Move to Jagran APP

Jama Assembly Seat: जामा में रोचक लड़ाई, लुईस मरांडी के सामने पुराने साथी हैं मैदान में; जानें समीकरण

जामा विधानसभा सीट (Jama Assembly Seat) पर इस बार रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा। झामुमो की परंपरागत सीट पर इस बार भाजपा ने अपने पुराने चेहरे सुरेश मुर्मू पर दांव लगाया है जबकि झामुमो ने हाल ही में भाजपा से शामिल हुईं पूर्व मंत्री डॉ. लुईस मरांडी को उम्मीदवार बनाया है। दोनों ही दलों के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का सवाल है।

By Rajeev Ranjan Edited By: Rajat Mourya Updated: Fri, 08 Nov 2024 08:33 PM (IST)
Hero Image
लुईस मरांडी के सामने पुराने साथी हैं मैदान में (फाइल फोटो)
राजीव, दुमका। Jharkhand Election 2024 दुमका जिले में स्थित जामा विधानसभा क्षेत्र झामुमो की परंपरागत सीटों में से एक है। जामा सीट की लड़ाई इस बार झामुमो और भाजपा दोनों दलों के लिए प्रतिष्ठा व अस्तित्व की लड़ाई है। अब तक हुए 13 बार के विधानसभा चुनावों में यहां आठ बार झामुमो ने जीत दर्ज की है। यहां से झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन, उनके बड़े पुत्र स्व.दुर्गा सोरेन और उनकी पुत्रवधू व स्व.दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन विधायक चुने जाते रहे हैं।

इस सीट से शिबू सोरेन एक बार, उनके पुत्र स्व.दुर्गा दो बार और पुत्रवधू सीता सोरेन तीन बार जीते हैं। वर्ष 1980 से अब तक जामा क्षेत्र में आठ बार विधानसभा के चुनाव हुए हैं, जिनमें सात बार झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बाजी मारी है, जबकि सिर्फ एक बार 2005 में यह सीट भाजपा के खाते में गई थी। तब यहां से भाजपा के सुनील सोरेन ने झामुमो के विधायक रहे स्व.दुर्गा सोरेन को हराया था। सुनील सोरेन इस बार दुमका से भाजपा के उम्मीदवार हैं।

इस बार के विधानसभा चुनाव में परिदृश्य बदला हुआ है। यहां से पिछले तीन बार की विधायक सीता सोरेन झामुमो छोड़कर भाजपा जा चुकी हैं। इस बार वह जामा को छोड़ बदली हुई सीट जामताड़ा से चुनाव लड़ रही हैं, जबकि भाजपा ने अपने पुराने चेहरे सुरेश मुर्मू पर ही यहां तीसरी बार दांव लगाया है।

उधर, झामुमो ने यहां सीता सोरेन की जगह पर हाल ही में भाजपा से झामुमो में शामिल हुईं पूर्व मंत्री डॉ. लुईस मरांडी को उतारा है। भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि वर्ष पिछले दोनों चुनावों में काफी कम अंतर से सुरेश मुर्मू की हार हुई है। यही वजह से है कि संघ के पसंदीदा सुरेश पर तीसरी बार दांव लगाया गया है।

20 नवंबर को होगा मतदान

जामा विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 2,24,553 है, जिनमें पुरुष 1,09,841 और 1,14,710 महिला मतदाता हैं। मतलब यह कि यहां पुरुषों की तुलना में महिला मतदाताओं की संख्या अधिक है। दूसरे चरण में 20 नवंबर को यहां मतदान होना है। मतदाताओं की गोलबंदी, सेंधमारी व भितरघात इस बार जामा में जीत-हार में मुद्दों से ज्यादा बड़ा फैक्टर है। दोनों ओर से पूरी ताकत झोंकी जा रही है।

जामा में निर्णायक आदिवासी मतदाता हैं। इनकी संख्या करीब 50 प्रतिशत के आसपास है। चुनाव में समीकरणों को प्रभावित करने वालों में ईसाई, घटवाल, यादव, सूढ़ी, खेतोरी, पहाड़िया व अल्पसंख्यक मतदाता हैं।

1984 में शिबू सोरेन जामा में हारे थे चुनाव

चार दशक पूर्व 1980 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के देवान सोरेन यहां से चुनाव जीता था। 1984 के लोकसभा चुनाव में जब शिबू सोरेन कांग्रेस प्रत्याशी से चुनाव हार गए थे तब वह 1985 के विधानसभा से चुनाव लड़ कर विधायक चुने गए थे। वर्ष 1990 के चुनाव में झामुमो ने यहां से मोहरिल मुर्मू को टिकट दिया और उन्होंने जीत हासिल की थी। इसके ठीक बाद वर्ष 1995 के विधानसभा चुनाव में गुरुजी ने अपने बड़े पुत्र दुर्गा सोरेन को जामा से उतारा और तब दुर्गा पहली बार विधायक बने थे।

वर्ष 2000 के चुनाव में लगातार दूसरी बार दुर्गा सोरेन यहां से विधायक चुने गए। लेकिन 2005 के चुनाव में दुर्गा सोरेन भाजपा के सुनील सोरेन से चुनाव हार गए। इसके बाद दुर्गा सोरेन का आकस्मिक निधन हो गया। इसके बाद इस सीट से वर्ष 2009, 2014 और 2019 के चुनावों में लगातार स्व.दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन झामुमो के टिकट पर जीतती रहीं।

ये भी पढ़ें- AJSU पार्टी का मेनिफेस्टो जारी, महिलाओं को मासिक 2500 रुपये देने का वादा; 500 रुपये में गैस सिलेंडर

ये भी पढ़ें- Chatra Election 2024: पार्षद से सांसद तक का चुनाव लड़ चुके हैं चतरा के सागर, 16 साल में 17वीं बार चुनावी मैदान में

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।