उम्मीदों का शहर- झरिया विहार में शुरू हो गया धर्मांतरण का गंदा खेल, दो दर्जन को बनाया ईसाई
पुनर्वास के बाद सरकार ने कोई सहायता नहीं की। कारी देवी के मुताबिक वह जिस प्रभु की शरण में हैं उनका मुख्यालय तमिलनाडु में है। दो दर्जन भुइयां लोग प्रभु की शरण में आ चुके हैं।
By MritunjayEdited By: Updated: Mon, 22 Jun 2020 06:53 AM (IST)
धनबाद, जेएनएन। झरिया मास्टर प्लान (Jharia Master Plan) के तहत आग एवं भू-धंसान प्रभावितों के लिए बसायी गई झरिया विहार-बेलगढ़िया टाउनशिप में इन दिनों धर्मांतरण का खेल जोरों पर है। अधिकांश निरक्षर या कम शिक्षित कामगार श्रेणी के लोग मिशनरीज की बातों में आ रहे हैं। दो दर्जन से अधिक परिवार आर्थिक विपन्नता, बीमारी व मानसिक अशांति से छुटकारा पाने के नाम पर ईसाई बन चुके हैं। इनके लिए टाउनशिप के किनारे चर्च बन चुका है। नियमित तौर पर लोग धर्म प्रचार के लिए यहां आ रहे। हालांकि कोई संगठन धर्मांतरण की जिम्मेदारी नहीं ले रहा। मिशनरी का कहना है कि लोगों ने स्वत: अपना धर्म बदला है।
बेटी की शादी हो गई तो बदल लिया धर्म
भगिया देवी मूलत: हजारीबाग के इटखोरी की रहने वाली हैंं। वह झरिया के घनुआडीह- 8 नंबर में रहती थीं। वहां उनके पति नगीना भुइयां मजदूरी करते थे। बेलगढिय़ा में उन्हें ए-612 नंबर आवास दिया गया है। भगिया बताती हैं कि यहां आए चार साल हो गए। बेटी शादी के लायक हो गई थी मगर पैसे नहीं थे। तनाव में थीं। एक वर्ष पहले कुछ महिलाओं ने प्रार्थना सभा में चलने को कहा कि शांति मिलेगी। वह गईं और काफी प्रभावित हुईं। पास्टर ने बताया कि घर में अगरबत्ती, दीया जलाना छोड़ दो। दुनिया में 17 तरह के धर्म हैं। अगरबत्ती, दीया जलाने से शैतान हावी हो जाता है। हम लोग सिर्फ मोमबत्ती जलाते हैं। अगरबत्ती जलाने से फिर शैतान चढ़ जाएगा तो न कहना। उनके कहे अनुसार हम लोगों ने मोमबत्ती जलाना शुरू किया। इसके बाद मोबाइल पर मैसेज आने लगे और प्रार्थना के तरीके बताए जाने लगे। हम लोग वैसा ही करते गए। कुछ दिनों बाद बेटी की शादी हो गई। पैसा कहां से आया और कैसे शादी हो गई, पता नहीं चला। कहा गया था कि चर्च में शादी कराओ, एक पैसा खर्च नहीं होगा। लेकिन, हम लोगों ने घर में शादी कराई। फिर भी सारी व्यवस्था हो गई। तब मैंने बपतिस्मा करा लिया। इससे मुझे काफी शांति मिली। दो सप्ताह पहले पति ने भी बपतिस्मा करा लिया है।
धर्म बदलने के बाद नहीं हुई कोई बीमारी
बिहार के शेखपुरा की मूल निवासी कारी देवी की कहानी कुछ ऐसी ही है। वह विधवा हैैं और आर्थिक संकट में हैैं। वह कहती हैैं- पहले देवी-देवता को भेड़ा, बकरा चढ़ाते थे लेकिन कुछ नहीं होता था। कुछ महिलाओं के साथ प्रार्थना सभा में गईं। वहां कहा गया- सिर्फ सच्चे मन से प्रभु की प्रार्थना करो। कोई बीमारी नहीं होगी। हम लोग प्रार्थना करने लगे। तब से किसी को कोई बीमारी नहीं हुई। तब बपतिस्मा करा लिया। कोई परेशानी नहीं है। आर्थिक संकट भी दूर हो गया। उनकी बहन का बेटा पागल था। वह भी प्रभु की शरण में जाने से ठीक हो गया। हालांकि उन्हें शिकायत है कि पुनर्वास के बाद सरकार ने कोई सहायता नहीं की। कारी देवी के मुताबिक वह जिस प्रभु की शरण में हैं उनका मुख्यालय तमिलनाडु में है। यहां लगभग दो दर्जन भुइयां लोग प्रभु की शरण में आ चुके हैैं।
हम लोग नहीं कराते धर्म परिवर्तनबेलगढिय़ा में धर्म प्रचार को पास्टर मिलन कुमार जाते रहे हैैं। उनसे जब संपर्क किया गया तो उन्होंने इस बात को गलत बताया। कहा- वे कैथोलिक नहीं, प्रोटेस्टेंट हैैं। वे लोग धर्म परिवर्तन नहीं कराते, सिर्फ प्रवचन देने जाते हैैंं। पास्टर के मुताबिक वे अलग तरह के ईसाई हैं। उनका दूसरे देश के ईसाई से कोई संबंध नहीं। मुख्यालय चेन्नई में है। इस सवाल पर कि लोगों को स्वत: उनके धर्म की जानकारी कैसे हो सकती है, पास्टर कहते हैं कि ये वही बता सकते हैं जिन्होंने धर्म परिवर्तन किया है।
आर्थिक संकट बड़ी वजहबेलगढ़िया टाउनशिप में जो धर्मांतरण का खेल शुरू हुआ है उसके लिए बीसीसीएल, झारखंड सरकार और धनबाद जिला प्रशासन भी कम जिम्मेदार नहीं है। आग एवं भू-धंसान प्रभावित परिवारों को झरिया से लाकर बेलगड़िया में पुनर्वासित किया जाता है। इसकी क्रियान्वयन एजेंसी झरिया पुनर्वास एवं विकास प्राधिकार (JRDA) है। बेलगढ़िया टाउनशिप का नाम प्रशासन ने उम्मीदों का शहर-झरिया विहार दिया है। Jharia Rehabilitation and Development Authority ने यहां स्वरोजगार से लेकर हर तरह की सुविधा देने का आश्वासन दिया गया था। लेकिन पुनर्वासित करने के बाद प्रशासन अपने वादे को भूल गया है। यहां के लोग आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। अधिकांश लोगों के पास कमाई का कोई जरिया नहीं। वहां बन रहे मकानों में काफी कम संख्या में स्थानीय मजदूरों को रोजगार दिया जाता है। 500 दिन की मजदूरी व शिफ्टिंग अलाउंस देने की शर्त पुनर्वास प्रक्रिया में समाहित है। बावजूद अधिकांश लोगों को मदद नहीं मिली है। भुगतान प्रक्रिया अनियमित है। भगिया देवी व कारी देवी जैसी महिलाओं की भी शिकायत है कि उनके बाद आए लोगों को दो किस्त का भुगतान हो चुका है। उन्हें अब तक कुछ नहीं मिला। लोग गरीब और अशिक्षित हैं। इसका फायदा ईसाई मिशनरियां उठा रही हैं। हाल ही में विहिप ने लगाया था आरोपविश्व हिंदू परिषद के नेताओं ने रांची में हाल ही में मिशनरियों पर धर्म परिवर्तन का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि झारखंड में लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में धर्म परिवर्तन कराया गया। बेलगढिय़ा में भी मामला सामने आया। कुछ लोगों ने बताया कि पानी में डुबकी लगाते ही शुद्धिकरण हो जाता है और प्रभु के बेटा-बेटी घोषित कर दिए जाते हैैं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।हम लोग नहीं कराते धर्म परिवर्तनबेलगढिय़ा में धर्म प्रचार को पास्टर मिलन कुमार जाते रहे हैैं। उनसे जब संपर्क किया गया तो उन्होंने इस बात को गलत बताया। कहा- वे कैथोलिक नहीं, प्रोटेस्टेंट हैैं। वे लोग धर्म परिवर्तन नहीं कराते, सिर्फ प्रवचन देने जाते हैैंं। पास्टर के मुताबिक वे अलग तरह के ईसाई हैं। उनका दूसरे देश के ईसाई से कोई संबंध नहीं। मुख्यालय चेन्नई में है। इस सवाल पर कि लोगों को स्वत: उनके धर्म की जानकारी कैसे हो सकती है, पास्टर कहते हैं कि ये वही बता सकते हैं जिन्होंने धर्म परिवर्तन किया है।
आर्थिक संकट बड़ी वजहबेलगढ़िया टाउनशिप में जो धर्मांतरण का खेल शुरू हुआ है उसके लिए बीसीसीएल, झारखंड सरकार और धनबाद जिला प्रशासन भी कम जिम्मेदार नहीं है। आग एवं भू-धंसान प्रभावित परिवारों को झरिया से लाकर बेलगड़िया में पुनर्वासित किया जाता है। इसकी क्रियान्वयन एजेंसी झरिया पुनर्वास एवं विकास प्राधिकार (JRDA) है। बेलगढ़िया टाउनशिप का नाम प्रशासन ने उम्मीदों का शहर-झरिया विहार दिया है। Jharia Rehabilitation and Development Authority ने यहां स्वरोजगार से लेकर हर तरह की सुविधा देने का आश्वासन दिया गया था। लेकिन पुनर्वासित करने के बाद प्रशासन अपने वादे को भूल गया है। यहां के लोग आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। अधिकांश लोगों के पास कमाई का कोई जरिया नहीं। वहां बन रहे मकानों में काफी कम संख्या में स्थानीय मजदूरों को रोजगार दिया जाता है। 500 दिन की मजदूरी व शिफ्टिंग अलाउंस देने की शर्त पुनर्वास प्रक्रिया में समाहित है। बावजूद अधिकांश लोगों को मदद नहीं मिली है। भुगतान प्रक्रिया अनियमित है। भगिया देवी व कारी देवी जैसी महिलाओं की भी शिकायत है कि उनके बाद आए लोगों को दो किस्त का भुगतान हो चुका है। उन्हें अब तक कुछ नहीं मिला। लोग गरीब और अशिक्षित हैं। इसका फायदा ईसाई मिशनरियां उठा रही हैं। हाल ही में विहिप ने लगाया था आरोपविश्व हिंदू परिषद के नेताओं ने रांची में हाल ही में मिशनरियों पर धर्म परिवर्तन का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि झारखंड में लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में धर्म परिवर्तन कराया गया। बेलगढिय़ा में भी मामला सामने आया। कुछ लोगों ने बताया कि पानी में डुबकी लगाते ही शुद्धिकरण हो जाता है और प्रभु के बेटा-बेटी घोषित कर दिए जाते हैैं।