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Jharia Master Plan: 15 वर्ष काम करने के बाद जेआरडीए के वैधानिक दर्जा पर उठा सवाल, अब विस्तार में भी पेंच

Jharia Master Plan तकरीबन ढाई वर्ष के अंतराल के बाद झरिया पुनर्वास व विकास प्राधिकार बाेर्ड की बैठक अप्रैल महीने में धनबाद में हुई। बैठक में बजट काे स्वीकृति दी गई और इसके रिवाइज मास्टर प्लान काे भी मंजूरी दी गई।

By MritunjayEdited By: Updated: Mon, 28 Jun 2021 11:28 AM (IST)
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झरिया मास्टर प्लान के भविष्य को लेकर प्रभावित परिवार चिंतित ( फाइल फोटो)।
जागरण संवाददाता, धनबाद। 15 वर्ष से अधिक झरिया पुनर्वास व विकास प्राधिकार कार्यरत है। प्रमंडलीय आयुक्त इसके अध्यक्ष, उपायुक्त प्रबंध निदेशक हाेते हैं। सरकार के सचिव भी बाेर्ड में शामिल हाेते हैं। काेल इंडिया के अधिकारी शामिल हाेते हैं। इसका मास्टर प्लान बनाने के लिए काेल इंडिया सचिव व राज्य के मुख्य सचिव व काेल इंडिया चेयरमैन की सदस्यतावाली हाई पावर कमेटी हाेती है। बावजूद इसके इसके वैधानिक दर्जा पर सवाल उठे ताे इसे क्या कहा जाए। पर ऐसा ही हुआ है। खुद सरकार के मुख्य सचिव ने ही जेआरडीए के वैधानिक दर्जे पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला तब उठा जब रिवाइज झरिया मास्टर प्लान काे मंजूरी देने के लिए हाई पावर कमेटी की सिफारिश राज्य के मुख्य सचिव के पास पहुंची। अब पूरा जेआरडीए इस पर नये सिरे से सिर खपाने में लगा है कि इसका वैधानिक दर्जा कैसे तय किया जाए।

कैसे उभरा विवाद

तकरीबन ढाई वर्ष के अंतराल के बाद झरिया पुनर्वास व विकास प्राधिकार बाेर्ड की बैठक अप्रैल महीने में धनबाद में हुई। बैठक में बजट काे स्वीकृति दी गई और इसके रिवाइज मास्टर प्लान काे भी मंजूरी दी गई। रिवाइज मास्टर प्लान में रैयताें के लिए मुआवजा और उनके पुनर्वास की याेजना बनाई गई है। साथ ही बेलगढ़िया स्थित झरिया विहार कॉलाेनी काे प्रधानमंत्री के सपनाें का स्मार्ट सिटी बनाने के लिए भी रिवाइज मास्टर प्लान में प्रावधान किया गया है। केंद्रीय कैबिनेट की अंतिम बैठक में इसके लिए ७३११ कराेड़ रुपये काे स्वीकृति भी दे दी गई। जब यह फाइल राज्य के मुख्य सचिव के पास पहुंची ताे उन्हाेंने इसे मंजूरी देने से पहले जेआरडीए के वैधानिक दर्जा पर सवाल खड़ा कर दिया। बीसीसीएल के संचालन तकनीकि निदेशक चंचल गाेस्वामी के मुताबिक मुख्य सचिव ने पूछा है कि इस अथॉरिटी का वैधानिक दर्जा क्या है। अब बाेर्ड के अध्यक्ष सह प्रमंडलीय आयुक्त हजारीबाग से लेकर एमडी धनबाद उपायुक्त तक इसका वैधानिक दर्जा तय करने में लगे हैं।

अधर में स्मार्ट सिटी

मुख्य सचिव व झरिया मास्टर प्लान के हाई पावर कमेटी के सदस्य के इस सवाल की वजह से बेलगढ़िया स्थित झरिया विहार कॉलाेनी काे स्मार्ट सिटी बनाने का प्लान भी अधर में लटक गया है। स्मार्ट सिटी के तहत कॉलाेनी की सड़काें का पुनर्निर्माण, स्कूल, अस्पतालाें का निर्माण, पेयजल, जलनिकासी, मार्केट कांप्लेक्स, बिजली आपूर्ति की बेहतर व्यवस्था का काम हाेना है। रिवाइज मास्टर प्लान २७,००० से ३७,००० कराेड़ के बीच का है। इसके अतिरिक्त रैयताें के लिए अलग से भवनाें का निर्माण भी कराया जाना है।

झरिया मास्टर प्लान का विस्तार भी रुका

मुख्य सचिव के एक सवाल से रिवाइज झरिया मास्टर प्लान काे मंजूरी ही नहीं बल्कि पुराने झरिया मास्टर प्लान की समय सीमा का विस्तार भी रुक गया है। झरिया मास्टर प्लान वर्ष २००४ में बना था। इसके तहत जेआरडीए का गठन हुआ। मास्टर प्लान की समय सीमा इसी वर्ष अगस्त में खत्म हाे रही है। हालांकि अभी कई काम हाेना बाकी है। यदि जल्द इसे मंजूरी नहीं मिली ताे निर्माणाधीन कार्याें के ठप पड़ जाने का खतरा है। लिहाजा जेआरडीए बोर्ड ने जेएमपी की समय सीमा एक वर्ष बढ़ाने का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा है। इसकी मंजूरी भी फिलहाल जेआरडीए के वैधानिक दर्जा निर्धारित नहीं हाे पाने की वजह से रुका पड़ा है।

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