Jharkhand News: पाठशाला बनी गोशाला, पहले शिक्षा के नाम पर लाखों रुपये खर्च अब पशु बांधने के काम आ रहे हैं भवन
गढ़वा में शिक्षा के नाम पर पहले तो लाखों रुपये खर्च किया गया और अब शिक्षा का मंदिर पशु बांधने के काम में आ रहे हैं। 2018 में विद्यालयों को मर्ज किए जाने के बाद इन भवनों का उपयोग नहीं हो पा रहा है। विद्यालय का यह भवन झाड़ियों में छिपकर अपना अस्तित्व खोने की कगार पर पहुंच चुके हैं। प्रखंड के ओबरा पंचायत से यह मामला सामने आया है।
By Sandeep KeshriEdited By: Shashank ShekharUpdated: Sun, 19 Nov 2023 08:02 PM (IST)
संदीप केसरी शौर्य, गढ़वा। गढ़वा में शिक्षा के नाम पर लाखों रुपये खर्च कर भवनों का निर्माण कराया गया है, मगर बहुत से ऐसे विद्यालय भवन है, जो पशु बांधने व लकड़ी रखने के काम आ रहे हैं। 2018 में विद्यालयों को मर्ज किए जाने के बाद इन भवनों का उपयोग नहीं हो पा रहा है तथा यह भवन अनुपयोगी साबित हो रहे हैं।
ऐसे में सरकार एवं आम लोगों के खून पसीने की कमाई से बने यह विद्यालय भवन बेकार साबित हो रहे है। मर्ज हुए स्कूल भवन झाड़ियों के पीछे छिपकर अब अपना अस्तित्व खोने की कगार पर पहुंच गए हैं।
2018 में मर्ज कर दिया गया स्कूल भवन
ऐसा ही एक मामला गढ़वा प्रखंड के ओबरा पंचायत में देखने को मिल रहा है। उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय पीपरढही को 2018 में मर्ज कर दिया गया है। इस स्कूल में 55 बच्चे नामांकित थे, जिन्हें अब लगभग दो किलोमीटर की दूरी तय कर मुख्य पथ स्थित उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय पचकेड़ी में जाना पड़ता है।सबसे बड़ी बात यह है कि मर्ज होने के पूर्व से पीपरढही विद्यालय का पुराना भवन है, मगर इसके बगल में नया 3 एसीआर भवन भी बना दिया गया है और उसे आधा अधूरा छोड़ दिया गया है। इस भवन का ढाचा तैयार है, मगर न खिड़की लगे और न ही दरवाजा।
ग्रामीण पशु बांधते है तथा लकड़ी रखते हैं।
इसका प्लास्टर भी नहीं हुआ है। जो मर्ज होने के पूर्व किए गए घोटाले की ओर इशारा करता है। यह भवन अब किसी काम का नहीं है। ग्रामीण यहां पशु बांधते है तथा लकड़ी रखते हैं।सरकारी राशि के दुरूपयोग का यह अनूठा नमूना है। पुराना भवन भी ग्रामीणों द्वारा उपयोग में लाया जा रहा है। रसोई घर भी बेकार पड़ा हुआ है। ऐसे में जिले मे मर्ज अन्य स्कूल भवनों का क्या हाल होगा इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।
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