CBSE Result 2023: यूं ही नहीं टॉपर बनीं श्रेया, बेटी के साथ मां ने भी की खूब मेहनत, ऐसे रखा हर कदम पर ख्याल
सीबीएसई ने कल 10वीं और 12वीं का रिजल्ट जारी कर दिया है जिसमें 12वीं के परिणाम में कला संकाय में श्रेया सुमन में टॉप किया है। श्रेया की इस सफलता में उनके साथ उनकी मां का भी बराबरी का योगदान है।
आशीष सिंह, धनबाद। ममतामयी मां की महिमा का बखान वेद-पुराणों में मिलता है। मां के अलौकिक गुणों का वर्णन किया गया है इसलिए कहा जाता है कि मां की पीड़ा, ममता, त्याग, समर्पण का ऋण कभी नहीं चुकाया जा सकता। बच्चों की सफलता में मां के संघर्ष की कहानी छिपी होती है। यहां भी कुछ ऐसा ही है।
बेटी के साथ-साथ मां ने भी किया तप
एक दिन पहले ही निकले 12वीं के परिणाम में कला संकाय में श्रेया सुमन ने सफलता के झंडे गाड़े और 95.5 प्रतिशत अंक के साथ जिले में दूसरा स्थान पाया। श्रेया की इस सफलता के पीछे मां राज लक्ष्मीप्रिया ने कितना कठिन तप किया है या तो वो मां ही जान सकती है या सफलता का परचम लहराने वाली बिटिया।
सुबह चार बजे से ही शुरू हो जाती थी दिनचर्या
बिटिया की सफलता में मां के संघर्ष की कहानी छिपी हुई है। फिर चाहे सुबह चार बजे उठना हो या देर रात 12 बजे सोना, एक साए की तरह मां राज लक्ष्मीप्रिया ने बेटी श्रेया का ख्याल रखा। बिटिया के साथ मां की भी सुबह होती थी। एक गिलास दूध देकर श्रेया को पढ़ने के लिए बिठा देती थीं।
बेटी को मां सुनाती थी अपने बचपन की कहानियां
इसके बाद घर के दैनिक कार्यों में जुट जाती थीं। सुबह सोकर उठने से लेकर स्कूल जाने, शाम में खेलकूद, फिर पढ़ाई और रात में भोजन के बाद सोने तक श्रेया की मां ने हर छोटी-बड़ी बात का ध्यान रखा। पढ़ाई के समय कभी बेटी तनाव में आ जाती तो अपने पास बिठाकर अपने बचपन की यादें सुनातीं, जिसके बाद श्रेया का मूड बदल जाता। बेटी की सफलता के पीछे है इनका बड़ा योगदान है।
मां ने रखा बेटी के खानपान का खास ख्याल
उन्होंने अपनी बेटी के डाइट का भी खूब ध्यान रखा। सुबह के नाश्ते से लेकर रात के खाने तक हर कुछ बेटी की पसंद का बनाया। साथ स्वास्थ्य का भी रखा ध्यान। मां के इस कठिन समय में पिता संजय कुमार ने भी पूरा साथ दिया। संजय कुमार धनबाद क्रिकेट एसोसिएशन में सहायक सचिव एवं सीएमपीएफ में सीनियर एसएसए के पद पर कार्यरत हैं।
श्रेया को पसंद है दाल-चावल, सब्जी और दही
12वीं विज्ञान में कला संकाय की टापर श्रेया के डाइट का भी मां राजलक्ष्मी ने पूरा ध्यान रखा। खासकर परीक्षा के कुछ महीने पहले से डाइट पूरी तरह से स्वास्थ्यवर्धक दिया। सुबह नाश्ते में क्या देना है, दोपहर का खाना क्या होना चाहिए, रात में कितना और क्या खाना है और सबसे महत्वपूर्ण बेटी की पसंद का था।
राजलक्ष्मी ने बताया कि श्रेया को दाल-चावल, सब्जी और चिकन बहुत पसंद है। हर दिन दोपहर के खाने में दाल-चावल, सब्जी और दही जरूर दिया। बीच-बीच में चिकन या मछली दे दिया करती थी। सुबह के नाश्ते में इडली-सांबर, मैगी-पाश्ता होता था। रात में दूध-रोटी और सब्जी अनिवार्य कर रखा था। यह भोजन काफी पौष्टिक होता है और पढ़ाई में ध्यान केंद्रित करने में मददगार है।
श्रेया की रूटिन में बैडमिंटन है शामिल
हालांकि इन सबके बीच जो कुछ भी बनाकर देती थी, बेटी खा लेती है। इनमें से अधिकतर डाइट चार्ट अभी भी वही है। यह आगे की पढ़ाई में भी काम आएगा। श्रेया सुबह चार बजे उठ जाती है, छह बजे से स्कूल होता था।
स्कूल से घर आने के बाद शाम चार से छह बजे तक पढ़ाई, इसके बाद भाई के साथ बैडमिंटन खेलना रूटीन में शामिल है। शाम सात से रात 11 बजे पढ़ाई के साथ राइटिंग की नियमित प्रैक्टिस होती है।