Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Jharkhand News: भूख से तड़प-तड़प कर मौत,परिवार का आरोप कई महीनों से नहीं मिल रहा था राशन; सिस्टम ने ले ली जान!

Jharkhand News गढ़वा के डंडई प्रखंड कार्यालय के पास रह रहे मुसहर परिवार के लोगों को पिछले 7 महीनों से राशन नहीं मिला है। उनके सामने अब भुखमरी की नौबत आ गई है। सुखाड़ होने के कारण उन्हें अब भीख भी नहीं मिलती है। सरकारी अनाज नहीं मिलने से गरीब परिवार के लोग परेशान हैं। सरकार की महत्वाकांक्षी ग्रीन कार्ड राशन योजना किसी काम की नजर नहीं आ रही है।

By Jagran NewsEdited By: Monu Kumar JhaUpdated: Thu, 28 Sep 2023 02:27 PM (IST)
Hero Image
भूख से तड़प-तड़प कर मौत, सिस्टम ने ले ली जान! फोटो जागरण

 जागरण संवादाता, (गढ़वा) Jharkhand News: डंडई प्रखंड कार्यालय के समीप रह रहे मुसहर परिवार के लोगों को पिछले सात महीनों से राशन नहीं मिल पा रहा है। उनके सामने अब भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है। बुधवार को 50 वर्षीय सुरेश मुसहर की मौत भूख जनित (starved to death) बीमारी (भोजन न मिलने के कारण) से होने का मामला सामने आया है।

सुखाड़ के कारण नहीं मिलती भीख

मृतक के परिवार वाले जिनमें शंकर मुसहर, उमेश मुसहर, दिनेश मुसहर, महेंद्र मुसहर आदि ने बताया कि हमें पिछले सात माह से राशन नहीं मिल रहा है। गांव देहात में सुखाड़ की नौबत से भीख भी नहीं मिलती है। समय पर खाना नहीं मिलने के कारण सुरेश मुसहर कमजोर हो गया था, जिससे उसकी मौत (starved to death) हो गई। इधर, डंडई के बीडीओ चोनाराम हेंब्रम ने बताया कि सुरेश मुसहर की मौत कैसे हुई है, इसकी जांच की जा रही है।

यह भी पढ़ें: Dhanbad News: मेडिसिन के साथ सर्जरी और फार्मोकोलॉजी को भी पोस्टमार्टम की जिम्मेदारी, डॉक्‍टर्स हो रहे परेशान

सरकारी अनाज नहीं मिलने से गरीब परिवार के लोग परेशान

झारखंड सरकार (Hemant Soren) की महत्वाकांक्षी ग्रीन कार्ड राशन योजना पूरी तरह से बेकार हो चुकी है। आठ माह से गरीब चावल के इंतजार में हैं। वर्तमान में राज्य में गरीबों को फरवरी माह का राशन मिल रहा है। राज्य के 485806 ग्रीन कार्डधारी गरीब परिवार के लोग सरकारी अनाज नहीं मिलने से परेशान हैं।

आठ महीने से उन्हें सरकारी (Hemant Soren) अनाज नहीं मिल रहा है। एफसीआई गोदाम से ग्रीन राशन कार्ड धारकों (green card ration scheme) के लिए अनाज ही नहीं मिल रहा है। राज्य सरकार  (Hemant Soren) आवंटन नहीं दे रही है। इसके बाद वह हार कर घर लौट जा रहे हैं।

यह भी पढ़ें: छिपकली वाला जहरीला खाना खाकर 128 बच्‍चे पड़े बीमार, आनन-फानन में पहुंचाए गए अस्‍पताल