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Weekly News Roundup Dhanbad : हड़ताल में रोजगार सेवकों को सुकून, जानें वजह

Weekly News Roundup Dhanbad एक थानेदार हैं। पिछले दिनों कुछ दुधारू गाय उन्होंने बरामद की थी। गाय को गोशाला पहुंचाने के बजाय उन्होंने कुछ स्थानीय गरीब लोगों की मदद की सोची।

By MritunjayEdited By: Updated: Wed, 12 Aug 2020 01:10 PM (IST)
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Weekly News Roundup Dhanbad : हड़ताल में रोजगार सेवकों को सुकून, जानें वजह
धनबाद [ आशीष झा ]। Weekly News Roundup Dhanbad  प्रखंडों में मनरेगा कमर्चारी स्थायीकरण सहित पांच सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं। मजदूरों को रोजगार देने का काम ठप है। योजना बढ़ाने के लिए अधिकारी कर्मचारियों की गर्दन पर सवार थे। कर्मचारी चौबीसों घंटे तनाव में परेशान। कुछ कर्मचारी तो बोलने लगे कि यार इससे तो अच्छा है हमलोग मजदूर ही बन जाएं। ठाठ से रोजगार तो मिलेगा। हमलोगों को तो मजदूरों से कुछ ही रकम ज्यादा मिलती है, ऊपर से अनुबंधकर्मी हैं तो आपको हमेशा चुप रहना है, क्योंकि जहां कुछ बोले तो सीधे बर्खास्तगी की तलवार लटक जाएगी। कोई बचानेवाला नहीं। आजिज आकर कर्मचारियों ने हड़ताल कर दी। इस बार देखना यह है कि हमेशा की तरह बिना नतीजा के ही हड़ताल टूटती है या कुछ कर्मचारियों का भला भी होता है। बहरहाल जो भी हो, हड़ताल की वजह से मनरेगा कर्मचारी दोगुने मिले लक्ष्य से बचकर सुकून में तो हैं।

न सीखी होशियारी...

टुंडी प्रखंड के एक थानेदार हैं। पिछले दिनों कुछ दुधारू गाय उन्होंने बरामद की थी। गाय को गोशाला पहुंचाने के बजाय उन्होंने कुछ स्थानीय गरीब लोगों की मदद करने की सोची। मदद करने के चक्कर में कानूनी दांव भूल गए। भलमनसाहत में अपने अधिकारी को अपने सेवा भाव की जानकारी दे दी। बस फिर क्या था। फरमान आ गया कि सभी गाय को गोशाला पहुंचाओ। इस फरमान के बाद जो लोग गोसेवा से अपनी किस्मत चमकानेवाले थे वो मायूस हो गए। गाय लेने की होड़ में ग्रामीण दिनभर गायों की सेवा करते रहे। इस आस में कि एक गाय मुझे भी मिल जाए,  लेकिन अधिकारी के फ रमान के आगे सबको मायूसी ही हाथ लगी। दबी जुबान से लोगों ने कहा भी कि थानेदार साहब पर यह उक्ति फि ट बैठती है-सबकुछ सीखा हमने न सीखी होशियारी। बिना किसी अधिकारी को बताए बांट देते तो उनका क्या बिगड़ जाता।

सेवा में सुकून गया

वैसे तो कोरोना काल में सरकारी अमला पूरी तरह से मरीजों की देखरेख व सेवा में जुटा हुआ है लेकिन धनबाद प्रखंड की बात कुछ और है। यहां के कर्मचारी केंटेनमेंट जोन से लेकर तमाम तरह की ड्यूटी बजाने में व्यस्त हैं। सरकारी की तरफ  से आदेश है कि सभी कर्मचारियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएं लेकिन यहां कुछ ऐसा होता दिख नहीं रहा। ब्लाक में एक-आध दिन को छोड़कर सैनिटाइजेशन ही नहीं होता। यहां के कर्मचारी कोविड कार्य में जुटे हैं, लेकिन इनके पास न तो मास्क है और न ही सुरक्षा के अन्य संसाधन। बेचारे कुछ बोल भी नहीं सकते, क्योंकि आवाज उठाई तो अधिकारियों का कोपभाजन सहना पड़ेगा। इतना रिस्क कौन ले भाई। जैसे चल रहा है, वैसे ही चलने दिया जाए। जान की फि क्र है तो अपने पैसे से मास्क खरीदिये और बजाते रहिये ड्यूटी।

कुछ बुझा नहीं रहा 

बात गोविंदपुर प्रखंड की है। सभी प्रखंडों की तरह यहां भी मनरेगा का काम वैकल्पिक व्यवस्था के तहत दूसरे कर्मचारियों को थमा दिया गया है। अब उन्होंने कभी इस तरह का काम तो किया नहीं है, सो कुछ बुझा ही नहीं रहा है कि डिमांड किसका भरें और पेमेंट किसका करें। धराधड़ डिमांड भरा जा रहा है ताकि रोजगार दिखाया जा सके, लेकिन हकीकत उल्टी है। मजदूर बेकार हैं। मनरेगा कर्मचारी भी खुश हैं कि चलो तेजी दिखाने दो। अपने फं सेगा। अब तो अधिकारी बर्खास्तगी की भी धमकी दे रहे हैं। प्रखंडों में फ र्जी तरीके से डिमांड भरने का खेल चल रहा है ताकि हड़ताल को बेअसर साबित किया जा सके। कर्मचारी भी इस चालाकी को समझ रहे हैं सो इसकी काट में लग गए हैं। कर्मचारियों का कहना है कि इस बार तो सम्मान की लड़ाई है। बिना कुछ पाए झुकेंगे नहीं।

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