Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Jharkhand: शिक्षा में नवाचार पद्धतियों और प्रयोगों के लिए दुमका के शिक्षक कामाख्या को मिला राष्ट्रीय सम्मान

शिक्षा में नवाचार पद्धतियों और प्रयोगों पर विद्यालयों और अध्यापक शिक्षा संस्थानों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार 2022-23 के लिए झारखंड से एकमात्र दुमका जिले के मसलिया प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय शिकारपुर के परियोजना को राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा गया है। NCERT की ओर से नई दिल्ली के नेहरू भवन में 17-18 जुलाई को विद्यालय के शिक्षक व प्रस्तावित परियोजना के समन्वयक कामाख्या नारायण सिंह ने प्रस्तुति दी।

By Rohit Kumar MandalEdited By: Yashodhan SharmaUpdated: Thu, 20 Jul 2023 06:40 PM (IST)
Hero Image
शिक्षा में नवाचार पद्धतियों और प्रयोगों के लिए दुमका के शिक्षक कामाख्या को मिला राष्ट्रीय सम्मान

राजीव, दुमका: शिक्षा में नवाचार पद्धतियों और प्रयोगों पर विद्यालयों और अध्यापक शिक्षा संस्थानों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार 2022-23 के लिए झारखंड से एकमात्र दुमका जिले के मसलिया प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय शिकारपुर के परियोजना को राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा गया है।

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद की ओर से नई दिल्ली के नेहरू भवन में 17-18 जुलाई को आयोजित कार्यक्रम में विद्यालय के शिक्षक व प्रस्तावित परियोजना के समन्वयक कामाख्या नारायण सिंह ने प्रस्तुति दी।

26 में से एक है दुमका

कार्यक्रम में पूरे देशभर से मात्र 26 प्रस्तावित परियोजनाओं का चयन किया गया था, जिसमें झारखंड से एकमात्र परियोजना दुमका के मसलिया से चुना गया है।

इस परियोजना के समन्वयक प्रो.ब्रह्म प्रकाश भारद्वाज, डा.विजयन के थे, जबकि निर्णायक मंडली में प्रो.सुजाता श्रीवास्तव , प्रो.आरके पराशर, प्रो.भूदेव सिंह एवं डा.डीपी आशीजा थे।

क्या कहते हैं कामख्या नारायण सिंह?

राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान से नवाजे जाने के बाद डा.कामख्या नारायण सिंह ने दैनिक जागरण से बातचीत करते हुए कहा कि शिक्षा में नवाचार पद्धतियों और प्रयोगों पर विद्यालयों और अध्यापक शिक्षा संस्थानों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्रत्येक वर्ष चयनित विद्यालयों को दिया जाता है।

इसके लिए शिक्षकों द्वारा सर्वप्रथम परियोजना प्रस्ताव जमा किया जाता है। परियोजना प्रस्ताव के चयन के पश्चात परियोजना का कार्यान्यवन होता है।

इसके पश्चात एनसीईआरटी अध्यापक शिक्षा विभाग को भेजा जाता है। इसके उपरांत निश्चित अवधि पर परियोजना समन्वयक को परियोजना प्रस्तुति के लिए NCERT आमंत्रित किया जाता है।

शिक्षक कामख्या नारायण सिंह ने कहा

निसंदेह यह गौरव व हर्ष का क्षण है। राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार मिलना सुखद अनुभूति प्रदान कर रहा है। यह सामूहिक प्रयासों का ही नतीजा है।

इससे पूर्व वर्ष 2016 में मुझे रीडस ट्रस्ट विश्वविद्यालय आक्सफोर्ड से 2016 में इंसपिरेशनल एजुकेटर अवार्ड, जिला कांग्रेस में एनसीइआरटी के गाइड शिक्षक व राज्य व जिला स्तर पर आयोजित विज्ञान कार्यक्रमों के लिए सम्मानित किया जा चुका है।

उन्होंने आगे बताया कि पूरे देश में इस वर्ष 26 परियोजनाओं को आमंत्रित किया गया था, जिसमें झारखंड के दुमका से एकमात्र परियोजना का चयन हुआ है। यह झारखंड व दुमका के लिए हर्ष का विषय है।

किन प्रस्तावों से मिला सम्मान?

परियोजना के समन्वयक कामाख्या नारायण सिंह ने कहा कि उनके परियोजना के शीर्षक का नाम सामाजिक-सांस्कृतिक व पर्यावरण कार्यक्रमों के द्वारा स्थानीय ग्रामीणों को जोड़ना है।

उन्होंने आगे कहा कि इस विषय पर उत्क्रमित मध्य विद्यालय शिकारपुर की ओर से एक प्रयोग किया गया, जिसका उद्देश्य विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति को बढ़ाने से जुड़ा था।

इसके तहत विद्यालय को समाज से जोड़ने की पहल हुई ताकि समाज के लोग, ग्रामीण भय मुक्त और अंर्तद्वंद मुक्त होकर विद्यालय आ सकें।

इसके पीछे उद्देश्य यह कि अभिभावक विद्यालय के क्रियाकलापों को समझ कर बच्चों को उसके अनुरूप कार्य करने के लिए प्रोत्साहित कर सकें।

इसके अलावा बच्चों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा हो और वह जान सकें कि उनके पूर्वजों में अपनी सांस्कृतिक विरासत को सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से कैसे प्रकृति से जोड़ कर रखा है।

समाज के विभिन्न वर्गों के बच्चे एक-दूसरे की संस्कृति को समझ सकें और उनके दिल में एक-दूसरे की संस्कृति के प्रति आदर का भाव विकसित हो इस दिशा में पहल की गई।

शिक्षकों और ग्रामीणों के बीच कई बैठक

इतना ही नहीं विद्यालय परियोजना के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए शिक्षकों तथा ग्रामीणों की कई बैठकें की गई। इन बैठकों में यह निर्णय लिया गया कि विद्यालय परिसर में यदि करमा व सोहराय पर्व मनाया जाए तो ग्रामीणों को सीधे तौर पर विद्यालय से जोड़ा जा सकता है।

इस निर्णय के बाद विद्यालय में नकुल राय, पांडु सिंह, साधेश्वरी देवी तथा खिरोदा घटवारिन के सहयोग से करमा पर्व मनाया गया तथा विद्यालय में पौधारोपण भी किया गया। पौधारोपण में वन विभाग से भी मदद ली गई।

इसके उपरांत सोहराय पर्व की पूरी तैयारियां भी ग्रामीणों ने की, फिर विद्यालय में खेलकूद का आयोजन किया गया। सोहराय नृत्य का कार्यक्रम पूरे दिन चलता रहा।

सोहराय के आयोजन में शिकारपुर के राम किशोर बास्की, महेश हेंब्रम, नुनूराम मरांडी, सुरेश बास्की समेत कई ने अहम भूमिका निभाई।

ग्रामीणों में भी दौड़ी खुशी की लहर

उन्होंने कहा कि परियोजना को राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार मिलने की जानकारी जब दिल्ली से दूरभाष पर इन ग्रामीणों को दी तो वह गदगद हो गए।

सुरेश बास्की ने कहा कि आगे भी विद्यालय के प्रति उनलोगों का प्रेम और स्नेह बना रहेगा क्योंकि उनके गांव को राष्ट्रीय पहचान मिली है।

समन्वयक कामाख्या नारायण सिंह ने दुमका के जिला शिक्षा अधीक्षक आशीष, लिपिक भोला भारती, विद्यालय के प्रधानाध्यापक जयदेव मरांडी, शिक्षक गौरव यादव एवं सुनील पांडेय के प्रति भी आभार व्यक्त किया है।

आपके शहर की तथ्यपूर्ण खबरें अब आपके मोबाइल पर