'हॉट' सीट दुमका पर JMM-BJP के बीच होगा घमासान, गुरुजी के दुर्ग में बड़ी बहू सीता की अग्निपरीक्षा
Lok Sabha Election 2024 आगामी लोकसभा चुनाव में झारखंड की दुमका सीट पर सबकी निगाहें टिकी रहेंगी। इस सीट पर झामुमो और भाजपा के बीच महामुकाबला होगा। भाजपा ने इस सीट पर सीता सोरेन को प्रत्याशी चुना है। जबकि झामुमो में प्रत्याशी चयन को लेकर मंथन चल रहा है। शिबू सोरेन की इस परंपरागत सीट दुमका पर झामुमो-भाजपा के बीच घमासान होगा।
राजीव, दुमका। लोकसभा 2024 के चुनाव में झारखंड की दुमका सीट पर एक बार फिर से सबकी निगाह पर होगी। भले ही इस सीट पर चुनाव सबसे अंत सातवें चरण में एक जून को होगी, लेकिन चुनावी दांव-पेंच और बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों के कारण अभी से यह सीट हॉट हो गई है।
'हॉट' सीट दुमका पर होगा महामुकाबला
दरअसल दुमका सीट की पहचान झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन से है। दिसोम गुरु के नाम से विख्यात शिबू सोरेन इस सीट पर 1980 से अब तक सात बार सांसद चुने गए हैं। हालांकि वर्ष 2019 में वह भाजपा के प्रत्याशी सुनील सोरेन से चुनाव हार गए थे। वर्तमान में शिबू सोरेन राज्यसभा के सदस्य हैं। अस्वस्थता के कारण इसकी प्रबल संभावना है कि वह 2024 के चुनावी दंगल में नहीं उतरेंगे।
ऐसी स्थिति में झामुमो की ओर से गुरुजी के इस परंपरागत दुर्ग दुमका सीट पर पहली बार उनकी बड़ी बहू सीता सोरेन का चुनाव से ठीक पहले पाला बदल कर भाजपा के टिकट पर दंगल में कूदने के बाद यहां का मुकाबला रोचक तो हो गई है। साथ ही इस सीट पर सीता की अग्निपरीक्षा भी होगी। दूसरी ओर गुरुजी की जगह दमदार प्रत्याशी चयन को लेकर झामुमो में मंथन जारी है।
जामा क्षेत्र ने दी है झामुमो के नेताओं को ताकत
दुमका लोकसभा सीट के दायरे में पड़ने वाली जामा विधानसभा सीट ने झामुमो नेताओं को ताकत दी है। शिबू सोरेन जब 1984 में दुमका संसदीय सीट पर कांग्रेस के पृथ्वीचंद किस्कू से हारे थे, तब 1985 में वह जामा विधानसभा सीट से चुनकर विधानसभा पहुंचे थे। वैसे जामा विधानसभा सीट पर झामुमो का कब्जा 1980 से लगातार रहा है। बीच में सिर्फ एक बार वर्ष 2005 में भाजपा के सुनील सोरेन शिबू सोरेन के बड़े पुत्र स्व.दुर्गा सोरेन को हराने में सफल हुए थे।
स्व.दुर्गा इस सीट से पहली बार 1995 में विधायक चुने गए थे। इसके वह वर्ष 2000 का चुनाव जीते थे लेकिन 2005 में भाजपा के सुनील सोरेन से हारकर जीत की हैट्रिक लगाने से चूक गए थे। उनके आकस्मिक निधन के बाद वर्ष 2009 से लगातार 2019 तक उनकी पत्नी सीता सोरेन जीत की हैट्रिक लगाकर पारिवारिक विरासत को आगे बढ़ा रही थीं। अचानक से बदले हुए राजनीतिक हालात में अब सीता झामुमो के तीर-कमान को छोड़ भाजपा के कमल को थाम कर जामा से दिल्ली की छलांग लगाने का निर्णय लिया।
सीता जीतीं तो होंगे दूरगामी परिणाम
ऐसी चर्चा है कि भाजपा के रणनीतिकारों ने संताल परगना में झामुमो के दुर्ग को ध्वस्त करने के लिए माइक्रो लेबल पर ब्लू प्रिंट तैयार किया है। इसके तहत ही झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन को न सिर्फ भाजपा में शामिल किया गया है, बल्कि उन्हें पूर्व में घोषित व दुमका से सीटिंग सांसद सुनील सोरेन को हटाकर दुमका के दंगल में उतारा गया है।
राजनीति को करीब से समझने वाले लोगों का मानना है कि अगर दुमका सीट पर सीता सोरेन जीतने में सफल रही तो इसका दूरगामी परिणाम भाजपा को आगे भी मिल सकेगा। सोरेन परिवार की बड़ी बहू होने के नाते सीता इस इलाके में भाजपा के लिए तुरूप का पत्ता साबित हो सकती है और इसके जरिए भाजपा संताल परगना में अपनी पैठ मजबूत कर सकती है।
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