'जहां जाना है जाओ मेरा कुछ नहीं बिगाड़ेगा', व्यापारी की मिलीभगत से सरकारी अनाज डकार गया डीलर, शिकायत पर धमकी
झारखंड के दुमका में सरकारी राशन में हेरा-फेरी का मामला सामने आया है। जरमुंडी के ग्रामीणों का कहना है कि गरीबों को मिलने वाला अनाज जन वितरण प्रणाली के दुकानदार और व्यापारी मिलीभगत से हड़प रहे हैं। वहीं शिकायत करने पर हमें धमकी भी दे रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि दुकानदार से शिकायत करने पहुंचे तो कहा कि जहां जाना है जाओ मेरा कुछ नहीं बिगड़ेगा।
By Rohit Kumar MandalEdited By: Shashank ShekharUpdated: Sat, 23 Sep 2023 07:07 PM (IST)
संवाद सहयोगी, बासुकीनाथ (दुमका): दुमका में जन वितरण प्रणाली के डीलर पर राशन में हेरा-फेरी का मामला सामने आया है। जरमुंडी के ग्रामीणों ने यह आरोप लगाया है कि इलाके में गरीबों को मिलने वाला अनाज जन वितरण प्रणाली दुकानदार व व्यापारी की मिलीभगत से रातों-रात गायब हो गया।
आरोप यह भी है कि अब राशन कार्डधारी को जन वितरण प्रणाली के दुकानदार चेतावनी दे रहे हैं कि जहां जाना है जाओ, मेरा कुछ नहीं बिगड़ेगा।
ग्रामीणों ने ढेंगाडीह के डीलर महेश साह पर मनमानी का आरोप लगाते हुए शनिवार को जरमुंडी बीडीओ फुलेश्वर मुर्मू से शिकायत की और डीलर पर कार्रवाई की मांग की।
ग्रामीणों ने राशन डीलर पर लगाए ये आरोप
गांव की एक महिला ने कहा कि उसके कार्ड में परिवार के कुल दस सदस्य का नाम है, जिसमें 10 यूनिट में उसे कुल 50 किलो अनाज की जगह मात्र 25 किलो अनाज दिया गया। वहीं, दूसरी महिला ने बताया कि उसे 35 किलो अनाज की जगह तीन किलो ही दिया गया।
ग्रामीणों ने कहा कि डीलर महेश साह से जब इसकी शिकायत की तो बड़े अफसरों के साथ अपने संबंधों की धौंस जताते हुए कहा कि जहां जाना है जाओ, मेरा कुछ नही बिगड़ेगा। राशन कार्डधारकों ने डीलर पर अनाज की चोरी एवं ग्राहकों के साथ अभद्रतापूर्ण व्यवहार का आरोप लगाया।
बीडीओ ने प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी को जांच के दिए आदेश
बीडीओ ने तुरंत प्रभारी प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी गिरेंद्र यादव को टेलीफोन पर जानकारी देकर मामले की जांच कर संबंधित डीलर पर प्राथमिक दर्ज करने का निर्देश दिया।
जानकारों की मानें तो जरमुंडी प्रखंड में कुछ लालची जनवितरण प्रणाली दुकानदार जरमुंडी, नोनीहाट व दुमका के व्यापारियों से सांठ-गांठ कर सरकारी बोरे में मिले अनाज को बदल कर अन्य बोरे में पैक करके खुले बाजार या फिर बंगाल के बाजार में बेच देते हैं।यह भी पढ़ें: Jharkhand: क्या आपको भी नहीं मिली थी साइकिल? अब 8.15 लाख विद्यार्थियों के खाते में आएंगे इतने पैसे
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