हैप्पी बर्थडे शिबू सोरेन: जब भी मिलता हूं वे मुझे कहते महाशय, मैं उन्हें कहता गुरु दादा
Shibu Soren झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन का 78वां जन्म दिन मनाया जा रहा है। उनका जन्म 11 जनवरी 1944 को झारखंड के हजारीबाग ( अब रामगढ़) जिले में हुआ था। उन्होंने राजनीतिक यात्रा टुंडी से शुरू की। जामताड़ा के बाबा लस्कर सोरेन ने अपनी यादें जागरण से साझा की।
By MritunjayEdited By: Updated: Tue, 11 Jan 2022 08:33 AM (IST)
कौशल सिंह, जामताड़ा। Special Story On Shibu Soren Birthday उन दिनों संताल समाज में खूब बाइसी (समाज की बैठक) हुआ करती थी। समाज के 20 गांव के लोग इकट्ठे होते, कुरीतियों और इसे सुधारने की गुंजाइश तलाशते थे। इसी सिलसिले में 70 के दशक में उनसे मुलाकात हुई थी। मानते तो वे मुझे छोटे भाई की तरह्र हैं, लेकिन मैं एक मित्र भी रहा और उनके सामाजिक कार्य का सहयोगी भी। पूरी दुनिया भले उन्हें अलग-अलग नामों से जानती व पुकारती हो, मगर वे मुझे महाशय कहते हैं और मैं उन्हें गुरु दादा। कुछ इसी अंदाज में शिबू सोरेन के मित्र और सरना धर्म गुरु बाबा लस्कर सोरेन ने गुरुजी के साथ गुजरी अपनी यादें जागरण संवाददाता के साथ साझा कीं।
अकील लखड़ा की हमने मिलकर की थी शुरुआत
तब संताल समाज में शिक्षा का स्तर काफी खराब था। गुरु दादा ने पहल की थी कि हम सब कैसे समाज को शिक्षित करें। तब अकिल लखड़ा की शुरुआत की थी। इसमें गांव से ही एक शिक्षित व्यक्ति को चुनते थे, उन्हें गांव के बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी दी जाती थी। बदले में इन शिक्षकों को हर घर से कुछ अनाज इक_ा कर दिया जाता था। पूरे संताल और धनबाद, गिरिडीह समेत अन्य जिलों में अकिल लखड़ा के माध्यम से दो सौ से भी ज्यादा ग्रामीण विद्यालयों का संचालन होता था। बाद में यह योजना सफल नहीं हो सकी। हां, साक्षरता अभियान के दौरान जरूर अकिल बत्ती नाम से योजना चलाई गई, जो इसी ग्रामीण योजना का एक रूप रहा।
यूं हांडी संदेश पर लग गई पूरी पाबंदी
अक्सर ही बाइसी की बैठकों में गुरु दादा कहा करते थे कि संताल समाज को नशे से कैसे दूर किया जाए। कुछ सोचो। तब संताल समाज में हांडी संदेश का रिवाज था। शादी-विवाह में पहुंचने वाले सभी रिश्तेदार अपने-अपने घरों से एक हांडी लेकर पहुंचते थे, इसमें शराब होती थी। तब गुरु दादा के सुझाव पर हम सबने हांडी संदेश पर पाबंदी लगवाई। इसके बदले चावल या अन्य अनाज रिश्तेदारों को शादी-विवाह में लाने का आग्रह किया। यह तरीका चल निकला। रिश्तेदार शादी के मौके पर अनाज का संदेश लाने लगे। इससे दो फायदे हुए। एक तो शराब नहीं आने से इसे पीने की प्रवृत्ति घटी और दूसरा अनाज आने से शादी वाले घर को भोजन मद में मदद मिलने लगी।
गुरु दादा कहते थे वोट और कोट से दूरी बनाकर रहना हैउन दिनों गुरु दादा का टुंडी इलाके में आना-जाना लगा रहता था। काफी समय वे जामताड़ा में भी गुजारते थे। जामताड़ा गोपालपुर के बाबू लाल सोरेन, करमाटांड़ गोपालपुर के लस्कर सोरेन, तालेडीह के नंदलाल सोरेन और पिपरासोल के झगरू पंडित उनके समूह का हिस्सा थे। गुरुजी कहा करते थे वोट और कोट से हमें दूरी बनाकर रखनी है। बाद में परिस्थितियां बदलीं, पार्टी का गठन कर वे भी सेवा के लिए सक्रिय राजनीति में आए। वर्षों बाद भी जब कभी गुरु दादा मिलते हैं तो उनसे वैसा ही स्नेह मिलता है। ईश्वर उन्हें और लंबी उम्र दे।
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