रेल हादसों से हो रही थी अकाल मृत्यु, काल को टालने के लिए भक्तों ने लिया देवी मां का सहारा, जानें बंदखारो दुर्गा पूजा का किस्सा
Jharkhand News सरिया प्रखंड क्षेत्र के चिचाकी रेलवे स्टेशन से सटे बंदखारो में 1993 से दुर्गा पूजा व मेला का आयोजन किया जा रहा है। इसका इतिहास काफी दिलचस्प है। यहां ट्रेन से कटकर या गिरकर लोगों की जानें जाती रहती थीं। ऐसे में इन हादसों को रोकने के लिए स्टेशन मास्टर के सुझाव से लोगों ने दुर्गा पूजा करना शुरू कर दिया जो अब भी जारी है।
By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Mon, 16 Oct 2023 04:11 PM (IST)
संवाद सहयोगी सरिया, (गिरिडीह)। सरिया प्रखंड क्षेत्र के चिचाकी रेलवे स्टेशन से सटे बंदखारो में 1993 से दुर्गा पूजा व मेला का आयोजन किया जा रहा है। ग्रामीणों की माने तो इसके पूर्व वहां के लोग दुर्गा पूजा मनाने तथा मेले का आनंद लेने 15 किलोमीटर दूर सरिया बाजार जाया करते थे।
ट्रेन हादसों में लगातार जा रही थीं जानें
यहां रेलवे लाईन में लगातार रन ओवर तथा ट्रेन से गिरकर मरने की घटनाएं हो रही थीं। इसे लेकर उस समय चिचाकी स्टेशन के प्रबंधक मुन्द्रिका सिंह व मनोज पाण्डेय ने दुर्गा पूजा यहां करने पर चर्चा किया। दोनों ने ग्रामीणों के साथ बैठकर बातचीत की। फिर चंदा इकट्ठा कर ग्रामीणों द्वारा 1993 से पूजा शुरू की गई।
इस संबंध में स्थानीय समाजसेवी डा.संजीत प्रसाद ने बताया कि वर्ष 1997 तक पंडाल बनाकर पूजा की गई। बाद में लोगों के मन में मंदिर निर्माण का ख्याल आया और मंदिर का निर्माण किया गया। हालांकि, मंदिर परिसर में अभी भी भव्य पंडाल बनाया जाता है।
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दूर-दूर से माता के दर्शन के लिए आते हैं भक्त
यहां शारदीय नवरात्र में पूरे नौ दिन पूजा-पाठ किया जाता है, जबकि विजयादशमी को मेला लगता है। यहां बंदखारो, चिचाकी, कुसमाडीह, चिरुवां, कपिलो आदि दर्जनों गांव से श्रद्धालु पूजन-अर्चन करने पहुंचते हैं।
इस वर्ष भी पूजा समिति की देखरेख में दुर्गा पूजा तथा मेले का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें नित्य पूजन आचार्य रामकिशोर शास्त्री व पाठ हलधर पाण्डेय द्वारा की जा रही है।
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