नेशनल लेवल पर फुटबॉल खेलकर गोल्ड मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों की दुर्दशा, आटा-चावल बेचकर कर रहे हैं गुजारा
राष्ट्रीय फुटबाल प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतने वाले निचितपुर टाउनशिप कालोनी के दो फुटबाल खिलाड़ी शुभम कुमार व अरूण कुमार का हाल बेहाल है। इन प्रतिभावान खिलाड़ियों की हालत अब कुछ ऐसी हे कि इन्हें अब आटा-चावल बेचकर या फास्ट फूड की दुकान में काम कर गुजारा करना पड़ रहा है। इन्हें आर्थिक तंगी के कारण बीच में ही खेल छोड़ना पड़ गया।
By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Wed, 29 Nov 2023 03:29 PM (IST)
अमृत बाउरी, निचितपुर। राष्ट्रीय फुटबाल प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतने वाले निचितपुर टाउनशिप कालोनी के दो फुटबाल खिलाड़ी शुभम कुमार व अरूण कुमार का हाल बेहाल हैl शुभम कुमार निचितपुर टाउनशिप कालोनी में आटा-चावल बेचने को विवश है l
झारखंड की तरफ से खेलकर जीत चुके हैं गोल्ड
उसने अपने स्वजनों के भरण पोषण के लिए एक छोटा सा दुकान खोला है l आर्थिक तंगी के कारण उसका खेल छूट गया है l पंचायति युवा क्रीड़ा खेल एसोसिएशन के द्वारा वर्ष 2019 में दिल्ली में हुई पंचायती युवा क्रीड़ा खेल एसोसिएशन कप फ फुटबाल प्रतियोगिता में उसने झारखंड की ओर से खेला था और अपने टीम को जीत दिलाने में सहयोग किया था l इसके लिए शुभम को गोल्ड मेडल मिला था।
अब भूख मिटाने के लिए चलाते हैं दुकान
शुभम ने बताया कि आर्थिक तंगी के कारण उसका खेल छूट गया। खेल के लिए सरकारी स्तर से कोई मदद नहीं मिली है l अपने व स्वजनों के पेट की भूख मिटाने के लिए एक छोटा सा दुकान खोले हैं l दुकान खोलने के लिए अपने पिता से कुछ राशि लिए हैं l उसी राशि से दुकान में पूंजी लगाएं हैं।WhatsApp पर हमसे जुड़ें. इस लिंक पर क्लिक करें
सड़कों पर मारे-मारे फिर रहे हैं खिलाड़ी
निचितपुर टाउनशिप कालोनी में ही रहने वाले अरूण कुमार भी दिल्ली में 2019 में हुई इसी राष्ट्रीय फुटबाल प्रतियोगिता में खेला और झारखंड की टीम को फाइनल मैच में जीत दिलाने में सहयोग किया।इस प्रतियोगिता उसे भी गोल्ड मेडल मिला लेकिन यह खिलाड़ी सड़को पर मारे-मारे फिर रहे हैं l इनके पिता गोपाल बड़की बौआ मोड़ के पास एक फास्टफूड की दुकान में काम करते हैं।
अरूण भी अपने पिता को काम में सहयोग करने के लिए कभी-कभी दुकान जाते हैं l अरूण ने बताया कि आर्थिक तंगी के कारण उसका खेल छूट गया है lयह भी पढ़ें: ससुराल की चौखट पर मां ने छोड़ा दुखियारी बेटी का शव, फिर में अंतिम यात्रा में नहीं शामिल हुआ दामाद; सालगिरह के दिन विवाहिता की मौत
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