Ram Mandir : कभी प्रभु श्रीराम के नाम पर चलता था बैंक, चेक पर होती थी राम-लक्ष्मण व सीता की तस्वीर; देखें PHOTO
22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर में भगवान की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन किया जा रहा है। हालांकि यह बहुत कम लोगों को पता होगा कि प्रभु श्रीराम के नाम से बैंक भी चलता था। प्रभु राम लक्ष्मण और सीता मां की तस्वीर भी बैंक के चेक में होती थीं। अतीत के पन्ने बता रहे कि हमारी संस्कृति के कण-कण में राम बसे थे।
तापस बनर्जी, धनबाद। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण हो रहा है, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को है। पर बहुत कम लोगों को पता होगा कि हमारे देश में प्रभु श्रीराम के नाम से बैंक था। प्रभु राम, लक्ष्मण और सीता मां की तस्वीर भी बैंक के चेक में होती थीं। अतीत के पन्ने बता रहे कि हमारी संस्कृति के कण-कण में राम बसे थे।
राजस्थान हो या तमिलनाडु, बैंक के चेक में सनातनी संस्कृति झलकती थी। धनबाद के जामाडोबा निवासी प्रेम कुमार पांडेय ने ऐसी धरोहर को सहेजा है। घर में संग्रहालय बनाया है, जहां बैंक के चेक आज भी सुरक्षित रखे हैं। आज हम आपको ऐसे ही दो बैंक के बारे में बता रहे हैं, जिनमें राम समाए थे।
राजस्थान के डूंगरपुर में था श्रीरामचंद्र लक्ष्मण बैंक
श्री रामचंद्र लक्ष्मण बैंक राजस्थान के डूंगरपुर में था। 19वीं में जब राजाओं का शासन था, तब बैंक की शुरुआत हुई थी। कई दशक तक यह अस्तित्व में रहा। बैंक का कोई लिखित संविधान नहीं था।
डूंगरपुर शासक के मौखिक आदेश पर इसकी स्थापना की गई थी। देश की आजादी के बाद बैंकों का विलय हो गया। श्री रामचंद्र लक्ष्मण बैंक का चेक प्रेम के संग्रहालय में है।
लखनऊ के एनके प्रेस में छपते थे बैंक के चेक
डूंगरपुर स्टेट के इस बैंक के चेक लखनऊ के एनके प्रेस में छपते थे। 1857 के स्वतंत्रता आंदोलन के के करीब एक साल बाद लखनऊ में मुंशी नवल किशोर की ओर से स्थापित प्रकाशन केंद्र यह चेक छपते थे।
यह प्रेस 1865 से 1872 के बीच तेजी से विकसित हुआ। विदेश में पुस्तक निर्यात करने वाला यह बड़ा प्रिंटिंग प्रेस था। प्रेम के पास मौजूद करीब सौ साल पुराने चेक में एनके प्रेस लखनऊ अंकित है।
तमिलनाडु के इस बैंक के चेक में थी राम-सीता व लक्ष्मण की तस्वीर
तमिलनाडु के कराइकुडी में द चेट्टीनाड मर्केंटाइल बैंक लिमिटेड आजादी से पहले 30 अक्टूबर 1933 को अस्तित्व में आया था। 90 साल से अधिक पुराने इस बैंक की खासियत यह थी कि यहां के चेक में प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण व सीता की तस्वीरें थीं।
मां के दादा के संदूक से मिले आस्ट्रेलियन सिक्के ने दिखाई राह
बैंकिंग और बीमा सेक्टर सेक्टर से जुड़े प्रेम जब सात साल के थे, तब मां के दिवंगत दादा का संदूक खोला। उसमें एक आस्ट्रेलियन सिक्का मिला। कुछ लोगों ने कहा- ये सिक्का कहां से ले आए। लोगों का कौतूहल देख वे बैंक नोट और चेक का संग्रह करने लगा।
वक्त के साथ ये उनका जुनून बन गया। नतीजा वे नोटाफिलिस्ट (नोट व चेक संजोकर रखने वाला) बन गए। इस समय उनके पास 283 बैंकों के चेक हैं, आधे से अधिक बैंक अतीत बन चुके हैं। अपने संग्रहालय में उन्होंने ऐसी धरोहरें सहेजी हैं।
अब नहीं बदल सकते चेक का साइज और डिजाइन
प्रेम कहते हैं कि रजवाड़ों के जमाने में चेक के साइज या डिजाइन की कोई बाध्यता नहीं थी। राजा अपनी इच्छा से चेक बड़ा या छोटा रखते थे। मर्जी से चेक पर कोई भी तस्वीर छपवाते थे। चेक पर छपी श्रीराम, लक्ष्मण व सीता की तस्वीर इसका प्रमाण हैं।
बैंक ऑफ इंडिया कभी द बैंक ऑफ इंडिया लिमिटेड था, उसके चेक पर अखंड भारत की तस्वीर छपती थी। अब ऐसा नहीं है। तय मानक के अनुरूप साइज व डिजाइन रखना है। बस चेक के रंग में बदलाव कर सकते हैं।
यह भी पढ़ें: Lok Sabha Election 2024: सीटों बंटवारे पर I.N.D.I.A में मची रार, JMM की डिमांड के आगे झुकेंगे कांग्रेस, राजद व वामदल?