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कभी देखा है पीले रंग का तरबूज... धनबाद में बना अचरज का विषय, किसान ने ताइवान से ऑनलाइन मंगाया था बीज

कभी पीले रंग का तरबूज देखा है आपने? हो सकता है देखा हो लेकिन धनबाद के लोगों के लिए यह अचरज का विषय बना है। धनबाद के निरसा प्रखंड में रहनेवाले प्रगतिशील किसान रिंकु कुमार साव ने इसकी खेती की है। तरबूज का बाहरी रंग पीला है।

By Deepak Kumar PandeyEdited By: Updated: Mon, 09 May 2022 10:02 AM (IST)
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बाजार में यह तरबूज अभी 30 से 35 रुपये प्रति किलो की दर से वह बेच रहे हैं।

निरसा, धनबाद [संजय सिंह]: कभी पीले रंग का तरबूज देखा है आपने? हो सकता है देखा हो, लेकिन धनबाद के लोगों के लिए यह अचरज का विषय बना है। धनबाद के निरसा प्रखंड में रहनेवाले प्रगतिशील किसान रिंकु कुमार साव ने इसकी खेती की है। तरबूज का बाहरी रंग पीला है, जबकि अंदर से यह लाल ही है। इस तरबूज की खेती से रिंकू अच्‍छा मुनाफा कमा रहे हैं। रिंकू ने बताया कि इस तरबूज की मांग अभी धनबाद एवं रांची में खूब है।

ताइवान से मंगवाया था 50 ग्राम बीज: इस संबंध में जानकारी देते हुए रिंकू साव ने बताया कि ऊपर से पीले रंग वाले एवं अंदर लाल रंग वाले तरबूज का बीज उन्होंने ताइवान से 4000 रुपये में ऑनलाइन मंगवाया था। प्रयोग के तौर पर इसे 25 डिसमिल जमीन में लगाया। तरबूज की खेती उन्होंने मल्चिंग विधि से की। बताया कि इस विधि से खेती करने में पानी की खपत कम होती है। साथ ही खर पतवार एवं बीमारी भी कम होती है। उन्होंने बताया कि आम तरबूज के जैसे ही इसकी भी खेती की जाती है। फसल लगाने एवं तैयार करने में उन्हें लगभग 15 ह‍जार रुपये की लागत आई। अब तरबूज की बिक्री कर लागत से डेढ़ गुना मुनाफा कमा रहे हैं। बताया कि बाजार में यह तरबूज अभी 30 से 35 रुपये प्रति किलो की दर से वह बेच रहे हैं।

आम तरबूज से डेढ़ गुना ज्यादा दाम में बिकता है यह तरबूज: रिंकू ने बताया कि आम तरबूज की तुलना में यह डेढ़ गुना ज्‍यादा दाम में बिकता है। बताया कि इसका आकार-प्रकार आम तरबूज जैसा ही होता है, लेकिन रंग पूरी तरह पीला नजर आता है। यह डेढ़ से 3 किलो तक का होता है। जब तक इसे काटा नहीं जाए तो आम व्यक्ति इसे बाहर से पहचान ही नहीं सकता कि अंदर का फल लाल है।

सालों भर हो सकती है इस तरबूज की खेती: रिंकू साव ने बताया कि इस तरबूज की खेती सालों भर की जा सकती है, बशर्ते उसे सही तापमान मिले। हालांकि गर्मी में इसकी पैदावार सबसे ज्यादा होती है, इसलिए गर्मी में इसे लगाना किसानों के लिए ज्यादा फायदेमंद होता है। उन्होंने बताया कि इस बार उन्होंने प्रयोग के तौर पर 25 डिसमिल जमीन में खेती की है। अगले वर्ष और भी व्यापक पैमाने पर खेती करने की योजना है।

इससे पहले की थी पीले गुदे वाले तरबूज की खेती: हालांकि रिंकू के लिए यह प्रयोग कोई नया नहीं है। इसके पहले उन्‍होंने तरबूज की ऐसी फसल की खेती की थी, जिसके गुदे का रंग अंदर से पीला था। पीले रंग का तरबूज भी लोगों में खूब चर्चा में रहा था।

बेमौसम बारिश एवं प्रचंड गर्मी के कारण पैदावार में आई कमी: रिंकू कुमार साव ने बताया कि इस वर्ष जनवरी के अंत में मैंने तरबूज को लगाया था, लेकिन शुरू में लगातार बारिश होते रहने के कारण एवं बाद में अचानक प्रचंड गर्मी के कारण फसल को काफी नुकसान हुआ है। हालांकि इसके बावजूद यह मुनाफा दे रही है।

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