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Lockdown/Covid Impact: सिंगल सिनेमाघरों की हालत खराब, खुलने के आसार कम

झारखंड सरकार ने सिनेमाघर खोलने की अनुमति दे दी है। 50 फीसद क्षमता के साथ सिनेमाघरों का संचालन किया जा सकता है। बावजूद इसके सिनेमाघरों की हालत काफी खराब है। खासकर सिंगल स्क्रीन वाले सिनेमाघरों पर तो कोविड की जबरदस्त मार पड़ी है।

By Atul SinghEdited By: Updated: Fri, 02 Jul 2021 10:36 AM (IST)
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झारखंड सरकार ने सिनेमाघर खोलने की अनुमति दे दी है। (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)
जागरण संवाददाता, धनबाद : झारखंड सरकार ने सिनेमाघर खोलने की अनुमति दे दी है। 50 फीसद क्षमता के साथ सिनेमाघरों का संचालन किया जा सकता है। बावजूद इसके सिनेमाघरों की हालत काफी खराब है। खासकर सिंगल स्क्रीन वाले सिनेमाघरों पर तो कोविड की जबरदस्त मार पड़ी है। फिलहाल अगले कुछ दिनों तक सिंगल स्क्रीन खुलने के आसार बेहद कम है।

आइनाक्स मल्टीप्लेक्स भी खोलने पर अभी तक निर्णय नहीं ले सका है। शुक्रवार को संभवना है कि आइनाक्स कोई निर्णय ले लेगा। सिनेमाघर संचालन नहीं करने को लेकर सिनेमाघर मालिक कई कारण गिना रहे हैं। झारखंड सिनेमा प्रदर्शक संघ के सचिव प्रशांत कुमार सिंह ने बताया कि बिहार में सिनेमाघर बंद है। इसकी वजह से फिल्में नहीं आ पाएंगी। मुंबई भी अभी पूरी तरह से खुल नहीं सका है।

इसके कारण नई फिल्में नहीं आ पा रही हैं। कोविड की तीसरी संभावित लहर भी कारण है। पिछली दफा मार्च में अनलाक होने से चार से पांच लाख खर्च कर तैयारी की और एक सप्ताह बाद ही लाकडाउन लग गया। सारा पैसा बर्बाद हो गया। फिर से वहीं स्थिति न बन जाए।

इसके अलावा झारखंड सरकार की ओर से किसी भी तरह का आर्थिक सहयोग न मिलना बड़ा कारण है। डेढ़ वर्ष से सिनेमाघर बंद है। बिजली, जीएसटी, होल्डिंग टैक्स, यूजर चार्ज, मनोरंजन टैक्स, कर्मचारियों के वेतन के आर्थिक बोझ ने कमर तोड़कर रख दी है। मुख्यमंत्री से कई दफी मिलने का प्रयास किया गया। मांगपत्र भी फैक्स और डाक से भेजा गया। न सीएम ने मिलने का समय दिया और न ही सिनेमाघरों की सुध ली। कई पड़ोसी राज्यों में जीएसटी और मनोरंजन कर समेत अन्य टैक्स में छूट दे दी गई है। झारखंड में ऐसी कोई सुविधा नहीं मिली।

सिनेमाघरों को जीवित करने की मांग

- झारखंड एकल स्क्रीन सिनेमा व्यवसाय को रुग्ण उद्योग घोषित करें।

- झारखंड एकल स्क्रीन सिनेमा को पांच वर्ष के लिए जीएसटी में रियायत मिले, बहुत से राज्यों से इसे मुक्त कर दिया है।

- झारखंड एकल सिनेमा को अत्यधिक होल्डिंग टैक्स देना पड़ता है, इससे मुक्ति दिलाएं या फिर पांच वर्ष के लिए राहत मिले।

- 2020 से सभी सिनेमाघर बंद हैं। इस आधार पर सरकार 2020 एवं 2021 का लाइसेंस फीस लिए बिना ही लाइसेंस रिनुअल करें। एकल स्क्रीन सिनेमा को लाइसेंस रिन्यूअल फीस से भी मुक्त करें।

- 16 मार्च 2020 से लाकडाउन है। इसके चलते कर्मचारी वेतन बिना पीएफ काटे एवं सिनेमा रखरखाव में खर्च होने से लगातार नुकसान हुआ है। इससे निजात दिलाने एवं सिंगल स्क्रीन को जीवन देने के लिए लाकडाउन अवधि का बिजली बिल एवं फिक्स चार्ज माफ करें।

- लाकडाउन अवधि का संपूर्ण होल्डिंग टैक्स माफ किया जाए।

- एकल स्क्रीन सिनेमा में कर्मचारी भविष्यनिधि संगठन में लाकडाउन अवधि तक राहत मिले।

- झारखंड के एकल स्क्रीन सिनेमा को बैंक से लोन दिलाने की सुविधा दिलाई जाए, अभी एकल स्क्रीन को कोई भी बैंक लोन नहीं दे रहा है।

सीएम से मिलने के लिए कब कब मांगा समय

- 22 दिसंबर 2020

- नौ जनवरी 2021

- 23 जनवरी 2021

आंध्रप्रदेश सरकार ने तो सिनेमाघरों को काफी राहत दी है। तीन माह का बिजली बिल और छह माह का होल्डिग टैक्स माफ कर दिया। एमएसएमई के तहत दस लाख रुपये का ऋण 4.8 फीसद की सब्सिडी पर दिया है। पश्चिम बंगाल ने भी छह फीसद स्टेट जीएसटी में छूट दे दी है। झारखंड में कोई राहत नहीं मिली है। राज्य के मुख्यमंत्री को 20 से अधिक पत्र स्पीड पोस्ट, साधारण डाक और अन्य तरीकों से भेज चुके हैं। इसके बावजूद सीएम सिनेमाघर संचालकों से नहीं मिले। बंद अवधि लगभग 30 लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ा।

- प्रशांत कुमार सिंह, संचालक पूजा टाकीज

सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों की हालत ठीक नहीं है। सरकार को राहत देनी चाहिए। एक तो वैसे भी इतनी देर से सिनेमाघर खोल रहे हैं, उसमें भी कोई रियायत नहीं दी गई है। ऐसे में तो सिगल स्क्रीन वालों की कमर ही टूट जाएगी। सिनेमाघरों को चालू करने के लिए दो से तीन लाख खर्च कर पहले की तरह व्यवस्था बनानी होगी।

- नीतेश शाहाबादी, संचालक रे टाकीज

झारखंड सिनेमा प्रदर्शक संघ की ओर से तीन साल तक जीएसटी नहीं लेने, बिजली के फिक्स चार्ज को माफ करने सहित अन्य मांगों का पत्र सरकार को सौंपा गया था। मांगें नहीं मानी गई। इससे झरिया व धनबाद ही नहीं पूरे राज्य के सिनेमाघर संचालक मायूस हैं। सिनेमाघर संचालकों की समस्याओं का समाधान सरकार को करना चाहिए।

- साधवेंद्र सिंह, संचालक उषा टाकिज

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