डॉक्टर से फोन पर बात करते हुए नर्स ने कराया प्रसव, नवजात की मौत, शव को डिब्बे में भरकर बरामदे में छोड़ा
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों की अनुपस्थिति में नर्स ने महिला का प्रसव कराया। वह इस दौरान डॉक्टर से बात करते हुए प्रसव करा रही थी और इससे नवजात की मौत हो गई। इस पर अस्पताल ने शव को दफनाने तक से इंकार कर दिया।
जागरण संवाददाता, धनबाद। टार्च की रोशनी में प्रसव कराने का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा कि सदर अस्पताल में एक और मामला सामने आ गया। यहां डाक्टर के बगैर ही नर्सों ने मरीज का प्रसव करा दिया। इससे नवजात की मौत हो गई। मामला यहीं नहीं रुका, अस्पताल कर्मियों ने नवजात का शव कपड़े में लपेटकर एक डिब्बे में डाल दिया। लगभग पांच घंटे तक नवजात का शव डिब्बे में रखकर बरामदे के कोने में छोड़ दिया गया। मामला रविवार देर शाम की है।
आदिवासी दंपत्ति को दे दी शव दफनाने की जिम्मेदारी
निरसा के जसपुर की रहने वाली नूपुर मांझी को प्रसव पीड़ा के बाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। वहां से डाक्टरों ने सदर अस्पताल रेफर कर दिया। नूपुर के पति नरेश मांझी ने बताया कि सदर अस्पताल में पत्नी को काफी प्रसव पीड़ा हो रही थी। यहां पर कोई भी डाक्टर नहीं था। फोन से ही यहां की नर्स डाक्टर से बात कर रही थी। इसके बाद नर्सें मिलकर नार्मल प्रसव कराने लगीं। कुछ देर के बाद नर्सों ने बताया कि नवजात की मृत्यु हो गई है। इसके बाद शव को कपड़े में लपेटकर एक डिब्बे में डालकर दे दिया गया। लगभग पांच घंटे तक बरामदे में डिब्बे में भरा नवजात का शव पड़ा रहा।
अस्पताल कर्मियों ने दफनाने से कर दिया इंकार
घरवालों का कहना है नवजात के शव को अस्पताल के कर्मियों ने दफनाने से मना कर दिया था। उन्होंने नवजात को खुद से डिस्पोजल करने को कहा। नरेश मांझी ने बताया कि बच्चे को लेकर खुद से डिस्पोजल करने की तलाश में था। इसी क्रम में रात का 10 बज गया। इस तरीके से डिब्बे में शव को रखने पर कई लोगों ने विरोध शुरू कर दिया।
इस पर सफाई देते हुए धनबाद सदर अस्पताल के नोडल प्रभारी डॉ. राजकुमार सिंह ने कहा, पेट में ही नवजात की मौत हो गई थी। स्वजनों को उनके इच्छा अनुसार नवजात के शव को हैंडओवर किया गया था। वह खुद से डिस्पोजल करना चाह रहे थे। नर्स द्वारा प्रसव कराने की बात बेबुनियाद है। डाक्टर 24 घंटे अस्पताल में रहते हैं।
एक और गर्भवती की हालत गंभीर, स्वजनों ने किया हंगामा
रविवार की रात निरसा प्रखंड से ही आए एक और गर्भवती महिला की हालत गंभीर हो गई। इनके स्वजनों का कहना था रात में कोई भी डाक्टर अस्पताल में नहीं था। कर्मचारियों के सहारे अस्पताल को छोड़ दिया गया है। हंगामा होने के बाद किसी तरीके से सदर अस्पताल के कर्मियों ने इसकी सूचना प्रबंधन को दी। गंभीर स्थिति को देखते हुए मरीज को शहीद निर्मल महतो मेडिकल कालेज एवं अस्पताल भेज दिया गया।