धनबाद में वीर बाल दिवस में सिख समुदाय का दिखा अनूठा अंदाज, बच्चों ने दस्तार पहन निकाली रैली
धनबाद में वीर बाल दिवस के अवसर पर सिख समुदाय के बच्चों ने दस्तार पहनकर रैली निकाली। रैली चार साहिबजादों और माता गुजरी को समर्पित की गई जिसमें इनके बलिदान की दास्तां लोगों को सुनाई गई। महिलाएं भी इस दौरान भजन-कीर्तन करती रहीं।
By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Mon, 26 Dec 2022 12:56 PM (IST)
आशीष सिंह, धनबाद। 'वेला आ गया ए दादिये जुदाई दा, असां हुन मुड़के आउना नई' यानि अब दादी आपसे विदा लेने का समय आ गया है अब हम लौट कर नहीं आएंगे, यह कहते हुए सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के दोनों छोटे साहबजादे बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह अपनी दादी माता गुजर कौर से विदा लेते हैं। हर बच्चे की जुबां से एक स्वर में यह सुनने को मिला। धनबादवासी भी पहली बार ऐसा नजारा देख अचंभित थे। मौका था वीर बाल दिवस के अवसर पर माता गुजर कौर और चार साहिबजादे के बलिदान के अवसर पर आयोजित जागरूकता रैली की।
धनबाद में दिखा सिख समुदाय का अनूठा अंदाज
चार साहबजादों का तैल चित्र आकर्षक गाड़ियों में सुशोभित था। भुजंगी बच्चे और नगर कीर्तन करती महिला संगत ने सभी को भावविभोर कर दिया। 26 दिसंबर 1704 को श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों को मुगल शासक ने दीवारों में ईंटें लगाकर जिंदा चिनवा दिया था। इसी वर्ष से भारत सरकार ने 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाने का निर्णय लिया है। धनबाद में भी सिख समुदाय की ओर से यह विशेष दिवस अनूठे अंदाज में मनाया गया।
सुनाई गई माता गुजरी और चारों साहिबजादों के बलिदान की दास्तां
सिख समुदाय के साथ-साथ धनबाद के अन्य समुदाय के लोग भी गर्व से भर गए। बलिदानी दिवस के अवसर पर गुरुनानकपुरा गुरुद्वारा जोड़ाफाटक से लेकर मटकुरिया गुरुद्वारा तक लगभग एक हजार बच्चों ने केसरी दस्तार पहनकर रैली निकाली। माता गुजरी और चारों साहिबजादों के बलिदान के बारे में लोगों को बताया। रैली चार साहिबजादों और माता गुजरी को समर्पित की गई। गुरुनानकपुरा जोड़ाफाटक गुरुद्वारा से प्रारंभ होकर रैली पुराना बाजार, बैंक मोड़ बड़ा गुरुद्वारा होते हुए मटकुरिया श्री गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा पहुंचकर संपन्न हुई।
धर्म की रक्षा के लिए नहीं झुकाया मुगलों के आगे शीश
सिख धर्म की रक्षा के लिए खुद की जान तक कुर्बान कर दी, लेकिन बर्बर मुगलों के सामने शीश नहीं झुकाया। न अपना धर्म बदला और न ही अंतिम समय तक झुकने को तैयार हुए। सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादे बाबा अजीत सिंह जी, बाबा जुझार सिंह जी, बाबा जोरावर सिंह जी और बाबा फतेह सिंह जी की याद में यह आयोजन किया गया। रास्ते भर कीर्तन कर संगतों को कीर्तन मंडली ने निहाल किया। कार्यक्रम के सफल आयोजन में बैंक मोड़ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, गुरुनानकपुरा श्री गुरु सिंह सभा और मटकुरिया श्री गुरु सिंह सभा कमेटी के सदस्यों का विशेष योगदान रहा।
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