Lalu yadav iIn Deoghar। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव अपने धर्मपत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के साथ एक बार फिर राष्ट्रीय राजनीति की धुरी में है। लालू यादव व उनकी पत्नी सालों बाद बाबा बैधनाथ की धरती पर कदम रखें हैं। वह सोमवार को बाबा बैद्यनाथ की पूजा करेंगे। उसके बाद वह फौजदारी दरबार में भी हाजिरी लगाएंगे।
By Jagran NewsEdited By: Shashank ShekharUpdated: Sun, 10 Sep 2023 07:58 PM (IST)
राजीव, दुमका: राजनीति के खेल में बाजी को पलटने में माहिर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav) एक बार फिर से राष्ट्रीय राजनीति की धुरी में है। मुंबई में आईएनडीआईए की बैठक के बाद लालू यादव और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री व उनकी धर्मपत्नी राबड़ी देवी (Rabri Devi) ने अरसे बाद देवघर की धरती पर कदम रखा है।
सोमवार को बाबा बैद्यनाथ की पूजा के बाद वह फौजदारी दरबार में भी हाजिरी लगाएंगे। रविवार को
देवघर एयरपोर्ट (Devghar Airport) पर राजद के नेताओं व कार्यकर्ताओं ने जिस अंदाज में लालू प्रसाद (Lalu Yadav) की आगवानी की है, वह आने वाले दिनों में झारखंड की राजनीतिक जमीन पर उठा-पटक का सीधा संदेश है।
कभी झारखंड की धरती पर था RJD का दबदबा
दरअसल, लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav) को इस बात की बखूबी जानकारी है कि झारखंड की जमीन पर कभी राजद का दबदबा था।
अखंड बिहार में इस क्षेत्र से 14 विधायक और फिर वर्ष 2000 में अलग झारखंड राज्य के गठन के समय राजद के नौ विधायक हुआ करते थे। पलामू, चतरा व कोडरमा लोकसभा सीट पर राजद का ही दबदबा था।राज्य गठन के बाद पहली बार जब साल 2005 में विधानसभा का चुनाव हुआ तो राजद के सात विधायक चुनाव जीते थे, जिसमें अभी मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी भी शामिल थीं।
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2005 में राजद के इन विधायकों ने दर्ज की थी जीत
2005 में चुनाव जीतने वाले राजद विधायकों (RJD MLA) की सूची में गिरिनाथ सिंह, रामचंद्र चंद्रवंशी, रामचंद्र सिंह, प्रकाश राम, उदयशंकर सिंह और बलदेव हाजरा जैसे चेहरे थे। संताल परगना में देवघर, गोड्डा और सारठ विधानसभा से राजद के विधायक रहे हैं।
संजय प्रसाद यादव गोड्डा से दो बार विधायक बने तो सुरेश पासवान भी देवघर से विधायक और हेमंत सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। इसके अलावा उदयशंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह सारठ से विधायक चुने गए थे।वर्तमान में संजय प्रसाद यादव और सुरेश पासवान संताल परगना में राजद के चेहरा हैं, जिस पर पार्टी अभी भी दांव खेलती है।हालांकि, झारखंड में वर्ष 2009 के चुनाव में राजद के पांच ही विधायक चुने गए थे। वर्ष 2014 में तो राजद का सूपड़ा ही विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Election) में साफ हो गया था।
इतना ही नहीं, झारखंड में राजद के तमाम बड़े नेता पार्टी से भी नाता तोड़ते चले गए थे। वर्ष 2019 में किसी तरह से एक सीट पर राजद चुनाव जीत पाई। अभी राजद के विधायक सत्यानंद भोक्ता हेमंत कैबिनेट में मंत्री हैं।अब जब पूरे देश में मिशन 2024 के लिए इंडिया बनाम भारत की बिसात बिछ रही है तो लालू प्रसाद यादव झारखंड में आईएनडीआईए के बहाने राजद (RJD) की भी पुनर्वापसी चाहते हैं।बदले हुए राजनीतिक हालात में
लालू प्रसाद यादव झारखंड में एनडीए (NDA) को शिकस्त देने का ताना-बाना बुन रहे हैं। कभी एनडीए के साथ खड़े नीतीश कुमार की पार्टी जदयू झारखंड में अब आईएनडीआईए के साथ है।
झारखंड में जदयू के कभी पांच विधायक होते थे और कुर्मी मतदाताओं पर जदयू (JDU) का दबदबा हुआ करता था। अभी जदयू के खीरू महतो झारखंड से राज्यसभा के सांसद हैं। जदयू भी अब नए सिरे से यहां अपनी पुरानी राजनीतिक जमीन तलाशने के फिराक में है।
झारखंड में 14 सीटों में से 12 पर एनडीए का कब्जा
लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav) इसी उम्मीद के आसरे बिहार की तर्ज पर झामुमो-कांग्रेस-राजद-जदयू व वाम दलों को एक सूत्र में गूंथने की फिराक में हैं ताकि भाजपा और आजसू को सीधे तौर पर चुनौती दी जा सके।
लालू यह समझ रहे हैं कि अभी झारखंड (Jharkhand) में लोकसभा की 14 सीटों में 12 पर एनडीए (NDA) का कब्जा है। एक सीट कांग्रेस और एक झामुमो के पास है।ऐसे में लालू की निगाह चतरा-पलामू समेत उन तमाम परंपरागत सीटों पर पैनी है, जहां सेम माइंड के मतों का ध्रुवीकरण किया जा सकता है।राजद के वोट बैंक मुस्लिम-यादव के अलावा घटक दलों के वोट बैंक की ताकत के दम पर भाजपा-आजसू को पछाड़ा जा सकता है।
संताल परगना में भी झामुमो-कांग्रेस की ताकत पर आईनडीआईए (i.N.D.I.A) की सीटों को बढ़ाने की मंशा लालू प्रसाद यादव के जेहन में है।
कार्यकर्ताओं में लालू का क्रेज बरकरार
भले ही झारखंड में राजद अभी संख्या बल में हाशिए पर है, लेकिन राजद सुप्रीमो
लालू प्रसाद यादव (Lalu Yadav) का क्रेज कार्यकर्ता व नेताओं पर सिर चढ़कर बोलता है।
इसी 25 अगस्त को दुमका के इंडोर स्टेडियम में पिछड़ा वर्ग संघर्ष मोर्चा के सेमिनार में जब सूरज मंडल ने संबोधन के दौरान लालू प्रसाद यादव के खिलाफ बोला तो मौके पर मौजूद राजद व यादव समाज के लोगों ने हत्थे से उखड़कर न सिर्फ इसका विरोध किया, बल्कि कुर्सियां व पोडियम तक चटकाने से बाज नहीं आए थे।
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