Dumri By Election: महतो-मुस्लिम फैक्टर से झामुमो और आजसू में कांटे की टक्कर, अब देखना है किसने मारी बाजी
Dumri By Election डुमरी विधानसभा सीट के उपचुनाव में कल मतदान सम्पन्न हुआ। चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से हुआ। अब आठ सितंबर को मतगणना के बाद यह साफ हो जाएगा कि विधायक का ताज किसके सिर पर सजेगा। इस बार महतो-मुस्लिम फैक्टर से झामुमो और आजसू में कांटे की टक्कर है। अब बस चुनाव के परिणाम के आने का इंतजार है।
By Pramod ChaudharyEdited By: Arijita SenUpdated: Wed, 06 Sep 2023 10:16 AM (IST)
प्रमोद चौधरी, गिरिडीह। Dumri By Election: डुमरी विधानसभा सीट के उपचुनाव में महतो व मुस्लिम फैक्टर ने झामुमो और आजसू के बीच कांटे की टक्कर के संकेत दे दिए हैं। चार बार विधायक रहे शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के निधन के बाद हो रहे उपचुनाव में उनकी पत्नी झामुमो की बेबी देवी को आइएनडीआइए ने प्रत्याशी बनाया। एनडीए से आजसू की यशोदा देवी चुनाव लड़ रही हैं।
महतो व मुस्लिम वोटरों को अपनी ओर खींचती पार्टियां
आजसू ने झामुमो के परंपरागत वोट महतो वर्ग में सेंधमारी की, परिवर्तन के सवाल पर। दूसरी ओर झामुमो मुस्लिम वोटरों को अपनी ओर खींचा।एमआइएमआइएम के प्रत्याशी अब्दुल मोबिन रिजवी पिछले चुनाव में करीब 25000 वोट लाए थे। इस बार उनका ग्राफ झटका खाया है। इससे झामुमो को मजबूती मिली है। नतीजा झामुमो व आजसू के बीच सीधी टक्कर की स्थिति बनी है।
कल मतदान केंद्रों का कुछ ऐसा रहा हाल
सुबह के सवा दस बजे थे। चैनपुर के बूथ संख्या 66, 67 व 68 पर मतदान हो रहा था। मतदान कर निकले संदीप शर्मा ने बताया कि इलाके में केला और कमल के बीच ही टक्कर है। यशोदा देवी इसी क्षेत्र की हैं, इसलिए यहां उनका पलड़ा तो भारी होना ही है।
ग्यारह बजे पोरदाग के बूथ से सोम देवी वोट देकर निकलीं। बहू का इंतजार कर रहीं थी। बहू डॉली आइडी घर में भूल गई थी। वोट किसे दिया इस पर यही कहा, हम तो केला-कमल को जानते हैं।
12 बजे तक डुमरचुटियो बूथ पर 30 फीसद पोलिंग हो चुकी थी। यहां अल्पसंख्यकों की अच्छी संख्या है। वोट देकर निकले अब्दुल कयूम अंसारी कहते हैं, भइया इस बार ओवैसी नहीं। पिछले चुनाव की रणनीति अलग थी, इस बार अलग। जो विकास किया, उसी को वोट दिया।
असूरबांध बूथ पर जागेश्वर मिले, बोले- परिवर्तन की लहर है। बार-बार एक ही को क्यों? अब नावाडीह का प्रत्याशी नहीं चाहिए। महतो का वोट उनको पहले जैसा नहीं मिलेगा। न ओवैसी को पिछली बार जैसा समर्थन मिल पाएगा। इससे साफ है कि आजसू को महतो समाज का वोट मिला है, भाजपा के परंपरागत वोटर भी नहीं खिसके।
दूसरी ओर झामुमो के साथ भी अल्पसंख्यक पहले से ज्यादा जुड़ा है। झामुमो कार्यकर्ता तो कहते भी दिखे, भाई चुनाव तो निकल गया। वहीं आजसू भी यही दावे करती दिखी। हालांकि, अब आठ सितंबर को मतगणना के बाद स्पष्ट होगा, किसके सिर सजेगा ताज।
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