विश्व पशु दिवस पर गाय का दर्द: गोमाता कहते हो फिर क्यों बरपा रहे कहर, तस्करों की बेरहमी से कांप उठेगा कलेजा..
World Animal Day आज विश्व पशु दिवस है। ऐसे में पशुओं के प्रति हो रही क्रूरता को रोकने का संकल्प हर किसी को लेने की जरूरत है। पशुओं या यूं कहे कि गोवंशियों की तस्करी को लेकर खबरें अक्सर आती रहती हैं। इन्हें बूचड़खानों तक पहुंचाने के रास्ते तस्कर इतनी बेरहमी करते हैं जिसके बारे में शायद हम सोच भी नहीं सकते हैं।
By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Wed, 04 Oct 2023 11:35 AM (IST)
मोहन गोप, धनबाद। सनातन संस्कृति में गाय को गोमाता का स्थान दिया गया है। इसके बाद भी गोवंशियों के साथ ऐसी क्रूरता की जा रही है जिसे देख कलेजा कांप उठे। धनबाद के तोपचांची में 24 सितंबर को एक कंटेनर पकड़ा गया। इसमें 40 गोवंशी थे। इनको इतनी बेरहमी से ले जाया जा रहा था कि 25 की मौत हो गई थी।
तस्कर बेजुबानों संग करते रहते हैं बेरहमी
धनबाद के रास्ते बंगाल को हो रही गोवंशियों की तस्करी में ऐसे खौफनाक तस्वीरें अक्सर सामने आती हैं। अधिकांश गाड़ियां निकल जाती हैं, इक्का-दुक्का पकड़ी गईं तो क्रूरता की पराकाष्ठा सामने आ जाती है।
तस्करी का आलम यह है कि हर महीने 300 से ज्यादा तस्करी कर ले जाए जा रहे पशु पुलिस जब्त कर रही है। बेरहमी से ले जाने के कारण इनकी हालत ऐसी होती है कि गोशाला पहुंचने के बाद भी चिकित्सकों के सामने इन्हें बचाना चुनौती बन जाता है।
कई बार गोवंशियों को बचाना हो जाता है मुश्किल
जिला पशुपालन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि जब्त अधिकांश पशु चोट लगने से जख्मी हो जाते हैं। बाहरी चोट के अलावा आंतरिक जख्म भी होते हैं। 98 प्रतिशत इन्हीं कारणों से बीमार हो जाते हैं। इनकी जान बचाना हमारे लिए चुनौती बन रहा है।पशुओं के साथ किस प्रकार क्रूरता रोकी जाए, इस पर धरातल पर प्रशासन को काम करना होगा। बुधवार को विश्व पशु दिवस है, ऐसे में सभी को संकल्प लेना चाहिए कि पशुओं पर होने वाली क्रूरता के खिलाफ खड़े होंगे।
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पशुपालन पदादिकारी डा. आलोक सिन्हा कहते हैं कि हम इंसान हैं, हमारा मानवीय कर्तव्य है कि पशुओं के साथ दया भाव रखें। गोशाला को दिए गए दो पशु चिकित्सक डाॅ. आलोक ने बताया कि गंगा गोशाला कतरास के लिए डाॅक्टर प्रदीप को तैनात कर दिया गया है।बस्ताकोला गोशाला के लिए डाॅ. धर्मेंद्र कुमार को प्रतिनियुक्त किया है। कोशिश है कि यहां पर आने वाले गंभीर गोवंशियों का बेहतर इलाज हो जाए। यहां अधिकांश उन पशुओं की मौत हो जाती है, जिनको ट्रकों से जब्त किया जाता है।यह भी पढ़ें: तेज धमाके के साथ खदान में भरने लगा धुआं, 43 श्रमिकों की हुई मौत, खान विस्फोट का दिल दहला देने वाला मंजर..गोमुक्ति धाम के लिए डेढ़ वर्ष से नहीं मिली जमीन
धनबाद में गोमुक्ति धाम के लिए 20 लाख रुपये आवंटित किए गए। इसके बाद भी धनबाद के किसी भी अंचल में जमीन नहीं मिली।डेढ़ वर्ष पहले तत्कालीन पशुपालन पदाधिकारी ने धनबाद के सभी अंचल के अंचलाधिकारी को पत्र लिखकर जमीन मांगी थी। किसी भी अंचलाधिकारी ने रुचि नहीं दिखाई।स्थिति यह है कि डेढ़ साल से गोमुक्ति धाम के लिए जगह नहीं मिली है। पशुओं की जान जाने के बाद उनको खुले में फेंका जा रहा है। इससे साफ है कि मरने के बाद भी पशुओं से क्रूरता की जा रही है। दूसरी ओर इससे बीमारी फैलने की आशंका भी है। मवेशियों के साथ इतनी क्रूरता के बाद भी प्रशासन तस्करों पर लगाम नहीं लगा पा रहा।यह है पशु क्रूरता अधिनियिम
देश में पशुओं के खिलाफ क्रूरता को रोकने के लिए वर्ष 1960 में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम लाया गया। इसकी धारा-4 के तहत साल 1962 में भारतीय पशु कल्याण बोर्ड का गठन हुआ। इस अधिनियम का उद्देश्य पशुओं के उत्पीड़न को रोकना है। जो इसका दोषी पाया जाएगा, उसके लिए सजा का भी प्रविधान है।यह भी पढ़ें: Durgiana Express News: 14 अक्टूबर तक रद्द दुर्गियाना एक्सप्रेस, हजारों यात्री फंसे, ये ट्रेनें भी हैं कैंसिलपशु क्रूरता के खिलाफ जागरूकता के लिए कार्यक्रम करेंगे। इसमें सामूहिक भागीदारी के लिए प्रयास होगा। पशुओं के खिलाफ किसी भी प्रकार की हिंसा दंडनीय अपराध है- डाॅ. आलोक सिन्हा, जिला पशु पालन पदाधिकारी, धनबाद।