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Jharkhand News: CM सोरेन का गिरिडीह दौरा टला... 10 को आएंगे पीरटांड़, इस परियोजना का करेंगे शिलान्यास

मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन का गिरीडीह के पीरटांड़ में मेगा लिफ्ट सिंचाई परियोजना का शिलान्यास करने के लिए 09 मार्च को आने वाले थे लेकिन अब उनके दौरे में बदलाव हो चुका हाै। अब सीएम चम्पाई का गिरिडीह दौरा 09 मार्च के बजाए 10 मार्च को शिफ्ट हो गया है। और सीएम इस दिन गिरिडीह के पीरटांड़ में मेगा लिफ्ट सिंचाई परियोजना का शिलान्यास करेंगे।

By Jagran News Edited By: Shoyeb Ahmed Updated: Fri, 08 Mar 2024 03:22 PM (IST)
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सीएम चम्पाई सोरेन का गिरीडीह दौरा 09 मार्च की बजाए 10 मार्च को होगा (फाइल फोटो)
जागरण संवाददाता, गिरिडीह। CM Champai Soren Giridih Visit: मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन का गिरिडीह दौरा अब 10 मार्च को शिफ्ट हो गया है। इससे पहले 9 मार्च को सीएम का यह दौरा प्रस्तावित था। गिरिडीह के पीरटांड़ में मुख्यमंत्री मेगा लिफ्ट सिंचाई परियोजना का शिलान्यास करेंगे।

मधुबन थाना के बगल में स्थित मकर संक्रांति मेला मैदान में आयोजित हो रहे इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री लाभुकों के बीच परिसंपत्तियों का भी वितरण करेंगे। कार्यक्रम को लेकर तैयारियां अंतिम चरण में हैं आयोजन स्थल पर भव्य पंडाल बनाया गया है। गौरतलब है कि 29 फरवरी को कैबिनेट मीटिंग में चम्पाई सरकार ने पीरटांड़ मेगा लिफ्ट सिंचाई परियोजना को मंजूरी दी थी।

17 पंचायतों के 197 गांवों तक पहुंचेगा पानी

बहुप्रतीक्षित पीरटांड़ मेगा लिफ्ट सिंचाई परियोजना को करीब 551 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया जाएगा। इसके तहत बराकर नदी में डायवर्सन वियर और पंप हाउस बनाकर नदी का पानी भूमिगत पाइपलाइन से पीरटांड़ प्रखंड के गांवों में खेतों तक पहुंचाया जाएगा।

29 फरवरी को इस परियोजना के साथ सरकार ने पटमदा लिफ्ट सिंचाई योजना को भी मंजूरी दी है। दरअसल, नदी तल से अधिक ऊंचाई पर खेती योग्य भूमि में पारंपरिक नहर प्रणाली से सिंचाई संभव नहीं थी। इसलिए भूमिगत पाइपलाइन से जल लिफ्ट कर सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए मेगा लिफ्ट सिंचाई योजना तैयार की गई है।

इन फसलों की खेती भी हो सकेगी संभव

पीरटांड़ में कुम्हारलालो गांव के पास बराकर नदी के अपस्ट्रीम से मोटर से पाइपलाइन के जरिए सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इससे खरीफ और रबी फसलों यानी धान के अतिरिक्त सरसों, मूंग, गेहूं एवं मक्का की खेती भी संभव हो सकेगी।

खेती एवं पशुओं को पानी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से अधिक वर्षा होने और खेतों में जल की जरूरत सीमित होने की स्थिति में पानी के रूट को डायवर्ट कर नजदीक के तालाबों को भरने का भी प्रविधान है, ताकि ग्रामीणों को हमेशा तालाब का जल मिल सके।

197 गांवों तक पहुंचेगा पानी

बता दें कि पीरटांड़ मेगा लिफ्ट सिंचाई परियोजना वर्तमान झारखंड सरकार के कार्यकाल की इस तरह की चौथी परियोजना है। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दुमका जिला के मसलिया एवं रानीश्वर प्रखंड व देवघर के सिकटिया में काम शुरू कराया था।

इस सिंचाई परियोजना से गिरिडीह जिले की 17 पंचायतों के 197 गांवों तक पानी पहुंचाया जाएगा। प्रखंड क्षेत्र में करीब 10173 एकड़ भूमि सिंचाई योग्य है। इनमें अभी मात्र 1628 एकड़ भूमि की ही सिंचाई हो रही है। परियोजना के धरातल पर उतरने के बाद करीब 8545 हेक्टेयर भूमि पर हरियाली लाई जा सकेगी।

योजना का स्वरूप

पीरटांड़ मेगा लिफ्ट सिंचाई परियोजना के तहत कुम्हारलालो के पास बराकर नदी के किनारे पंप हाउस और वियर का निर्माण कराया जाएगा। 245 मीटर की ऊंचाई पर बनाए जाने वाले करीब 200 मीटर लंबे वियर की क्षमता 0.81 मिलियन क्यूबिक मीटर होगी। इस परियोजना से समुद्र तल से करीब 3500 फीट की ऊंचाई तक भूमि को संचित किया जा सकेगा।

तीन डिलीवरी चेंबर बनेगा

तीन अलग-अलग इलाकों में डिलीवरी चेंबर का निर्माण कराया जाएगा। पालगंज डिलीवरी चेंबर से कुम्हारलालो, चिलगा, पालगंज, बिशुनपुर व सिमरकोठी, चिरकी में बनने वाले चेंबर से चिरकी, मधुबन, बांध, नावाडीह व भरथी चलकरी और बंदगांव से बंदगांव, कुड़को, तुइयो, खुखरा, मंडरो, हरलाडीह और खरपोका में पानी पहुंचाया जा सकेगा।

नक्सल प्रभावित क्षेत्र, 33% आबादी आदिवासियों की

पीरटांड़ प्रखंड क्षेत्र की आबादी करीब 1,09,515 है। इनमें 35432 (लगभग 33%) आदिवासी हैं। आतंक की काली छाया से न सिर्फ इस क्षेत्र के खेत-खलिहान सूख पड़े रहते हैं, बल्कि प्रचंड गर्मी में लोगों को पेयजल की किल्लत भी झेलनी पड़ती है।

परियोजना से यह होगा लाभ

पीरटांड़ मेगा लिफ्ट सिंचाई परियोजना के धरातल पर उतरने के बाद जून से अक्टूबर के बीच सिंचाई के लिए लगातार पानी बराकर नदी से उपलब्ध कराया जा सकेगा। इन पांच महीनों में हर 15 दिन में 0.6 लीटर पर सेकंड पानी प्रति हेक्टेयर भूमि की सिंचाई के लिए आठ बार छोड़ा जाएगा।

60 सेंटीमीटर (51 मिलियन क्यूबिक मीटर) पानी खरीफ फसलों की सिंचाई के लिए मिलेगा। 2850 हेक्टेयर जमीन में रबी फसल की सिंचाई की भी व्यवस्था होगी। किसी वर्ष अधिक वर्षापात होने पर खेतों में जल की आवश्यकता सीमित होने की स्थिति में जल को डाइवर्ट कर निकटवर्ती जलाशयों को भरा जा सकेगा।

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