संजो कर रखूंगा। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं। ओम शांति।

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