Jharkhand News: पहले सुखाड़ फिर बारिश की मार, सब्जी और धान की फसल खराब; किसानों की बढ़ी मुश्किलें
चक्रवात मिचौंग ने किसानों की टेंशन बढ़ा दी है। झारखंड में चक्रवात के असर के कारण मंगलवार से लगातार बारिश हो रही है। ऐसे में खेतों में लगी सब्जियां और तैयार धान की फसलों को भारी नुकसान हुआ है। वहीं बारिश के चलते शहर के तापमान में भी गिरावट दर्ज की गई है। बताया गया है कि इस चक्रवात का असर सात दिसंबर तक रहने का अनुमान है।
By Rajeev RanjanEdited By: Shashank ShekharUpdated: Wed, 06 Dec 2023 06:40 PM (IST)
जागरण संवाददाता, दुमका। मिचौंग चक्रवात का असर बुधवार को दुमका में भी दिखा। चक्रवात का असर यहां मंगलवार की देर शाम से दिखने लगा था और रात में बूंदाबांदी के बाद बुधवार सुबह से दिन भर हल्की बारिश के कारण तापमान में भी गिरावट हुई है। इसकी वजह से ठंड का असर भी बढ़ गया है।
कृषि विज्ञान केंद्र दुमका के मुताबिक, चक्रवात का असर सात दिसंबर तक रहने की संभावना है। आठ दिसंबर को मौसम खुल सकता है। कृषि विज्ञान केंद्र की प्रधान किरण कुमार सिंह ने कहा कि बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी हिस्से में उठे चक्रवाती तूफान मिचौंग की वजह से राज्य के मौसम में बदलाव हुआ है। कहा कि इसे लेकर मौसम विभाग ने येलो अलर्ट जारी किया है। किसानों को भी इस चक्रवात से फसलों की बचाव के लिए प्रबंधन करना आवश्यक है।
'धान की तैयार फसल को अविलंब करें भंडारण'
डॉ. किरण कुमार सिंह
कृषि विज्ञान केंद्र की प्रधान किरण कुमार सिंह ने कहा कि मिचौंग की वजह से हो रही बारिश के कारण धान की तैयार फसलों को नुकसान होने की संभावना है। खास कर धान की तैयार फसलों की कटाई के बाद उसे खेतों में छोड़ना सबसे अधिक नुकसानदायी हो सकता है।
कृषि विज्ञान केंद्र की प्रधान किरण कुमार सिंह ने कहा कि मिचौंग की वजह से हो रही बारिश के कारण धान की तैयार फसलों को नुकसान होने की संभावना है। खास कर धान की तैयार फसलों की कटाई के बाद उसे खेतों में छोड़ना सबसे अधिक नुकसानदायी हो सकता है।
उन्होंने कहा कि बारिश के कारण कटे हुए धान की फसल को नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए, किसानों को अविलंब इसकी भंडारण की व्यवस्था कर लेनी चाहिए। बिना कटाई वाले धान की फसल को भी जितना जल्दी हो सके उसे काट कर खलिहान में भंडारण कर लेना चाहिए। आलू की खेती करने वाले किसानों को भी इस बारिश से नुकसान हो सकता है।
मिचौंग से धान की तैयार फसल को ज्यादा नुकसान पहुंच सकता है। खास कर खेतों में काट कर रखी गई धान की फसल बारिश के कारण खराब हो सकता है। किसानों को चाहिए कि अविलंब उसे उठाकर सुरक्षित स्थान पर भंडारण कराएं। आलू की खेती करने वाले किसानों को भी अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है अन्यथा फसल पर झुलसा रोग का प्रभाव हो सकता है।- डॉ. किरण कुमार सिंह, प्रधान, केवीके, दुमका ये भी पढ़ें: Cyclone Michaung: 'मिचौंग' का झारखंड में कहर, फसलों को भारी नुकसान की आशंका; किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।'आलू का बीज लगाने से पहले इलाज कर लें'
इसलिए, आलू का बीज लगाने से पहले किसान इसे रेडोमिल 278 से इलाज कर लें। आलू के फसल को झुलसा से बचाने के लिए खेत में धुआं करें। मसूर की खेती करने वाले किसान बीज को वैविस्टीन 2.5 और क्लोरिफारीफाश से उपचारित कर बोआई करें। इसमें राइजोबियम ट्राइकोड्रर्मा भी मिलाएं। सरसों की खेती करने वाले किसान कृषि विज्ञान से सलाह लेकर समुचित कीट प्रबंधन करें। लत वाली सब्जियों की खेती करने वाले किसान खेतों में जल जमाव नहीं हो इसके लिए प्रबंधन करें। ये भी पढे़ं: Jharkhand News: सावधान... झारखंड में दिख रहा मिचौंग तूफान का असर, बूंदाबांदी से तापमान में गिरावट, वज्रपात की भी आशंकामिचौंग से धान की तैयार फसल को ज्यादा नुकसान पहुंच सकता है। खास कर खेतों में काट कर रखी गई धान की फसल बारिश के कारण खराब हो सकता है। किसानों को चाहिए कि अविलंब उसे उठाकर सुरक्षित स्थान पर भंडारण कराएं। आलू की खेती करने वाले किसानों को भी अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है अन्यथा फसल पर झुलसा रोग का प्रभाव हो सकता है।- डॉ. किरण कुमार सिंह, प्रधान, केवीके, दुमका ये भी पढ़ें: Cyclone Michaung: 'मिचौंग' का झारखंड में कहर, फसलों को भारी नुकसान की आशंका; किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें