गाय के गोबर से इस दिवाली महकाइए अपना घर-आंगन, चाइनीज उत्पादों को कहिए ना, पीएम मोदी के वोकल फॉर लोकल के सपने को करें पूरा
दिवाली के मौके पर अपना घर-बार सजाने के लिए स्वदेशी उत्पादों को अपनाने का प्रयास करें। इसी के तहत एकल श्रीहरि गोग्राम योजना की शुरुआत की गई है। इसमें ग्रामीणों को गोबर से दीया बनाने का प्रशिक्षण देने के बाद अब इनके उत्पाद को बाजार में भी उपलब्ध कराया जा रहा है। यह प्रधानमंत्री के आह्वान लोकल फाॅर वोकल के भी अनुरूप है।
आशीष सिंह, धनबाद। इस दिवाली गाय के गोबर से बने दीयों से अपना घर-आंगन रोशन करें। दीया बनाने में किसानों का श्रम लगा है। यह देश के प्रधानमंत्री के आह्वान लोकल फाॅर वोकल को भलीभांति फलीभूत भी करता है। कुल मिलाकर चाइनीज आइटम को ना कर देसी उत्पाद को अपने घर में जगह दीजिए।
गो उत्पाद बाजार मूल्य से हैं कहीं अधिक किफायती
इसी उद्देश्य के साथ एकल श्रीहरि गोग्राम योजना सामाजिक समरसता, स्वाभिमान एवं स्वावलंबन जागृत कर सुदूर ग्रामीणों को गोबर से दीया बनाने का प्रशिक्षण देने के बाद अब इनके उत्पाद को बाजार भी उपलब्ध करा रहा है।
एकल श्रीहरि गोग्राम योजना की ओर से किसान घर की महिला गोबर से दीया, मांगलिक चिह्न, धूप बत्ती आदि गो उत्पाद बना रही हैं। यह बाजार मूल्य से कहीं अधिक किफायती है।
मुंबई, दिल्ली भेजे जा रहे हैं गोबर से बने उत्पाद
ढांगी बस्ती, पूर्वी टुंडी, पश्चिमी टुंडी, तोपचांची, राजगंज, पारसनाथ, कतरास, बलियापुर, सिंदरी, चास एवं गोविंदपुर में ये दीये बनाए जा रहे हैं।
दीपक निर्माण के बाद ढांगी गांव एवं अन्य एकल गोग्राम में इन्हें आकर्षक जैविक रंग से भी रंगा जा रहा है इसलिए गाय के गोबर से निर्मित ये दीये पूर्णरूप से जैविक हैं।
पूरे देश में धनबाद केंद्र से ही देसी गाय के गोबर से निर्मित दीया और धूपबत्ती की आपूर्ति भी की जा रही है। मुंबई, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश और पंजाब में गाय के गोबर से बना उत्पाद भेजा जा रहा है।
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धनबाद के 100 एकल ग्राम में गोग्राम योजना संचालित
एकल श्रीहरि गोग्राम योजना के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष केदारनाथ मित्तल ने बताया कि एकल अभियान सीधे एक-एक परिवार में संपर्क करके गो उत्पाद पहुंचाएगा। धनबाद एवं पूरे देश को देसी गोवंश और किसान से सीधा जोड़ने की विराट योजना है। महिला सशक्तिकरण इसका मुख्य उद्देश्य है।
गांव में महिलाएं हो रही हैं स्वावलंबी
वर्तमान में एकल अभियान की ओर से धनबाद के आसपास 100 एकल विद्यालय ग्राम में गोग्राम योजना के कार्य संचालित हैं।
10 गांव पर एक सेंटर बनाया गया है। इनमें पूर्वी टुंडी, पश्चिमी टुंडी, तोपचांची, राजगंज, पारसनाथ, कतरास, बलियापुर, सिंदरी, चास एवं गोविंदपुर शामिल हैं।
धनबाद शहर को भी छोटे गांव एवं बस्तियाें को जोड़ते हुए ढांगी गांव को केंद्र बनाकर यहां की महिलाओं को स्वावलंबी बनाया जा रहा है।
यहां गोबर पीसने वाली मशीन लगाई है। इसके माध्यम से ढांगी गांव में एकत्रित देसी गोवंश के गोबर पूरे धनबाद शहर के बस्तियों में भेजे जा रहे हैं।
आयुर्वेदिक औषधि से हो रहा धूपबत्ती का निर्माण
दीपक निर्माण के बाद ढांगी गांव एवं अन्य एकल गोग्राम गांव में इन दीपक को आकर्षक जैविक रंग से भी रंगा जा रहा है। दीपक के साथ धूप बत्ती का भी निर्माण किया हो रहा है।
धूपबत्ती बनाने में देसी गाय के गोबर में भीमसेनी कपूर, गुग्गुल, लोभान, नीम पाउडर, धुंना, चंदन पाउडर आदि आयुर्वेदिक औषधि के मिश्रण से निर्माण किया जा रहा है। दीयों की बात करें छोटा और बड़ा दीया उपलब्ध है।
धनबाद में धैया के गोधाम कार्यालय गली नंबर चार से दीया प्राप्त किया जा सकता है। तीन साइज में आकर्षक गिफ्ट हैंपर पैकेट भी तैयार किए गए हैं। ये 250 से 800 रुपये में उपलब्ध हैं। छोटा-बड़ा दीया पांच से 50 रुपये प्रति पीस उपलब्ध है।
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