Dhanbad में 90 फीसदी तक घटे टीबी के मरीज, टीपीटी कार्यक्रम का दिख रहा जोरदार असर; रोगी के घरवालों को भी दी जा रही दवा
टीबी को 2025 तक जड़ से खत्म करने के अभियान के तहत टीबी प्रिवेंटिव थैरेपी (टीपीटी) कार्यक्रम की शुरुआत की गई। इससे धनबाद में टीबी के मरीज बड़ी संख्या में घटे हैं। 90 फीसदी तक मरीजों की संख्या में गिरावट आई है। एक टीबी के मरीज से 15 लोग संक्रमित हो सकते हैं। ऐसे में घरवालों को भी दवा दी जा रही है।
जागरण संवाददाता, धनबाद। टीबी को 2025 तक जड़ से समाप्त करने के अभियान के तहत शुरू किए गए टीबी प्रिवेंटिव थैरेपी (टीपीटी) कार्यक्रम ने धनबाद में टीबी मरीजों की रफ्तार कम कर दी है। धनबाद में जनवरी 2023 में शुरू किए गए टीपीटी कार्यक्रम का असर यह हुआ कि संक्रमण की चपेट में आने वाले 90 प्रतिशत मरीज कम हो गए हैं।
टीबी मरीजों के स्वजनों पर भी खास ध्यान
प्रत्येक वर्ष ऐसे ढाई सौ मरीज के स्वजन संक्रमित हो रहे थे, लेकिन दवा के बाद इस वर्ष 25 के आसपास मरीज मिले हैं। सिविल सर्जन डा. एसबी प्रतापन ने बताया कि टीबी के मरीज मिलने के बाद उसके घर के कई और सदस्य बाद में संक्रमित हो जाते थे।
इस कारण टीबी पर नियंत्रण नहीं हो पाता था, अब टीपीटी के तहत टीबी के मरीज की दवा शुरू करने के साथ जिला में मरीज के स्वजनों को टीबी प्रिवेंटिव थैरेपी से जोड़ा दिया जा रहा है। इसके तहत स्वजनों ने आइसोनियाजाइड 300 दवा खिलाई जा रही है, जिससे स्वजन संक्रमण की चपेट में नहीं आते हैं।
एक वर्ष में दो हजार टीबी मरीज के स्वजनों को खिलाई गई दवा
टीबी प्रिवेंटिव थैरेपी के तहत धनबाद में एक वर्ष 2023 में दो हजार ऐसे लोगों को दवा खिलाई गई, जो टीबी मरीज के स्वजन हैं, और मरीज के साथ एक साथ रहते हैं। इसमें पिता, पुत्र, माता, पत्नी, भाई, बहन आदि हैं।
विभाग के वरीय सुपरवाइजर कौश्लेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि टीबी के मरीजों के लिए दवा बिल्कुल निशुल्क हैं। इसके साथ टीबी प्रिवेंटिव थैरेपी की दवा भी निशुल्क है। जिला के किसी भी टीबी सेंटर अथावा डाट्स प्लस केंद्र से दवा दी जा रही है। जिला में कुल 3300 टीबी के मरीज हैं।
एक मरीज से 15 लोग तक हो सकते हैं संक्रमित
टीबी से संक्रमण की गंभीरता इसी से लगायी जा सकता है कि एक टीबी के मरीज 15 लोगों को संक्रमित कर सकता है।
टीबी मरीज की दवा यदि शुरू हो जाती है, तो उपचार शुरू होने जाने के 10-15 दिनों के बाद उससे किसी को खतरा नहीं होता। लेकिन, उसके परिवार के सदस्य, जो पहले ही बैक्टीरिया की चपेट में आ चुके होते हैं, उनकी जांच और उपचार नहीं हो पाता। टीपीटी कार्यक्रम के अंतर्गत ऐसे लोगों को दवा से जोड़ा जाता है।
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