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झारखंड में खेला करने की फुलप्रूफ प्लानिंग करने में भाजपा, जान लें आखिर क्या है मत चूको चौहान की खास रणनीति?

लोकसभा चुनाव में झारखंड में मिली सफलता के बाद भाजपा विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी तैयारियां अभी से तेज कर दी हैं। भाजपा चाहती है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा सिर्फ अपने प्रदर्शन को ही बेहतर नहीं करे बल्कि सत्ता पर काबिज होने के लिए अपना पूरा दम लगाए। इसके लिए पार्टी के रणनीतिकारों के बीच मंथन का दौर शुरू हो चुका है।

By Rajeev Ranjan Edited By: Mohit Tripathi Updated: Wed, 26 Jun 2024 10:45 AM (IST)
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मत चूको चौहान की रणनीति पर विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा। (फाइल फोटो)

राजीव रंजन, दुमका। लोकसभा चुनाव के बाद झारखंड (Jharkhand Politics) में इसी वर्ष के अंत में होने वाली विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Elections 2024) की तैयारियों में भाजपा (Jharkhand BJP) ने अभी से ही पूरी ताकत झोंकना शुरू कर दिया है।

भाजपा के रणनीतिकारों की मंशा है कि इस बार विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Elections) में भाजपा (BJP) न सिर्फ बेहतर प्रदर्शन कर अपनी विधायकों की संख्या को बढ़ाए, बल्कि चंपई सरकार (Champai Soren Government) को शिकस्त देकर सत्ता पर भी काबिज हो।

इसके लिए अभी से यहां मध्यप्रदेश मॉडल (Madhya Pradesh Political Model in Jharkhand) को धरातल पर उतारे जाने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया गया है।

पार्टी सूत्रों पर भरोसा करें तो, झारखंड विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Elections 2024) के लिए खास तौर पर नियुक्त किए गए मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) झारखंड (Jharkhand Politics) में जीत की रणनीति बनाने के लिए कसरत करना प्रारंभ कर दिया हैं।

लोकसभा चुनाव के ताजा परिणामों के साथ वर्ष 2019 में हुए विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Elections) में हुई भाजपा की प्रदर्शन को सामने रखकर पुख्ता रणनीति तैयार की जा रही है।

भाजपा के रणनीतिकार इस बार उन सीटों पर विशेष ध्यान केंद्रित करने के फिराक में हैं जिस पर भाजपा की हार काफी कम अंतर से या फिर ऐसी चूक से हुई है, जिसे समय रहते दूर कर इस सीट को जीता जा सकता है।

झारखंड में गठबंधन को लेकर पड़ी गांठों को भी बाहरी नहीं, बल्कि अंतर्मन से खोलने की मनोदशा तैयार की जा रही है।

पिछले चुनाव में भाजपा-आजसू के बीच की खटास कई सीटों पर हार की वजह बताई गई थी जिसे समय रहते पाटने की तैयारी भी की जा रही है। इसके लिए घटक दलों से समन्वय बनाने की पहल भी अभी से किए जाने का संकेत है।

संभव है लोकसभा चुनाव की तरह ही इस चुनाव में भाजपा के साथ यहां आजसू, जदयू और लोजपा गठबंधन एक साथ चुनाव मैदान में उतरें। खास कर संताल परगना में भाजपा किसी भी सूरत में झामुमो के अभेद दुर्ग को भेदना चाहती है।

भाजपा के रणनीतिकार यह भली-भांति समझ रहे हैं कि अगर सत्ता की कुर्सी तक पहुंचना है तो, संताल परगना में झामुमो के अभेद दुर्ग को भेदना ही एक मात्र विकल्प है।

रणनीतिकार यह महसूस करते हैं कि बगैर इस दुर्ग पर जीत के झारखंड की सत्ता की कुंजी हासिल करना दूर की कौड़ी जैसी ही होगी। ऐसे में अबकी बार भाजपा मत चूको चौहान की रणनीति पर काम करने की तैयारी में है।

संताल परगना के लिए माइक्रो लेबल पर प्लानिंग

भाजपा के रणनीतिकारों की निगाह संताल परगना पर विशेष है। संताल परगना में जीत के लिए भाजपा यहां माइक्रो लेबल पर प्लानिंग कर रही है।

खासकर उन सीटों पर भाजपा विशेष ध्यान केंद्रित करने के फिराक में है जिस पर भाजपा कभी न कभी चुनाव जीतने में सफलता हासिल की है।

ऐसे अगर पिछले विधानसभा चुनाव में यहां के कुल 18 सीटों पर जीत-हार के आंकड़ों को देखा जाए तो भाजपा मात्र चार सीटों पर जीत हासिल कर यहां तीसरे नंबर की पार्टी है।

भाजपा के लिए बड़ी त्रासदी यह भी कि संताल परगना के सात अनुसूचित जनजाति आरक्षित सीटों में से एक भी सीट पर चुनाव नहीं जीत पाई थी।

18 में से नौ सीट अकेले झामुमो के पास है जिसमें सातों अनुसूचित जनजाति आरक्षित सीटें भी शामिल है। दूसरे नंबर पर यहां कांग्रेस है जिसके पास पांच विधायक हैं।

नए समीकरणों पर भी भाजपा की निगाह

संताल परगना में जीत हासिल करने के लिए भाजपा नए समीकरणों पर भी समान रूप से निगाह बनाकर आगे बढ़ने की तैयारी में है।

खासकर लोकसभा चुनाव के दौरान झामुमो से बागी होकर राजमहल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले बोरियो के विधायक लोबिन हेंब्रम, जामा से झामुमो की विधायक रहीं सीता सोरेन के भाजपा में शामिल होने के बाद अब इस इलाके में भाजपा उन चेहरों पर भी निगाह बनाए रखना चाहती है, जिसका लाभ भाजपा को मिल सके।

वहीं, लोकसभा चुनाव में दो सीट दुमका और राजमहल पर जीत हासिल करने के बाद झामुमो खेमे में उत्साह है। झामुमो के नवनिर्वाचित सांसद नलिन सोरेन का कहना है कि विधानसभा चुनाव में झामुमो के नेतृत्व में आइएनडीआइए गठबंधन बड़ी जीत हासिल कर दोबारा सत्ता पर काबिज होगी यह तय है।

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