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रुबिका हत्‍याकांड: पोस्टमार्टम करते वक्‍त सिहरे डॉक्‍टर, कुछ अंग गायब, तो कुछ को दूसरे संग जोड़ना हुआ मुश्‍किल

रुबिका के शव के टुकड़ों को जब पोस्‍टमार्टम के लिए लाया गया था तो उसकी हालत देख डॉक्‍टर्स और अन्‍य कर्मी जो इस पेशे में सालों से लगे हुए हैं सिहर उठे थे। टुकड़ों को जोड़कर उसे इंसानी आकार देने में काफी वक्‍त लगा।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Thu, 22 Dec 2022 09:47 AM (IST)
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रुबिका की शव की हालत देख सिहरे पोस्‍टमार्टम करने वाले डॉक्‍टर्स
राजीव, दुमका। साहिबगंज के आदिम जनजाति पहाड़िया समुदाय की युवती रुबिका के शरीर के 28 टुकड़ों का पोस्टमार्टम दुमका में चिकित्सकों ने किया था। इन टुकड़ों को इंसानी आकार देने में ही तीन घंटे से अधिक समय लगा था। टुकड़ों को देखकर चिकित्‍सक भी सिहर गए थे। माना जा रहा है कि रुबिका के शरीर को इतनी बेरहमी से काटकर टुकड़े-टुकड़े किया गया कि इसमें कम से कम पांच  से छह  घंटे तक लगे होंगे।

टुकड़ों में बंटा था एक-एक अंग, जोड़ने में आई मुश्‍किलें

पोस्टमार्टम विभाग के सूत्रों ने बताया कि तेज धार वाले हथियार का इसमें इस्तेमाल किया गया है। शरीर के कई भाग की खाल भी छील दी गई है। कई हिस्सों खासकर पिछले हिस्से की चमड़ी उतार दिए जाने से सिर्फ मांस दिख रहा था। पोस्टमार्टम के लिए पांच प्लास्टिक बैग में शव के टुकड़ों को लाया गया था। जब इनको आकार दिया गया तो सिर, फेफड़े, सात अंगुलियां, बाएं हिस्से  की पसली, पेट का हिस्सा समेत कई अंग गायब मिले। दोनों किडनियां आधी मिलीं, प्लीहा भी दो टुकड़े में था। शरीर के दस  में से मात्र तीन अंगुलियां मिलीं। बच्चेदानी भी मिली है। हड्डी, नाखून, बच्चादानी को जांच के लिए रांची भेजा जाएगा।

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4000 शवों का पोस्टमार्टम करा चुके कर्मियों के रोंगटे खड़े हो गए

दुमका के पोस्टमार्टम हाउस में काम करने वाले सफाईकर्मी व करीब एक शव पर 100 रुपये पाने वाले सहयोगी ने बताया कि वह साल 2009 से पोस्टमार्टम हाउस में है। अब तक 4000 से अधिक शवों के पोस्टमार्टम के साक्षी हैं, अपने जीवन में ऐसा वीभत्स वाकया नहीं देखा। शरीर के इतने टुकड़े देखकर रोंगटे खड़े हो गए थे। चिकित्सकों के चेहरों पर भी सिहरन दिख रही थी। एक-एक अंग को दूसरे अंग से जोड़कर इंसानी आकार देने में काफी मशक्कत करनी पड़ी।

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