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ACB की कार्रवाई के बाद सिविल सर्जन ऑफिस में पसरा सन्नाटा, नहीं आए कोई कर्मी; घूस लेते गिरफ्तार हुआ था क्लर्क

सिविल सर्जन कार्यालय के क्लर्क को एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया था। क्लर्क की गिरफ्तारी के बाद दूसरे दिन सर्जन ऑफिस में सन्नाटा पसरा रहा। कई कर्मी कार्यालय नहीं पहुंचे तो कुछ छुट्टी का बहाना बना गायब हो गए। आलम यह है कि सिविल सर्जन कार्यालय के अधिकांश विभाग खाली रहे। हर ओर सन्नाटा पसरा रहा।

By Mohan Kumar Gope Edited By: Shashank ShekharUpdated: Sat, 06 Jan 2024 03:24 PM (IST)
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ACB की कार्रवाई के बाद सिविल सर्जन ऑफिस में पसरा सन्नाटा, नहीं आए कोई कर्मी;
जागरण संवाददाता, धनबाद। सिविल सर्जन कार्यालय धनबाद के क्लर्क को रंगे हाथ एंटी करप्शन ब्यूरो की ओर से पकड़े जाने पर दूसरे दिन विभाग में सन्नाटा पसरा रहा। कई कर्मचारी कार्यालय नहीं पहुंचे तो कुछ कर्मचारी छुट्टी का बहाना बनाकर गायब हो गए। आलम यह हुआ कि सिविल सर्जन कार्यालय के अधिकांश विभाग खाली रहे। हर ओर सन्नाटा पसरा हुआ है।

हालांकि, सिविल सर्जन डॉक्टर चंद्रभानु प्रतापन समय पर ऑफिस पहुंचे। कमरे में भी हुआ अकेले एक दो अधिकारियों के साथ बैठे मिले। ज्ञात हो कि शुक्रवार को सिविल सर्जन कार्यालय के क्लर्क उमेश को एंटी करप्शन ब्यूरो ने ₹4000 घूस लेते रंगे हाथ पकड़ लिया। एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने गिरफ्तार करके क्लर्क को अपने साथ ले गए। घटना के बाद विभाग के अन्य कर्मचारियों में पहुंच गया।

क्लर्क का कमरा भी खाली, नहीं मिला किसी को प्रभार

क्लर्क उमेश का कमरा भी खाली रहा। अन्य दिनों में यह कमरा काफी भरा रहता था। विकलांग प्रमाण पत्र अथवा मेडिकल बोर्ड में शामिल होने के लिए हर दिन आम लोग यहां पहुंचते हैं। लेकिन आज कई क्लर्क के नहीं आने के कारण कई काम भी नहीं हो पाए। इधर दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने के लिए अभी तक किसी दूसरे कर्मचारियों को प्रभार नहीं दिया गया है।

बताया जाता है कि 1 साल पहले दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने का काम सदर अस्पताल को दिया गया था। लेकिन क्लर्क उमेश इस काम को सिविल सर्जन कार्यालय में देख रहा था।

आवास आवंटन के मामले में भी आरोपित था उमेश

सिविल सर्जन कार्यालय के अंतर्गत आने वाले सरकारी क्वार्टर में पैसे देकर क्वार्टर आवंटित करने के मामले में क्लर्क उमेश दोषी था। उनके साथ एक और कर्मचारी नेता शामिल हैं। मामले का खुलासा तब हुआ जब मुख्यमंत्री जन संवाद में इसकी शिकायत की गई।

सचिवालय के निर्देश के बाद उपायुक्त ने मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक को इसके लिए टीम बनाकर जांच का जिम्मा दिया। लेकिन अभी तक सिविल सर्जन कार्यालय की ओर से रिपोर्ट तैयार नहीं की गई। इसी बीच एंटी करप्शन ब्यूरो ने कार्रवाई शुरू कर दी।

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