'शिबू सोरेन नहीं, तिलकामांझी हो... ', दुमका के नए पुल का नाम रखने को लेकर गरमाई सियासत; BJP ने जताया कड़ा ऐतराज
दुमका में बने नए पुल का नाम रखने को लेकर प्रदेश की सियासत गरमा गई है। भाजपा ने इसे लेकर झामुमो पर कड़ा एतराज जताया है। भाजपा नेत्री लुइस मरांडी ने कहा कि राजनीति का यह चरित्र परिवारवाद का एक और बड़ा उदाहरण है। दरअसल कुमड़ाबाद में बने नए पुल का नाम झामुमो सुप्रीमो दिसोम गुरु शिबू सोरेन सेतु रखे जाने के प्रस्ताव जारी किया गया था।
By Rajeev RanjanEdited By: Shashank ShekharUpdated: Tue, 31 Oct 2023 05:42 PM (IST)
जागरण संवाददाता, दुमका। दुमका के कुमड़ाबाद में नवनिर्मित उच्च स्तरीय पुल का नाम झामुमो सुप्रीमो दिसोम गुरु शिबू सोरेन सेतु रखे जाने के प्रस्ताव पर भाजपा ने कड़ा एतराज जताया है। भाजपा नेत्री व पूर्व मंत्री लुइस मरांडी ने कहा कि राजनीति का यह चरित्र परिवारवाद का एक और बड़ा उदाहरण है।
उन्होंने कहा कि सरकार अगर सही मायने में आदिवासियों की हितैषी है तो इस पुल का नाम अमर शहीद तिलकामांझी रखे जाने का प्रस्ताव कैबिनेट में लाए।
लुइस ने कहा कि इस पुल के निर्माण की आधारशीला मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल में 2018 में रखी गई थी। भाजपा की सरकार ने इस पुल के निर्माण की स्वीकृति देकर सैकड़ों गांवों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की पहल की है, जिसका श्रेय हेमंत सरकार लेना चाहती है।
'भाजपा ने रखी पुल के निर्माण का आधारशीला'
भाजपा नेत्री ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि इस पुल के निर्माण का आधारशीला रखकर भाजपा ने उन गांवों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की पहल की है, जहां विकास तो दूर मूलभूत सुविधाओं व आवश्यकताओं के लिए ग्रामीण तरस रहे थे।
आदिवासी महिलाओं को प्रसव के लिए एंबुलेंस तक उपलब्ध नहीं हो पाता था उन्हें अब पुल बनने से तमाम सुविधाएं नसीब होगी।
'हेमंत सरकार की करतूतों को देख रही जनता'
उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार की करतूतों को दुमका की जनता देख और समझ रही है। सोरेन परिवार ने अलग राज्य गठन के नाम पर जनता का सिर्फ शोषण किया है। आदिवासी समुदाय को अनपढ़ व अशिक्षित रखकर वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया है। विकास के बदले भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया और राज्य की जनता को उनके हाल पर छोड़ दिया है।
लुइस मरांडी ने कहा कि पुल का नाम शिबू सोरेन रखकर आखिर सरकार क्या जताना चाहती है यह जनता को बताना चाहिए। कहा कि आखिर इस पुल के निर्माण में शिबू सोरेन या वर्तमान हेमंत सरकार का क्या योगदान है। तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के शासनकाल में ही इस पुल के निर्माण की परिकल्पना करते हुए इसे धरातल पर उतारने की पहल हुई थी।यह भी पढ़ें: हेमंत सोरेन ने दुमका को दी 543 करोड़ की सौगात, झारखंड के सबसे लंबा पुल का किया उद्घाटन; होंगे ये फायदे
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