Akshaya Tritiya 2020: कोरोना से मुक्ति के लिए हो रही विशेष प्रार्थना, 12 घंटे तक जलता रहेगा दीपक
Akshaya Tritiya भगवान ऋषभनाथ (प्रथम तीर्थंकर) ने पस्या करने के बाद बैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि यानी अक्षय तृतीया के दिन इक्षु रस से अपनी तपस्या का पारण किया था।
धनबाद, जेएनएन। Akshaya Tritiya अक्षय तृतीया हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है। जैन समुदाय में भी अक्षय तृतीया विशेष महत्व रखता है। इस दिन जैन समुदाय के लोग उपवास रखते हैं। मान्यता के अनुसार, भगवान ऋषभनाथ (प्रथम तीर्थंकर) ने एक वर्ष की तपस्या करने के बाद बैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि यानी अक्षय तृतीया के दिन इक्षु रस (गन्ने का रस) से अपनी तपस्या का पारण किया था। इस कारण जैन समुदाय में अक्षय तृतीया का दिन विशेष है। वैश्विक कोरोना महामारी की छाया में अक्षय तृतीया मनाई जा रही है। इस माैके पर धनबाद में जैन समुदाय के लोगों ने अपने-अपने घरों में कोरोना से मुक्ति के लिए दीप प्रज्वलित कर विशेष प्रार्थना की।
कहते हैं जहां दवाओं का असर नहीं होता वहां दुआएं काम आती हैं। इसे मिथक कहें या विश्वास। चाहे जो भी हो लेकिन धनबाद के जैन परिवारों ने रविवार को दीपक जलाकर नमोकार मंत्र का जाप शुरू किया है। 12 घंटे तक चलने वाले इस अभियान में यहां के 24 जैन परिवार शामिल हुए हैं। सभी ने अपने-अपने घरों में 48-48 दीपक जलाए और भारत के साथ पूरी दुनिया से कोरोना महामारी का नाश करने की प्रार्थना की।
अक्षय तृतीय के मौके पर जैन धर्म को मानने वाले लोग मंदिरों में जाकर विशेष प्रार्थना करते हैं। लेकिन लॉकडाउन होने के कारण सभी ने अपने घरों में रहकर ही प्रार्थना की। जैन समुदाय के पांच नमोकार मंत्र को सामने रखा। उसके आगे स्वास्तिक का चिन्ह बनाया। इसके उपर 48 दीपक जलाए और अपने परिवार के सदस्यों के साथ मंत्र का उच्चारण किया। इस संबंध में चंद्रविहार कालोनी में रहने वाले जैन समुदाय के प्रवीण जैन ने बताया कि अक्षय तृतीया का यह दिन बहुत ही पावन होता है। इस दिन ही भगवान ने गन्ना का रस रूपी आहार ग्रहण किया था। यही कारण है कि जैन समुदाय में इस दिन का बड़ा महत्व है।
मंदिर जाने पर पाबंदी रहने के कारण वाट्सएप पर सभी समुदाय के लोगों को इस प्रकार से प्रार्थना करने का संदेश भेजा गया। लोग इसके लिए तैयार हुए और अपने गुरू और ईश्वर की अराधना करते हुए कोरोना से मुक्ति की भी प्रार्थना परिवारों ने की है। प्रवीण के परिवार में उनके माता-पित के साथ पत्नी एवं अन्य लोग भी शामिल हुए। इसी प्रकार से कालोनी में रहने वाले मनीष झांझरी, मीनष जैन, पायल जैन, उषा जैन, सरोज, अमित समेत समुदाय के लोगों ने प्रार्थना की है।