शरद पूर्णिमा आज: बांग्ला समाज के लोग मना रहे लखी पूजा तो मिथिलावासियों के लिए है कोजागरा उत्सव
शरद पूर्णिमा के अवसर पर धनबाद में आज कई धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। विभिन्न समाज के लोगों के लिए यह दिन अलग-अलग रूप में महत्व रखता है। मिथिला समाज के लोग शरद पूर्णिमा को कोजागरा उत्सव के रूप में मना रहे हैं।
जागरण संवाददाता, धनबाद: शरद पूर्णिमा के अवसर पर धनबाद में आज कई धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। विभिन्न समाज के लोगों के लिए यह दिन अलग-अलग रूप में महत्व रखता है। मिथिला समाज के लोग शरद पूर्णिमा को कोजागरा उत्सव के रूप में मना रहे हैं। नवविवाहित दंपती के लिए कोजागरा उत्सव महत्वपूर्ण है। इस त्योहार में मधु, मखान व पान का विशेष महत्व है।
त्योहार में नवविवाहित कन्या के परिवार की ओर से वर पक्ष के घर पहले ही पान, मखान, केला, दही, मिठाई, लड्डू, नए वस्त्र, हल सहित कई अन्य सामग्री भेजी जाती है। नवविवाहित दंपती के जीवन की सुख शांति के लिए इस दिन घर में पूजा अर्चना की जाती है। कोजागरा उत्सव पर महिलाएं पूरे दिन निर्जला उपवास रख शाम में मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करती हैं। परिवार की सुख समृद्धि के लिए कामना करती हैं। इसके बाद घर के बड़े बुजुर्गों के पांव छूकर आशीर्वाद लेती हैं।
बंगाली समाज के लोग मना रहे लखी पूजा
बंगाली समुदाय के लोग शरद पूर्णिमा को लखी पूजा के रूप में पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं। सभी दुर्गा मंदिरों, मंडपों व पूजा पंडालों में जहां-जहां मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की गई थी, वहां मां लखी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की जाएगी। शहर के हरि मंदिर, कोयला नगर दुर्गा मंडप, भुईफाेड़ मंदिर, खड़ेश्वरी मंदिर के साथ दुर्गा पूजा पंडालों में पूजा-अर्चना की जा रही है। पूजा अर्चना के बाद सभी भक्तों के बीच प्रसाद वितरण किया जाएगा। जरूरतमंद लोगों के बीच राहत सामग्री भी बांटी जाएगी।
इस्काॅन धनबाद की ओर से शरद पूर्णिमा पर किया जाएगा दीप-दान
इस्काॅन धनबाद की ओर से शरद पूर्णिमा पर दीप दान का अनुष्ठान किया जाएगा। इस्काॅन के उपाध्यक्ष दामोदर गोविंद दास ने बताया कि यह मास सर्वश्रेष्ठ है। शरद पूर्णिमा की चांदनी में ही ठाकुरजी ने गोपियों संग रास रचाया था। इसलिए ब्रज में इसे रास पूर्णिमा भी कहते हैं। इस अवसर पर इस्काॅन धैया में सत्संग, कीर्तन व प्रसाद वितरण किया जाएगा।
शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा के रूप में मना रहा गुजराती समाज
गुजराती समाज शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा के रूप में मनाता है। गुजराती संस्कृति के अनुसार, रात में सामूहिक रूप से खुले मैदान या छत पर परिवार के सभी सदस्य जुटते हैं। यहां गर्म दूध में चीनी व चूड़ा डालकर या खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे चंद्रमा की रोशनी में रखा जाता है। जब तक चंद्रमा की शीतलता उस खीर में पड़ती है, तब तक कृष्ण के भजनों पर उसी के चारों ओर रास-गरबा का आयोजन किया जाता है। तरह-तरह के गीत गाए जाते हैं। समाज के लोगों में त्योहार को लेकर उत्साह है।