तेज धमाके के साथ खदान में भरने लगा धुआं, 43 श्रमिकों की हुई मौत, खान विस्फोट का दिल दहला देने वाला मंजर..
आज ही के दिन यानी कि 1976 को सुदामडीह खदान में हुए विस्फोट से पूरा कोयलांचल दहल उठा था। कुल 43 खनिकों ने अपना बलिदान दिया था। वह मंजर काफी दर्द भरा था जब खदान से श्रमिकों के शव निकाले जा रहे थे और बाहर स्वजनों की चीख-पुकार मची थी। आज उन्हीं अमर बलिदानियों की 47वीं पुण्यतिथि मनाई जाएगी। खान विस्फोट की यादें अब भी लोगों के जेहन में हैं।
By Govind Nath SharmaEdited By: Arijita SenUpdated: Wed, 04 Oct 2023 10:16 AM (IST)
संसू, चासनाला। सेल बीएसएल की चासनाला कोलियरी के डीप माइंस खान में 27 दिसंबर, 1975 को हुई जल प्लावन की घटना से लोग अभी उबर भी नही पाए थे कि सुदामडीह में एक और बड़ा हादसा हो गया था। चार अक्टूबर सन् 1976 का दिन कोयला श्रमिक कभी नही भूल पाएंगे। इसी दिन सुदामडीह खदान में हुए विस्फोट में 43 श्रमिकों ने बलिदान दिया था।
घटना के वक्त काम में मशगुल थे सभी श्रमिक
बुधवार को उन अमर बलिदानियों की 47वीं पुण्यतिथि मनाई जाएगी। खदान में काम करने वाले सुदामडीह बस्ती निवासी सेवानिवृत्त नटवर महतो ने कहा कि बीसीसीसीएल पूर्वी झरिया क्षेत्र अंतर्गत सुदामडीह साॅफ्ट माइंस खदान की शुरुआत एक मार्च वर्ष 1962 को हुई थी।
तब यह खदान एनसीडीसी के अधीन था। 1969 में खदान में उत्पादन शुरू हुआ था। 1976 में चार अक्टूबर के दिन हम सभी काम कर रहे थे। हमारी ड्यूटी खदान के 11-12 नंबर सीम के छह नंबर राइज में थी।
यह भी पढ़ें: ISIS के तीनों खूंखार आतंकियों को रिमांड पर लेगी रांची NIA, धार्मिक स्थलों पर बम विस्फोट का बना रहे थे प्लान
जोरदार धमाके के साथ खदान में मची अफरा-तफरी
अपनी बात को जारी रखते हुए उन्होंने आगे कहा, सुबह 8.40 बजे अचानक जोरदार धमाका हुआ व खदान के अंदर धुआं भर गया। चारों तरफ कोल डस्ट उड़ने लगा। सभी घबरा गए। खदान में अफरा-तफरी मच गई।खदान से लगभग नौ बजे किसी तरह बाहर निकले। तब पता चला कि 15 नंबर सीम हारिजन में विस्फोट के साथ आग लग गई थी।
हादसे में 43 कर्मी की जान चली गई थी। श्रमिकों के जले शव जब खदान से बाहर निकाले गए, तो स्वजनों की चीख-पुकार से पूरा माहौल गमगीन हो गया था।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।