बाबूलाल के गढ़ में कल्पना भरेंगी सियासी 'उड़ान', मुस्लिम-आदिवासी वोट बैंक को तोड़ पाएगी BJP?
झारखंड में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के सामने अपने गृह क्षेत्र में कल्पना सोरेन की उड़ान रोकने की चुनौती है। कल्पना बाबलूाल मरांडी के गृह जिले गिरिडीह की गांडेय विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़ने के लिए कमर कस चुकी हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और गांडेय की संसदीय सीट कोडरमा की सांसद केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कल्पना की उड़ान रोकने के लिए मोर्चा संभाल लिया है।
दिलीप सिन्हा, धनबाद। झारखंड में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के सामने अपने गृह क्षेत्र में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन की उड़ान रोकने की चुनौती है। कल्पना सोरेन बाबलूाल मरांडी के गृह जिले गिरिडीह की गांडेय विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़ने के लिए कमर कस चुकी हैं।
इधर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और गांडेय की संसदीय सीट कोडरमा की सांसद केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कल्पना की उड़ान रोकने के लिए मोर्चा संभाल लिया है। हालांकि, गांडेय में कल्पना को रोकना भाजपा के लिए आसान नहीं होगा। यहां से भाजपा ने पार्टी के प्रदेश मंत्री विजय वर्मा को प्रत्याशी बनाया है।
पिछले चुनाव में झामुमो के सरफराज अहमद से चुनाव हारने वाले भाजपा के पूर्व विधायक प्रो. जयप्रकाश वर्मा अब झामुमो में शामिल हो चुके हैं। भाजपा के सामने यहां झामुमो के आदिवासी-मुस्लिम समीकरण में सेंधमारी के साथ ही हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद कल्पना के पक्ष में उपजी सहानुभूति लहर को रोकने की भी चुनौती है।
उधर, झामुमो ने बतौर प्रत्याशी कल्पना सोरेन के नाम की घोषणा तो अभी तक नहीं की है, लेकिन यह घोषणा कभी भी हो सकती है। कल्पना सोरेन यहां लगातार सभाओं को संबोधित कर रही हैं और लोगों से शिबू सोरेन व हेमंत सोरेन के नाम पर समर्थन मांग रही हैं। गांडेय में 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में झामुमो के सरफराज अहमद जीते थे।
इस बीच इस वर्ष जनवरी में हेमंत सोरेन के ईडी के हाथों गिरफ्तार किए जाने की परिस्थिति बनी तो सरफराज अहमद ने इस्तीफा देकर अपनी सीट खाली कर दी थी, ताकि कल्पना को मुख्यमंत्री बनाने के बाद वहां से चुनाव लड़ाया जा सके। झामुमो ने सरफराज अहमद को अब राज्यसभा भेज दिया है। पारिवारिक असहमति व अन्य कारणों से तब कल्पना सोरेन सीएम नहीं बन सकीं। हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद कल्पना ने राजनीतिक पारी शुरू कर दी है। उनकी सक्रियता अभी बढ़ी हुई है।
आदिवासी वोट झामुमो की ताकत
गांडेय आदिवासी बहुल इलाका है। आदिवासियों का समर्थन यहां झामुमो की ताकत है। झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन ने वर्ष 1972 में महाजनों के खिलाफ आंदोलन कर अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था। यह आंदोलन धनकटनी आंदोलन के नाम से प्रसिद्ध है। धनबाद के टुंडी से शुरू हुआ यह आंदोलनगिगिडीह के गांडेय क्षेत्र में भी फैला था। वहां के आदिवासियों के साथ शिबू ने ऐसा रिश्ता जोड़ा कि आज भी वहां के आदिवासी तब से शिबू सोरेन और झामुमो के साथ है।
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गांडेय विधानसभा क्षेत्र में आदिवासी-मुस्लिम वोटरों की संख्या सर्वाधिक है। इसके बाद कुशवाहा और यादव वोटरों की संख्या है। झामुमो अब तक इस सीट से नौ बार चुनाव लड़ा है और उसमें से पांच बार जीता है। इसमें से चार बार झामुमो की जीत का मुख्य आधार आदिवासी वोटर रहे हैं। यहां आदिवासियों के प्रतिनिधि के तौर पर झामुमो के सालखन सोरेन और मुस्लिमों के प्रतिनिधि के तौर पर सरफराज अहमद लड़ते रहे हैं। पिछले चुनाव में गठबंधन के तहत गांडेय सीट झामुमो के खाते में चली गई थी। ऐसी स्थिति में कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर सरफराज ने झामुमो का दामन थाम लिया था। पार्टी के कुछ स्थानीय आदिवासी नेताओं के विरोध के बावजूद झामुमो यहां आदिवासी-मुस्लिम समीकरण के बलबूते जीतने में सफल रहा था।ये भी पढ़ें- झारखंड में साख बचाने उतरेंगे दो केंद्रीय मंत्री, BJP नेताओं के सामने विपक्ष से ये चेहरा; क्या होगी रणनीति?Kalpana Soren: 'झारखंड झुकेगा नहीं, I.N.D.I.A रुकेगा नहीं' कल्पना सोरेन ने दिल्ली में भरी हुंकार