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झारखंड में विधानसभा-लोकसभा की सीटों का नए सिरे से परिसीमन, इंटरनेट मीडिया में Viral News की जानिए सच्चाई

Delimitation of Lok Sabha Seats Jharkhand Assembly Seats इंटरनेट मीडिया में इन दिनों एक खबर तेजी से वायरल हो रही है। फेसबुक पर यह खबर वायरल है कि झारखंड विधानसभा की सीटों का परिसीमन हो गया है। सीटों की आरक्षित श्रेणी में बदलाव की भी बात है।

By MritunjayEdited By: Updated: Tue, 27 Jul 2021 07:17 PM (IST)
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झारखंड का नया विधानसभा भवन और इंटरनेट मीडिया पर वायरल सूचना का स्क्रीनशॉट।
धनबाद [ जागरण स्पेशल़ ]। झारखंड विधानसभा की सीटों का नए सिरे से परिसीमन हो गया है। नए परिसीमन के आधार पर ही झारखंड विधानसभा चुनाव-2024 होगा। यह खबर पिछले कई दिनों से इंटरनेट मीडिया के विभिन्न मंचों-फेसबुक और वाट्सएप आदि पर वायरल है। इसके बाद से लोग सच्चाई जानना चाह रहे हैं। यह खबर किसी भी परंपरागत मीडिया से जेनरेट नहीं हुई है। यही कारण है कि लोग जानना चाह रहे हैं कि सच क्या है ? विधानसभा की सीटों के साथ ही झारखंड में लोकसभा की 14 सीटों के परिसीमन की भी बात की जा रही है। वाट्सएप पर परिसीमन से संबंधित अधिसूचना भी प्रसारित की जा रही है। हालांकि यह अधिसूचना पुरानी है। साल 2007 की अधिसूचना है। आइए जानते हैं कि पूरा मामला क्या है ?

अधिसूचना के अनुसार झारखंड में घट जाएगी ST के लिए आरक्षित सीटें

भारत परिसीमन आयोग, निर्वाचन सदन, अशोक रोड, नई दिल्ली से जारी अधिसूचना के अनुसार झारखंड में विधानसभा के लिए 81 सीटें होंगी। यहां पहले से 81 विधानसभा सीटें हैं। परिसीमन के बाद सीटों की संख्या में कोई परिवर्तन नहीं होगा। परिवर्तन विधानसभा की भौगोलिक स्थिति और आरक्षित श्रेणी में होगा। फिलहाल झारखंड में अनुसूचित जनजाति ( ST) के लिए 28 सीटें हैं। इसी तरह अनुसूचित जाति (SC) के लिए 8 सीटें आरक्षित हैं। नए परिसीमन के अनुसार एसटी की सीटें घटकर 22 और एससी की सीटें बढ़कर 10 हो जाएंगी। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन फिलहाल साबिगंज जिले के बरहेट से विधायक हैं। परिसीमन के बाद सीट का नाम बदलकर बरहड़वा कर दिया गया है। साथ ही यह सीट एसटी के लिए न होकर सामान्य होगी।    

होल्ड पर है झारखंड में परिसीमन

वायरल खबर आधा सच और आधा फसाना है। दरअसल, झारखंड विधानसभा की सीटों और यहां की लोकसभा की सीटों का परिसीमन होल्ड पर है। साल 2007 में देश भर में विधानसभा और लोकसभा की सीटों का परिसीमन हुआ। यह परिसीमन 2009 के लोकसभा चुनाव से देशभर में लागू हो गया। तब झारखंड में भी लागू होना था। लेकिन यहां के आदिवासी ( ST) विधायकों ने विरोध किया। विरोध का कारण यह था कि परिसीमन प्रस्ताव लागू होने के बाद झारखंड विधानसभा में ST की  सीटें घट जाएंगी। जब परिसीमन रिपोर्ट लागू हो रहा था उस समय मधु कोड़ा झारखंड के मुख्यमंत्री थे। मधु कोड़ा सरकार कांग्रेस और झामुमो के समर्थन से चल रही थी। केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे। सोनिया गांधी यूपी सरकार की अध्यक्ष थीं। मधु कोड़ा के नेतृत्व में झारखंड के आदिवासी नेताओं और विधायकों ने सोनियां गांधी और मनमोहन सिंह से मुलाकात की। झारखंड में परिसीमन आयोग की रिपोर्ट लागू न करने के लिए जोर दिया गया। नतीजतन, झारखंड में परिसीमन आयोग की रिपोर्ट लागू नहीं हुई। जबकि पूरे देश में लागू हो गई। झारखंड विधानसभा सीटों का परिसीमन अब भी होल्ड पर है। कभी भी लागू हो सकता है। 

पुरानी खबर इंटरनेट मीडिया पर वायरल

झारखंड विधानसभा की सीटों के परिसीमन की जो रिपोर्ट इंटरनेट मीडिया पर वायरल है, वह 13-14 साल पुरानी है। फिलहाल इस रिपोर्ट का कोई मतलब नहीं है। वायरल खबर को देखकर किसी भी विधानसभा क्षेत्र के विधायकों को घबराने की जरूरत नहीं है। लोकसभा क्षेत्र के सांसदों के लिए भी चिंता की कोई बात नहीं है।

अगर परिसीमन लागू हुआ तो अनुसूचित जाति को होगा राजनीतिक फायदा

झारखंंड के संदर्भ में भारत परिसीमन आयोग-2007 की रिपोर्ट अभी होल्ड पर है। अगर इसका अनुपालन होता है तो अनुसूचित जाति ( ST) को राजनीतिक फायदा होगा। झारखंड में लोकसभा की 14 सीटें हैं। एससी के लिए अभी सिर्फ पलामू सीट आरक्षित है। 2007 के प्रस्ताव में पलामू के साथ-साथ चतरा को भी एससी के लिए आरक्षित किया जाना है।

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