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Jharkhand News: दुमका के गोपीकांदर में माफियाओं का खेल, संगठित तरीके से चलाते हैं कोयले का अवैध कारोबार; करोड़ों का है खेल

Jharkhand News दुमका के गोपीकांदर के ओडमो के डहरटोला में अवैध कोयला खदानों से हर रोज कोयले की निकासी होती है। इस धंधे को चलाने के लिए संगठित गिरोह सक्रिय है जिसमें दुमका के रामगढ़ गोपीकांदर जामा शिकारीपाड़ा दुमका समेत पश्चिम बंगाल के लोग शामिल हैं। कोयले की उच्‍च गुणवत्‍ता के कारण इस इलाके में माफियाओं की नजर रहती है।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Fri, 24 Nov 2023 05:44 PM (IST)
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संगठित तरीके से कोयला माफिया चलाते हैं अवैध कारोबार।

राजीव, दुमका। अर्से बाद गुरुवार को दुमका के गोपीकांदर के ओडमो के डहरटोला में अवैध कोयला के तीन सक्रिय खदानों की डोजरिंग की कार्रवाई हुई है और वह भी गुप्त सूचना के आधार पर। पहले ही ईडी की रडार पर रहने वाले दुमका के जिला खनन पदाधिकारी कृष्ण कुमार किस्कू की अगुवाई में किए गए डोजरिंग के इस कार्रवाई में पांच घंटा से अधिक का समय लगा और इसके लिए चार जेसीबी लगाना पड़ा।

अवैध खदानों से हर रोज कोयले कर निकासी

जानकार बताते हैं कि इन अवैध खदानों से प्रतिदिन कम से कम तीन से पांच ट्रैक्टर कोयला की निकासी होती है। सुरंग खोदकर कोयला निकालने का काम इस इलाके के मजूदरों के अलावा इस धंधे में माहिर कुछ दूसरे लोग भी होते हैं। इन सुरंगों को इस तरीके से तैयार किया जाता है कि ये आपस में एक-दूसरे से इंटर कनेक्ट रहते हैं।

इन सुरंगों में जान जोखिम में डालकर मजदूर अंदर घुसते हैं और कोयला खोदाई कर बोरियों में भरकर बाहर लाते हैं। इस काम के लिए इन्हें मेहताना मिलता है। फिर बोरियों के इस कोयला को माफिया खरीदते हैं, जिसे साइकिल और मोटरसाइकिल से उनके द्वारा बताए गए डंपिंग की जगह पर इसे पहुंचाया जाता है। यहां से ट्रक और ट्रैक्टर के जरिए रामगढ़ थाना क्षेत्र होते हुए बिहार और गुमा मोड़ होते हुए दुर्गापुर पश्चिम बंगाल तक पहुंचाया जाता है।

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धंधे को चलाने के लिए कई गिरोह सक्रिय

इस धंधे को चलाने के लिए संगठित गिरोह सक्रिय है जिसमें दुमका के रामगढ़, गोपीकांदर, जामा, शिकारीपाड़ा दुमका समेत पश्चिम बंगाल के लोग शामिल हैं।

अवैध धंधे का पूरा खेल मैनेजमेंट के साथ खेला जाता है। इस इलाके में रहने वाले लोग बताते हैं कि जिस इलाके में कोयला का अवैध खनन हो रहा है उस इलाके पर प्रशासन से ज्यादा जोर खनन माफियाओं का है।

प्रशासन को इन इलाकों में सहजता से घुस पाना भी मुश्किल है। इससे पहले भी इस इलाके में तीन बार प्रशासन की ओर से अवैध कोयला खदानों का डोजरिंग कराया गया है लेकिन खनन माफियाओं को ऐसी कार्रवाई महज कुछ दिनों के लिए ही प्रभावित करती है।

कुछ दिनों के बाद फिर से इन इलाकों में अवैध कोयला खनन का खेल शुरू हो जाता है। सूत्र बताते हैं कि प्रशासन की ऐसी कार्रवाई इनके लिए महज एक आइवास जैसा ही है क्योंकि इस खेल में सरकारी तंत्र से लेकर सफेदपोश की सह से शायद ही किसी को इन्कार है।

माफियाओं की निगाह इस इलाके पर

जानकार बताते हैं कि गोपीकांदर प्रखंड के कई इलाकों में काफी उच्च गुणवत्ता वाला जी-9 कोयला पाया जाता है। बाजार में न सिर्फ इसकी डिमांड है बल्कि मुंहमांगा दाम भी मिलता है।

यही कारण है कि कोयला माफियाओं की गिद्ध दृष्टि इस इलाके पर है। सूत्रों के मुताबिक कोयला के इस अवैध कारोबार को चलाने के लिए माफियाओं ने कई ऐसे महफूज ठिकानों को चिह्नित कर रखा है जहां प्रशासन की पहुंच मुश्किल है।

रामगढ़ प्रखंड के केंदुआ, डाडो, रैयाडीह, दामेडीह, धावा, बोरनिया, गोपीकांदर का आमडीहा, सिलंगी, चीरुडीह, शिकारीपाड़ा प्रखंड में हरिणसिंघा समेत कई ऐसे इलाके हैं, जहां साइकिल और मोटरसाइकिल से ढोकर कोयला डंप किया जाता है।

जानकार बताते हैं कि इन चिह्नित इलाकों में प्रतिदिन 100 से अधिक मोटरसाइकिलों से कोयला पहुंचाया जाता है। साइकिल वालों की संख्या भी इससे कम नहीं है।

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