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Dumka News: रिश्वतखोरी में रानीश्वर के बीडीओ को चार साल की सजा, 14 साल पुराना है पूरा मामला

दुमका में रानीश्वर प्रखंड के वर्तमान बीडीओ शिवाजी भगत को 14 साल पुराने मामले में चार साल की सजा सुनाई गई है। निगरानी अदालत के विशेष न्यायाधीश प्रकाश झा की अदालत ने रिश्वतखोरी के आरोप में सजा सुनाया है। साथ ही आरोपी पर एक लाख बीस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। वहीं जुर्माना की राशि न भरने पर नौ महीने अतिरिक्त सजा का एलान किया गया है।

By Anoop Kumar Srivastava Edited By: Shashank Shekhar Updated: Fri, 26 Jul 2024 05:13 PM (IST)
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रानीश्वर के बीडीओ शिवाजी भगत को चार साल की सजा। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, दुमका। निगरानी अदालत के विशेष न्यायाधीश प्रकाश झा की अदालत ने शुक्रवार को रिश्वतखोरी के 14 साल पुराने मामले में दुमका के रानीश्वर प्रखंड के वर्तमान और नाला के तत्कालीन बीडीओ शिवाजी भगत को दोषी करार देते हुए चार साल और 1.20 लाख रुपया जुर्माना की सजा सुनाई। जुर्माना की राशि अदा नहीं करने पर अभियुक्त को नौ माह की अतिरिक्त सजा काटनी होगी।

शिवाजी भगत ने नाला में बीडीओ सह सीओ पद पर रहते हुए तारकनाथ मंडल से काम कराने के एवज में 30 हजार की मांग की थी। पीड़ित की शिकायत पर एसीबी ने एक अप्रैल 2010 को उन्हें रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। वे सात माह तक जेल में रहे।

पिछले साल रानीश्वर के बीडीओ पद पर योगदान किया। इस मामले में सरकार की ओर से लोक अभियोजक चंपा कुमारी और बचाव पक्ष की ओर से सोमा गुप्ता ने बस की। कोर्ट पदाधिकारी शंभू सिंह की मदद से दस लोगों ने गवाही दी।

क्या है पूरा मामला

एपीपी ने बताया कि वर्ष 10 में शिवाजी भगत नाला के बीडीओ सह अंचलाधिकारी थे। नाला निवासी तारकनाथ मंडल अपने पुराने घर तोड़कर नया बनाना चाहता था। काम के दौरान गांव के लोगों ने उस पर सरकारी स्कूल की जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगाते हुए सीओ से शिकायत की।

सीओ ने जांच करने के बाद भी रिपोर्ट समर्पित नहीं की। तारकनाथ ने इसकी शिकायत तत्कालीन एसडीओ दशरथ चंद्र दास से की तो उन्होंने सीओ को जांच कर रिपोर्ट मांगी। बीडीओ सह सीओ ने जमीन पर काम चालू कराने की अनुमति देने के लिए पीड़ित से 30 हजार रुपया की मांग की। जमीन पीड़ित की थी, इसलिए उसने पैसा देने से मना कर दिया।

लगातार दबाव देने के बाद एसीबी से शिकायत की। एसीबी ने एक अप्रैल 10 को उन्हें कार्यालय में ही पैसा लेते धर दबोचा। सात माह तक शिवाजी जेल में रहे। बताया कि अदालत ने धारा सात और 13 के तहत सजा देते हुए जुर्माना भी लगाया है।

वीडियो संवाद से सुनाई सजा

लोक अभियोजक ने बताया कि जनवरी माह की सारी गवाही पूरी हो चुकी थी। 22 जुलाई को बीडीओ अदालत में पेश हुए। अदालत ने दोषी मानते हुए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था। अदालत ने केंद्रीय कारा में बंद आरोपित को वीडियो संवाद के माध्यम से सजा के बारे में बताया।

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