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जमीन नहीं मिलने से बीसीसीएल की परेशानी बढ़ी, पांच हजार करोड़ का प्रोजेक्ट अटका, चेयरमैन ने जताई चिंता

बीसीसीएल समेत पूरे कोल इंडिया को नई परियोजनाओं को शुरू करने के लिए जमीन संबंधी समस्‍या झेलनी पड़ रही है। बताया जाता है कि केवल बीसीसीएल की पांच हजार करोड़ रुपये की परियोजनाएं जमीन नहीं मिलने के कारण शुरू नहीं हो पा रही हैं।

By Deepak Kumar PandeyEdited By: Updated: Sat, 03 Sep 2022 10:02 AM (IST)
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लगातार कंपनी स्तरीय मामलों को लेकर समीक्षा की जा रही है।

धनबाद [आशीष अंबष्ठ]: बीसीसीएल समेत पूरे कोल इंडिया को नई परियोजनाओं को शुरू करने के लिए जमीन संबंधी समस्‍या झेलनी पड़ रही है। बताया जाता है कि केवल बीसीसीएल की पांच हजार करोड़ रुपये की परियोजनाएं जमीन नहीं मिलने के कारण शुरू नहीं हो पा रही हैं। जमीन की अनुपलब्‍धता को लेकर कोल इंडिया के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल ने भी चिंता जताई है।

शुक्रवार को उन्‍होंने कोलकाता में कंपनी की ओर से आयोजित कोल लॉग इंडिया 2022 में कहा कि कोयला कितना उपलब्‍ध है, कितना उत्पादन कर रहे हैं, इससे अधिक जरूरी यह है कि पावर प्लांटों में स्टॉक पर्याप्त है या नहीं। इस पर ध्यान देने की जरूरत है।देश में कोयला का प्रचूर भंडार है। इस दिशा में लगातार सर्वे किए जा रहे हैं। हालांकि नए प्रोजेक्ट को चालू करने में जमीन की समस्याएं आ रही हैं। इन समस्याओं का कैसे समाधान किया जाए, इस पर गहन चिंतन और मंथन की आवश्यकता है। उन्‍होंने कहा कि लगातार कंपनी स्तरीय मामलों को लेकर समीक्षा की जा रही है।

बेहतर मुआवजा नीति तैयार करने की हो रही पहल

दूसरी तरफ, रैयतों से जमीन मिलने में हो रही परेशानी को देखते हुए कोल इंडिया प्रबंधन बेहतर मुआवजा नीति तैयार करने में जुट गया है। इसको लेकर राष्ट्रीय राजमार्ग की मुआवजा नीति के साथ नौकरी देने के भी प्रावधान पर विचार किया जा रहा है। इसको लेकर हर कंपनी से प्रस्ताव मांगा गया है, अंतिम निर्णय लिया जा सके। कोयला मंत्रालय से भी इस पर विचार विमर्श किया गया है। वहां से सकारात्मक आश्वासन मिलने के बाद कोल इंडिया ने यह कदम बढ़ाया है।

बीसीसीएल में जमीन के अभाव में जो परियोजनाएं अटकी हुई हैं, उनमें कतरास, सिजुआ, वेस्टर्न झरिया, कपुरिया, लोहापट्टी, मुनीडीह, चांच विक्टोरिया में दहीबाड़ी, दामागोड़िया, बरोरा, फुलारीटांड़ आदि क्षेत्र के प्रोजेक्‍ट शामिल हैं।

समस्‍या के समाधान के लिए उच्‍च स्‍तरीय कमेटी का किया गया गठन

बीसीसीएल में जमीन नहीं मिलने के कारण खनन परियोजना शुरू करने में आ रही दिक्कतों को लेकर उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी ने जमीन संबंधित मामलों को लेकर मंथन शुरू कर दिया है। कमेटी की बैठक कोयला भवन में हुई। इसके चेयरमैन महाप्रबंधक एस द्विवेदी बनाए गए हैं, जबकि सदस्य के रूप में सिजुआ के महाप्रबंधक जितेंद्र मल्लिक, कतरास जीएम एके सिंह, चांच विक्टोरिया महाप्रबंधक पीके मिश्रा, कोयला भवन के भू संपदा पदाधिकारी एनएल अग्रवाल व जी विश्वास शामिल हैं। कमेटी ने सिजुआ, कतरास वेस्टर्न झरिया, चांच विक्टोरिया सहित अन्य एरिया में जमीन संबंधित मामलों को देखा व उसके निदान को लेकर प्रस्ताव पर विचार विमर्श किया। द्विवेदी ने बताया कि जमीन नहीं मिलने के कारण हर एरिया में एक-दो परियोजना लंबित है। जमीन संबंधित मामलों को लेकर कमेटी में आए प्रस्ताव उच्च प्रबंधन को भेज दिए जाएंगे।

पावर प्लांटों में पर्याप्‍त कोयला स्टाॅक पर ध्यान दें कोयला कंपनियां

कोल इंडिया के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल ने पावर प्लांटों में कोयले का पर्याप्‍त स्टाॅक सुनिश्चित करने को भी कहा है। उन्‍होंने कहा कि इस पर सभी कोयला कंपनियों को ध्यान देने की जरूरत है। कोयला व ऊर्जा मंत्रालय का इस पर दबाव है। सीएमडी के साथ बैठक के दौरान उन्होंने कहा कि देश में कोयले की मांग बढ़ रही है। इस मांग को कोल इंडिया पूरा कर रही है। जो मांग व खपत है, उस कमी को पूरा करने की दिशा में तेजी से काम करने की जरूरत है। लक्ष्य से पीछे रहने वाली कोयला कंपनियों को लक्ष्य प्राप्त करने के लिए कहा। साथ ही मानसून के दौरान खदानों में सुरक्षा के साथ साथ श्रमिकों पर ध्यान देने के लिए कहा।