कोल इंडिया में तीन दिनी हड़ताल का खदानों पर पड़ेगा चार दिन असर, लाखों टन कोयले का उत्पादन होगा प्रभावित
कोल इंडिया में पांच अक्टूबर से तीन दिनी हड़ताल का असर अगले चार दिनों तक खदानों में कोयले के उत्पादन पर पड़ने की संभावना है। श्रमिकों की हड़ताल की तैयारी से प्रबंधन की नींद उड़ गई है। पांच से सात अक्टूबर तक हड़ताल में वेतन समझौते के मुद्दे को उठाया जाएगा। इस तीन दिनी हड़ताल से सभी परेशान हैं।
By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Tue, 26 Sep 2023 04:37 PM (IST)
आशीष अंबष्ठ, धनबाद। कोल इंडिया में पांच अक्टूबर से तीन दिनी हड़ताल की तैयारी चल रही है। इस हड़ताल का असर अगले चार दिन तक खदानों के कोयला उत्पादन पर पड़ेगा। नियम के तहत तीन दिन उपस्थित न होने पर चौथे दिन रविवार को संडे वर्क भी कर्मियों को नहीं मिलेगा। श्रमिकों की हड़ताल की तैयारी से प्रबंधन की नींद उड़ गई है।
वेतन समझौते को लेकर श्रमिकों का हड़ताल
दरअसल, वेतन समझौता को लेकर उठे विवाद को ले पांच से सात अक्टूबर तक हड़ताल की तैयारी में कोलियरी से मुख्यालय तक श्रमिक संगठन रेस हो गए हैं। इस घोषणा से कोल इंडिया व कोयला मंत्रालय तक गतिविधियां तेज हैं।
11वें वेतन समझौते पर डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक इंटरप्राइजेज ने पहले ही सवाल खड़ा किया था। इसके बाद भी 20 मई को कोयला वेतन समझौता-11 पर जेबीसीसीआई सदस्य व कोल इंडिया प्रबंधन ने हस्ताक्षर किए।
कोयला उत्पादन और डिस्पैच होगा प्रभावित
समझौता जुलाई, 2021 से लागू हुआ। अब फिर से डीपीई के पास मामला पहुंचा है। कोयला मंत्रालय ने भी कोल इंडिया पर इस मामले को लेकर गुमराह करने का आरोप लगाया है।
अधिकारियों की ओर से याचिका दायर करने के बाद उत्पन्न स्थिति से श्रमिक भी परेशान हैं। कहीं उनकी वेतन बढ़त को वापस न ले लिया जाए, भुगतान की कटौती न होने लगे। कोल इंडिया में 2.31 लाख व व सिंगरेनी कंपनी में 49 हजार श्रमिक हैं।
नौ राज्य के कोयला श्रमिकों को एकजुट करने को श्रम संगठन प्रतिनिधियों ने कमर कस ली है। बंदी के कारण कोल इंडिया का 69 लाख टन उत्पादन व डिस्पैच प्रभावित होगा। झारखंड में सीसीएल, ईसीएल व बीसीसीएल का करीब 12 लाख टन उत्पादन व डिस्पैच प्रभावित हो सकता है।
यह भी पढ़ें: देवी दुर्गा की प्रतिमा को खंडित कर भागा शख्स, पुलिस पूछताछ में चौंकानेवाला खुलासा, स्थानीय लोगों में आक्रोश
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।