साले के संरक्षण में साइबर अपराध में लगे थे तीन बहनोई
फर्जी बैंक अधिकारी बन साइबर अपराध करने व उस ठगी से अर्जित रूपयों को आपस में ही सगे संबंधियों के बीच बांटकर संपति बनाने का खेल भी निराला है। इस साइबर अपराध के धंधे में मुखिया हरि मंडल का ममेरा बहनोई गोविद मंडल वहीं मंटू मंडल का जीजा जामताड़ा का सुभाष मंडल व डुमरी के जीतकुंडी गांव का रहने वाला सह मरगोडीह का दामाद छोटन मंडल घर छोड़कर ससुराल इलाके में रहकर इस अपराध को संगठित होकर अंजाम देते थे।
गिरिडीह : फर्जी बैंक अधिकारी बन साइबर अपराध करने व उस ठगी से अर्जित रुपया को आपस में ही सगे संबंधियों के बीच बांटकर संपति बनाने का खेल भी निराला है। इस साइबर अपराध के धंधे में मुखिया हरि मंडल का ममेरा बहनोई गोविद मंडल, वहीं मंटू मंडल का जीजा जामताड़ा का सुभाष मंडल व डुमरी के जीतकुंडी गांव का रहने वाला सह मरगोडीह का दामाद छोटन मंडल घर छोड़कर ससुराल इलाके में रहकर इस अपराध को संगठित होकर अंजाम देते थे।
धंधे में अलग-अलग तीन बहनोई गांव में रहकर अपने साले के संरक्षण में इस अपराध को बढ़ावा देते हुए आमलोगों के खातों से मेहनत की कमाई को एक फोन कॉल के बाद निजी जानकारी लेकर टपाते हुए पलक झपकते ही खाते को साफ करने के धंधे को अंजाम दे रहे थे। पहले रिश्तों की बुनियाद तैयार करने के बाद एकजुट होकर अलग-अलग तरीकों से रुपया टपाकर अपनी तिजोरी भरते हुए मालामाल हो रहे थे। किसी की मेहनत की कमाई को चट कर उससे कोई आलीशान घर बनाकर विलासिता के सामानों से घर को भरा तो कोई इससे राजधानी में जाकर व्यापार को खड़ा किया। वहीं किसी ने तो कानों में सोने की बाली तो कोई गले में मंहगी सोने की चेन ठगी के पैसे से खरीदकर लटकाए घूम रहा था। कई परिवार साइबर अपराधियों के करतूत से खाली हुए खातों को देखकर मेहनत की कमाई लूटने का रोना रोने में भी लगे रहे जिसके परिणाम स्वरूप पीड़ितों की हाय के कारण साइबर अपराधियों को एक दिन बेनकाब होकर जेल जाना पड़ा।