झारखंड में संगठित तरीके से हो रही पशुओं की तस्करी, मवेशियों को पहुंचाया जा रहा बांग्लादेश, पुलिस भी शामिल
संताल परगना में पशुओं की तस्करी बेहद संगठित तरीके से होती है। एक तो तस्कर ग्रामीणों पर दबाव डालते हैं कि ये अपने पशु उन्हें सौंप दें या फिर खुद हाट से सस्ते दाम में इन्हें खरीद कर ले आते हैं।
By Rajeev RanjanEdited By: Arijita SenUpdated: Thu, 29 Dec 2022 05:02 PM (IST)
संवाद सहयोगी, सरैयाहाट (दुमका)। संताल परगना में पशु तस्करों का गिरोह कितना संगठित और सशक्त है उसका अंदाजा इससे सहज लगाया जा सकता है कि बुधवार की अल सुबह जब्त 185 पशुओं को पुलिस के माध्यम से ग्रामीणों को सौंपने के बाद अब पशु तस्कर गिरोह के सदस्य उसे दोबारा हासिल करने की जुगत में लग गए हैं। इसके लिए गिरोह के सदस्य ग्रामीणों को पैसे का लालच देकर पशुओं को लौटाने का दबाव बना रहे हैं।
मामले में दो पशु तस्कर गिरफ्तार
बताते चलें कि बुधवार की अल सुबह गोड्डा के भाजपाई सांसद डा.निशिकांत दुबे की सूचना के बाद सरैयाहाट थाना की पुलिस ने 185 पशुधनों को जब्त करते हुए इसमें दो पशु तस्करों को गिरफ्तार किया है। पुलिस इस मामले में दोनों से पूछताछ के बाद सरैयाहाट थाना क्षेत्र के ही पथरा गांव के पांच लोगों को नामजद बनाते हुए इनकी गिरफ्तारी के लिए पसीना बहा रही है।
इधर, दूसरी ओर जब्त किए गए पशुधन को तमाम कानूनी प्रक्रियाओं के बाद देर रात के आसपास ग्रामीणों को सौंप दिया गया है। अब ग्रामीणों को सौंपे गए पशुधन पर पशु तस्कर गिरोह के सदस्यों की निगाह है। तस्करी गिरोह के सदस्य ऐन-केन-प्राकरेण ग्रामीणों से दोबारा इन पशुओं को हासिल करने की फिराक में हैं।
सक्रिय है पशु तस्करों का बड़ा गिरोह
जानकार बताते हैं कि सरैयाहाट प्रखंड क्षेत्र में पशु तस्करों के कई गिरोह सक्रिय है। तस्कर गिरोह के सदस्य इलाके के भोले-भाले ग्रामीणों से पशु खरीद कर बूचड़खाने तक पहुंचाने का काम करते हैं। प्रखंड क्षेत्र के पथरा, बनियारा, बंगालीडीह, सिंहनी एवं पिंडरा चार ऐसे गांव हैं, जहां पशु तस्कर हमेशा मंडराते हैं। इनका इस इलाके में रसूक व दबदबा है।
गिरोह के सदस्य गांवों से विभिन्न हाटों से औने-पौने भाव में खरीदी गई मवेशियों को पहले एक नियत स्थल पर जमा करते हैं। इसके बाद जमा किए गए पशुओं को पिकअप वैन एवं अन्य स्रोतों से दुमका के रास्ते शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र के सरसडंगाल तक पहुंचाते हैं। फिर वहां से विभिन्न माध्यमों से इन पशुओं को बंगाल के रास्ते बंगलादेश तक पहुंचाया जाता है।
तस्करी के लिए पुलिसवालों को दिया जाता है चढ़ावा
नाम नहीं छापने की शर्त पर एक पशु हाट के बिचौलिया ने कहा कि इसके लिए रास्ते में पड़ने वाले सभी थानों को एक खेप पर कम से कम 500 रुपये का चढ़ावा दिया जाता है। वहीं नाम नहीं छापने के शर्त पर एक पिकअप चालक ने बताया कि पशु तस्कर गिरोह द्वारा संबंधित थाना प्रभारी को व्हाटस एप के जरिए सूचित किया जाता है कि उसका कितना खेप पशु वाहन संबंधित थाना क्षेत्र से होकर गुजरने वाला है। उसने कहा कि इसी हिसाब से संबंधित थानों को राशि दी जाती है। वहीं, पैदल पशु हांकने का काम करने वाले मजदूरों को एक पशु पर 50 रुपये दिया जाता है। इसके अलावा दूरी के हिसाब से मजदूरी बढ़ा भी दी जाती है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।