धरती के भगवान तक पहुंचाने को 292 दिनों बाद खुली ट्रेन
धनबाद धरती के भगवान चिकित्सकों तक पहुंचाने के लिए पूरे 292 दिनों बाद धनबाद-अलेप्पी एक्सप्रेस खुली। इस ट्रेन से सैंकड़ों यात्रियों के साथ झारखंड बंगाल और बिहार के ऐसे मरीज भी सवार थे जो पिछले नौ-10 महीने से इलाज के लिए भाग-दौड़ कर रहे थे।
धनबाद : धरती के भगवान चिकित्सकों तक पहुंचाने के लिए पूरे 292 दिनों बाद धनबाद-अलेप्पी एक्सप्रेस खुली। इस ट्रेन से सैंकड़ों यात्रियों के साथ झारखंड, बंगाल और बिहार के ऐसे मरीज भी सवार थे जो पिछले नौ-10 महीने से इलाज के लिए भाग-दौड़ कर रहे थे। सेकेंड सीटिग से सेकेंड एसी तक के कोच में मरीज और उनके घरवाले उम्मीद के सफर पर निकले। उन्हें इस बात की पूरी तसल्ली थी कि वेल्लोर से स्वस्थ होकर ही लौटेंगे। यात्रियों का हाल-चाल लेने एडीआरएम अशीष कुमार झा भी दल-बल के साथ स्टेशन पहुंचे। यात्री डिब्बों में सवार हुए और यात्रियों से फीडबैक लिया। बताया कि अब पहले जैसी परेशानी नहीं होगी। वेटिग की समस्या कम होगी क्योंकि अब धनबाद से पूरे 22 कोच के साथ ट्रेन चल रही है।
धनबाद, बोकारो और रांची के 1545 यात्रियों को लेकर ट्रेन रवाना
अलेप्पी एक्सप्रेस में पहले दिन झारखंड के 1545 यात्री सवार हुए। इनमें सैंकड़ों यात्री काटपाडी यानी वेल्लोर जानेवाले थे। ट्रेन खुलने की खुशी उनके चेहरे पर साफ झलकती रही।
यात्रियों के लिए फिलहाल साइड पैंट्री की सुविधा
इस ट्रेन में यात्रियों के लिए फिलहाल साइड पैंट्री की सुविधा दी गई है। यानी यात्रियों को गरमा- गरम भोजन की थाली नहीं मिलेगी। सिर्फ डिब्बाबंद खाना ही मिलेगा। पानी के बोतलों के साथ चाय कॉफी और रेडी टू ईट खान-पान दिए जाएंगे।
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नौ महीने से मैं और पत्नी कर रहे थे अलेप्पी का इंतजार
- यात्री बोले, बुजुर्ग बीमार यात्रियों के लिए शुरू की जाए रियायत
धनबाद : मैं और मेरी पत्नी नौ महीने से अलेप्पी एक्सप्रेस चलने का इंतजार कर रहे थे। मुझे प्रोस्टेट की समस्या है और पत्नी हृदय रोगी है। ट्रेन का इंतजार करते करते धनबाद में ही ऑपरेशन कराना पड़ा। अब चेक अप के लिए जा रहे हैं। यह कहना था गुरुनानक कॉलेज से सेवानिवृत्त लाइब्रेरियन डॉ. पुरुषोत्तम का। वह अलेप्पी एक्सप्रेस से अपनी पत्नी के साथ वेल्लोर जा रहे थे। उन्होंने कहा कि वेल्लोर को सीधी ट्रेन मिलने से काफी राहत मिल गई है।
साथ ही यह भी कहा कि रिटायर्ड हूं और पेंशन भी सीमित है। पूरा किराया चुकाकर बार-बार जाना पड़ा तो घर का बजट बिगड़ जाएगा। कम से कम बीमार बुजुर्ग यात्रियों के लिए रियायत की सुविधा फिर से शुरू कर देनी चाहिए।
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बोधगया से नहीं मिला कंफर्म टिकट, इसलिए धनबाद चला आया
धनबाद : पत्नी किडनी की मरीज है। कई महीने से उसके इलाज के लिए वेल्लोर जाने की कोशिश कर रहा हूं। कभी पटना तो कभी गया से टिकट की जद्दोजहद करता रहा पर सफल नहीं हुआ। आखिरकार अलेप्पी में दो कंफर्म सीट मिल गई। यह कहना था शत्रुघ्न सिंह का जो पत्नी पिकी प्रिया को लेकर वेल्लोर जा रहे थे। बताया कि सुबह गया से धनबाद आए थे और अलेप्पी एक्सप्रेस से वेल्लोर जा रहे हैं।