राज्य सरकार ने आदिवासियों के साथ किया छल,मरांगबुरू की रक्षा हमारे अस्तित्व और पहचान के लिए जरूरी- सालखन मुर्मू
मरांग बुरु बचाओ भारत यात्रा के तहत रविवार को आयोजित आदिवासियों की सभा को संबोधित करते हुए सेंगेल अभियान के अध्यक्ष सालखन ने कहा कि गिरिडीह के पारसनाथ पहाड़ पर आदिवासियों के ईश्वर मरांग बुरु अवस्थित हैं और राज्य सरकार ने इसे जैनियों को सौंपकर हमारे साथ छल किया है।
By Rohit Kumar MandalEdited By: Mohit TripathiUpdated: Sun, 22 Jan 2023 08:48 PM (IST)
दुमका, संवाद सहयोगी: मरांग बुरु बचाओ भारत यात्रा के तहत रविवार को जामा प्रखंड में आयोजित आदिवासियों की सभा को संबोधित करते हुए सेंगेल अभियान के अध्यक्ष और पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा कि गिरिडीह के पारसनाथ पहाड़ पर आदिवासियों के ईश्वर मरांग बुरु अवस्थित हैं। इसे जैन धर्मावलंबियों ने अपना बताया और हेमंत सरकार ने पांच जनवरी को केंद्र सरकार को भेजे गए पत्र में हमारे इस पवित्र पहाड़ को जैनों को सौंपने की बात कही है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने आदिवासियों के पक्ष को बिल्कुल ही दरकिनार कर दिया है। यह आदिवासी समुदाय के साथ धोखा है। यह इस समाज के लिए अयोध्या के राम मंदिर से कम महत्वपूर्ण नहीं है। मरांग बुरू की रक्षा आदिवासी अस्तित्व, पहचान और हिस्सेदारी के लिए जरूरी है। सालखन ने कहा कि उनकी यह यात्रा 28 फरवरी तक चलेगी। सोमवार को यह यात्रा गोड्डा पहुंचेगी।उन्होंने कहा कि कहा कि यात्रा के दौरान मरांग बुरु बचाने के साथ 2023 में हर हाल में सरना धर्म कोड की मान्यता देने, कुर्मी को एसटी बनाने वालों का विरोध करने और झारखंड में प्रखंडवार नियोजन नीति लागू करने, देश के सभी पहाड़-पर्वतों को आदिवासियों को सौंपने की मांग उठाई जा रही है।
उन्होंने कहा कि 30 जनवरी को पांच प्रदेशों झारखंड, बंगाल, ओड़िशा, बिहार, असम के 50 जिला मुख्यालयों में मरांग बुरु बचाने, सरना धर्म कोड की मान्यता और अन्य आदिवासी मामलों के लिए मशाल जुलूस निकाला जाएगा। पूर्व सांसद मुर्मू ने कहा कि यदि केंद्र सरकार 30 जनवरी तक कोई सकारात्मक फैसला नहीं लेती है तो फरवरी में सेंगेल के जरिए अनिश्चितकालीन रेल और रोड पर चक्का जाम किया जाएगा।यह भी पढ़ें: भविष्य की राजनीति के लिए भाजपा अपने कार्यकर्ताओं को दिला रही तकनीकी का ग्यान, धनबाद में आयोजित की गई कार्यशाला
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