Rice Farming: अब सूखे में भी धान की जमकर पैदावार कर सकेंगे किसान, बिरसा कृषि विवि ने तैयार किया खास किस्म का बीज
सुखाड़ की स्थिति को देखते हुए बिरसा कृषि विश्वविद्यालय ने धान की सूखारोधी नई किस्म आइआर-64 डीआरटी-1 विकसित किया है। यह बीज पहाड़ी और पानी की कमी वाले इलाकों के लिए बेहद उपयोगी है। सुखाड़ की स्थिति में भी धान की यह किस्म बिना पानी के 21 दिनों तक जीवित रह सकती है जबकि अन्य धान के प्रभेद इस अवधि में मर जाते हैं।
दो साल के शोध के बाद तैयार किया गया सूखारोधी बीज
इस तरह से खेत में लगाना है इस प्रभेद को
मानसून के प्रवेश के बाद या 15 जून के आसपास इस धान का बिचड़ा गिरा देना है। इसे प्रति एकड़ में 16 किलोग्राम और एक हेक्टेयर में 40 किलोग्राम गिराया जाना है। 21 दिनों के बाद खेतों में इसकी रोपनी की जाएगी। वैज्ञानिकों ने बिचड़े से निकले दो-दो पौधों को एक साथ रोपनी की सलाह दी है। इस किस्म के लिए संतुलित मात्रा में खाद डाला जाना चाहिए।बिना विलंब किए खेत व नर्सरी की तैयारी शुरू कर दें किसान
अब मानसून ब्रेक कभी भी हो सकता है। ऐसे में किसानों को अब बीज लगाने के लिए खेत व नर्सरी को तैयार करने की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। कृषि विज्ञान केंद्र की प्रधान डा.किरण सिंह के मुताबिक किसानों को समय पर धान का बिचड़ा व अन्य नर्सरी तेयार कर लेना चाहिए। सामुदायिक नर्सरी को बढ़ावा देने से किसानों को ज्यादा सहूलियत हो सकती है। बीज लगाने से पहले नर्सरी स्थल में तीन गुणा एक मीटर के आकार में 20 ग्राम फयूराडान का भुरकाव करके ही बीज डालना चाहिए। फयूराडान के प्रयोग से मिट्टी में दीमक तथा मिट्टी के अन्य कीटों के प्रकोप से बचाव किया जा सकता है। किसानों को चाहिए किए ऊपरी जमीन के लिए मक्का, अरहर, उड़द एवं सब्जियों की खेती करें। किसान ऊपरी जमीन पर एकल खेती के बजाय अन्तःवर्ती एवं मिश्रित खेती पर विशेष ध्यान दें। खरीफ में धान के अलावा अरहर, मूंगफली, भिंडी, मक्का, सेम व मोटा अनाज की खेती करें। दोन जमीन पर रोपाई के लिए अनुशंसित बीज दर 40 किलो प्रति हेक्टेयर है। धान की सीधी बोआई के लिए अनुसंशित दर से 20 प्रतिशत ज्यादा बीज लेना चाहिए। किसान ऊपरी जमीन में ज्यादा से ज्यादा जैविक खाद का उपयोग करें और उरर्वक की संतुलित मात्रा दें। कोई भी उरर्वक को सूखा में नहीं डालें। फलदार वृक्षों के रोपन के लिए खोदे गए गड़ढों को कम्पोस्ट 20 किलो एवं नीम खल्ली 500 ग्राम प्रति गड़ढा मिट्टी में अच्छी तरह मिलाकर भरना चाहिए। गड़ढा भरने के तुरंत बाद पौधरोपण नहीं करना चाहिए बल्कि एक वर्षा होने के पश्चात ही पौधरोपण करना चाहिए।खरीफ की खेती के लिए किसानों को खेत व नर्सरी तैयार कर लेनी चाहिए। सामुदायिक नर्सरी को बढ़ावा देने की जरूरत है। इससे किसानों को समूह में लाभ संभव है। बीज लगाने के पहले किसान फ्यूराडान का भुरकाव जरूर करें। -डॉ. किरण सिंह, प्रधान, कृषि विज्ञान केंद्र दुमका
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